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रम्मू का दुख


रम्मू गाँव के लोगों के खेत जोतने का काम करता था, बचपन से ही अपने बौज्यू ( पिता ) को हल जोतता देख ओर उनके साथ जाते जाते वो भी हल बाना ( जोतना ) सीख गया था।

रम्मू के बौज्यू ( पिता ) जब भी इधर उधर जाते, तब रम्मू ही हल जोतता,जैसे जैसे वो बड़ा होता गया, वैसे वैसे उसने हल जोतने का काम पूरी तरह से अपने हाथ में ले लिया, क्योकिं अब उसके बौज्यू ( पिता ) बूढ़े होने के साथ साथ कमजोर से भी हो गये थे।

रम्मू ने हल जोतने के काम के चलते कभी गाँव छोड़कर जाने का भी नही सोचा।

रम्मू हल जोतने का काम करने के कारण स्कूल भी ठीक ढँग से नही पढ़ पाया था, पर उसे कभी इस बात का मलाल भी नही हुआ, क्योकिं उसके इस काम से उसका घर आराम से चल रहा था,एक दिन के उसे तब 300 रुपये मजदूरी मिल जाने वाली हुईं, ओर दो वक़्त की चाय तथा दिन का खाना भी।

गाँव भर में रम्मू की पूछ ओर ठहरी, लोगों के लिये विशेष जरूरत का सामान सा ठहरा रम्मू, रम्मू भी संतोषी आदमी था, ओर साथ ही काम के प्रति समर्पित व्यक्ति भी, दिये गये काम को मन लगाकर करता, इसलिए गाँव के लोग भी उससे खुश रहते थे।

रम्मू के साथ के लड़के, रोजगार की तलाश में शहरों की तरफ निकल गये, रम्मू को इसकी जरूरत ही महसूस नही हुईं, वो तो हल जोतने को ही रोजगार मान कर, उसमें ही व्यस्त रहता था।

खुद की खेतीबाड़ी ठहरी ही, साथ में दूसरों के खेत जोतने का काम था, बढ़िया जिंदगी कट रही थी, गाँव में इक्का दुक्का लोग ही हल जोतते थे, वो भी बामुश्किल खुद का ही खेत जोत पाते थे, इसलिए रम्मू की अच्छी चलत थी गाँव भर में।
पर वक़्त के साथ हालात बदलते चले गये, रम्मू आज भी हल जोतता है, पर काम कम हो चला, गाँव के लोग गाँव छोड़ छोड़ कर शहरों की ओर पलायन कर गये, इससे खेती बंद हो गई, गाँव में अधिकतर खेत बंजर हो चले हैं, रम्मू भी कई बार सोचता है की, वो भी काम के लिये शहर चला जाये, पर उसे हल जोतने के सिवा कुछ आता नही, इसलिए वो अब तक गाँव में ही है, पर आज नही तो कल उसे भी जाना पड़ेगा, अगर यही हालात रहे तो।

अब रम्मू को हल जोतने काफी दूर दूर तक जाना पड़ता है, इस कारण उसके बैल भी थक जाते हैं, ओर कई बार तो जोतते जोतते बैठ भी जाते हैं, हालाकिं अब मजदूरी पहले की तुलना में ज्यादा मिलती है, पर काम कम मिलता है, खर्चे भी बढ़ चले हैं, रम्मू ने अपने पिता के कार्य को ही अपना रोजगार बनाया था, पर अब वो अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित रहता है, शायद ही वो अपने बच्चों को इस काम में उतारे।
पहाड़ के सुँदर गाँव आज वीरान से होते जा रहे हैं, कभी गाँव की शान कहलाये जाने वाली बाखईयाँ व कुडियाँ आज खंडहर में तब्दील होती जा रही हैं,आज गाँव जाओ तो अजीब सा सन्नाटा पसरा सा रहता है, गुलजार रहने वाला गाँव आज वीरान सा होता जा रहा है।

इस पलायन से पूरा पहाड़ अभिशप्त होकर धीरे धीरे उजड़ रहा है ,अगर इसे रोकने के प्रयास नही किये गये तो, रम्मू जैसे लोग भी पलायन कर जायेंगे, आज पहाड़ में रम्मू जैसे लोगों की वजह से थोड़ी हलचल है, अगर इस तरह के लोग भी ,यहाँ से गये तो,पहाड़ों में कोई नही बचेगा, ओर ना ही बचेगी यहाँ की संस्कृति, इसलिए पहाड़ के सभ्यता ओर संस्कृति वाहक रम्मू जैसे लोगो का संरक्षण जरूरी है।

स्वरचित रचना 
सर्वाधिकार सुरक्षित

English version

Rammu's sorrow
 Rammu used to do the work of plowing the fields of the people of the village, since childhood, seeing his Baujyu (father) plowing and going with him, he also learned to plow.

 Whenever Rammu's boujyu (father) went here and there, Rammu used to plow, as he grew older, he took up the task of plowing completely, because now his boujyu (father) is old.  Along with this, they also became weak.

 Rammu never even thought of leaving the village because of the work of plowing.

 Rammu was not able to study properly due to plowing work, but he never felt sorry for this, because his house was running comfortably due to this work, for a day he got 300 rupees as wages.  Got to get it, and two times tea and food for the day.

 Rammu's request stayed in the whole village, Rammu was like a special need item for the people, Rammu was also a contented man, and also a person dedicated to the work, would do the given work diligently, so the people of the village also asked him.  lived happy

 The boys accompanying Rammu went to the cities in search of employment, Rammu did not feel the need for it, he used to keep busy in plowing, considering it as employment.

 His own farming had stopped, along with the work of plowing the fields of others, a good life was being cut, only a few people used to plow in the village, they too could hardly plow their own field, so Rammu was doing well in the village.

 But with the passage of time, the situation changed, Rammu still plows, but the work has reduced, the people of the village left the village and migrated to the cities, due to this farming stopped, most of the farms in the village have become barren.  Rammu also thinks many times that he should also go to the city for work, but he does not know anything except plowing, so he is still in the village, but if not today then tomorrow he will also have to go, if this situation is the same .

 Now Rammu has to travel far and wide to plow, due to which his bulls also get tired, and sometimes they sit till plowing, although now wages are more than before, but less work is available,  Expenses have also increased, Rammu had made his father's work his employment, but now he is worried about the future of his children, he hardly puts his children in this work.

 Today the beautiful villages of the mountain are becoming deserted, the villages and kudis, once called the pride of the village, are turning into ruins today, if you go to the village today, there is a strange silence, the village that is buzzing is deserted today.

 Due to this migration, the whole mountain is slowly deteriorating, if efforts are not made to stop it, then people like Rammu will also flee, today there is some movement in the mountain due to people like Rammu, if such people also  If you go from here, no one will survive in the mountains, nor will the culture here, therefore it is necessary to protect the people like Rammu, the civilization and culture carrier of the mountain.

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