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भीम बहादुर

भीम जब 10 - 11 बरस का था तो गाँव के पधान ज्यूँ को एक शादी में काम करता हुआ दिखा था,पधान ज्यूँ उसे अपने साथ ये सोच कर गाँव ले आये की, घर के छोटे मोटे कामों में पधानी का हाथ बँटा देगा ओर ठीक से पल बढ़ भी जायेगा, तब से भीम पधान ज्यूँ के वहीं काम करता था,पधान ज्यूँ उसे नेपाली होने के कारण उसे बहादुर कह कर बुलाया करते थे, तो उसका नाम ही भीम बहादुर पड गया था। भीम को इतने सालों में, कभी कोई ढूँढने भी नही आया, ना ही भीम को ठीक से अपने गाँव का पता था, इसलिए उसे उसके घर तक पहुँचाने की गुंजाईश भी नही थी, बस उसके पहने कपड़ों से ये पता चल रहा था की वो नेपाली था, उसे अपनी भाषा भी ठीक से बोलनी नही आ रही थी, शायद उसे अपना मुलुक छोड़े हुये काफी वक़्त बीत चुका था। भीम शाँत स्वभाव का था, उसे जो काम बता दो, उसे पूरा मन लगाकर करता था, पधानी का तो उसके बिना काम ही नही चलता था, घर में भीम के अलावा काम करने वाला कोई ओर था भी नही, पधान ज्यूँ के सारे बच्चे बाहर ही रहते थे, छुट्टियों में हर साल गाँव आते, तब भीम का काम बढ़ जाता, पर भीम के चेहरे पर कोई शिकन नही होती, वो चेहरे पर मुस्कान लिये, हर किसी की सेव