हम उत्तराखंडियों को कोई चीज अच्छी लगे या ना लगे, पर भाँग की चटनी या भाँग वाला नमक जरूर अच्छा लगाता है,इतना अच्छा की जिस दिन भाँग की चटनी बनी होती, उस दिन दो तीन रोटी एक्स्ट्रा खा लेते हैं। माँ भी इस बात को जानती है, इसलिए उस दिन ओर दिन से ज्यादा आता गूँथ लेती है, भाँग वाली चटनी का स्वाद ही ऐसा होता है की भूख बढ़ जाती है। चटनी बनाने के लिये जब भाँग के बीजों को तवे में सेंका जाता है, उसे सूँघने का अपना ही अलग मजा होता है, फिर सिल बट्टे पर हरी मिर्ची, हरा धनिया, कुछ पुदीने के पत्तों के संग जब भाँग के बीज पिसे जाते हैं तो, उसे देख कर तो मुँह में पानी ही आ जाता है, पेट की आँतडियाँ उसे खाने के लिये कुलबुलाने लगती हैं। जब हम छोटे थे तो चटनी को लेकर भाई बहिनों में झगड़ा भी हो जाता था, क्या दिन थे वो भी बचपन के, आज भी बेहद पसंद है मुझे तो ये भाँग की चटनी। मेरे मित्रों को भी काफी खिलाई है चटनी स्कूल के दिनों में, पर उन्हें ये नही बताता था की, ये भाँग की चटनी है, बाहर के लोग भाँग का नाम सुनते ही डर जो जाते हैं, पर उन्हें ये नही पता की भाँग का बीज नशीला नही होता, पर डर तो डर होता है, इसल...
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