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हमारी धरोहर

पहाड़ों में ना केवल दृश्य ही सुंदर होते हैं, अपितु वहाँ के मकानों की बनावट भी अत्यंत मनोहारी होती है,लकड़ी व पत्थर से बने मकान व उसकी ढलवाँ ( पाख ) छत उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा देती है।

ऐसे ही एक पुरानी कुड़ी ( मकान ) मुझे अल्मोड़ा से थोडा़ सा पहले प्युडा होते हुये मुक्तेश्वर जाने वाली सड़क के किनारे दिखा, बिल्कुल खाली पड़ा था, शायद बरसों पहले उसे छोड़ दिया गया था।

जब मैनें उसे देखा तो मन में ये सवाल उठता की इतनी सुंदर कुड़ी ( मकान ) को इस तरह क्यों छोड़ दिया गया होगा।

सच कहूँ तो ये कुड़ी ( मकान ) मेरे ओर मेरे मित्र के मन मष्तिष्क में इतना घर कर गई थी, मेरा मित्र तो इसे खरीदने के लिये उतावला ही हो उठा, कुड़ी ( मकान ) ना केवल सुंदर थी अपितु आसपास के दृश्य भी अत्यंत सुंदर थे, हरे भरे पेड, रोड साइड पर बनी हुई, शाँत वातावरण से युक्त व व्यापारिक ओर रिहायशी दृष्टि से भी मुफीद जगह थी, वहाँ एक अच्छा होम स्टे भी चलाया जा सकता था।
मैनें उस जगह की तस्वीर ली ओर लग गया इसके बारे में जानने के लिए की आखिर इसे ऐसे क्यों ओर किसलिए छोड़ दिया गया, आसपास के लोगों से काफी पता करने के बाद पता लगा की, ये कुड़ी ( मकान ) यहाँ कभी थोकदार रहे जगत सिह बिष्ट जी के परिवार की मिल्कियत है, अब परिवार में उनकी बहु है जो दिल्ली में रहती है, चूँकि उनके कोई पुत्र नही था तो वो अपनी पुत्री के पास रहती है , मैनें उनकी तलाश की ओर उनका फोन नंबर ढूँढ कर उन्हें ढूँढ़ निकाला।

जब मैनें उनसे उनकी कुड़ी ( मकान ) को बेचने या लीज में देने के बारे में बात की तो वो ,पहले तो वो राजी नही हुई ओर बोलने लगी की, वो मेरे ससुर जी कि अंतिम निशानी है, खरीदने वाला तो उसे तोड़ कर अपनी पसंद का बनाएगा, इसलिए क्यों बेचूँ, जब मैनें उन्हें कहा की मुझे तो ऐसी ही कुड़ी ( मकान ) रहने के लिये चाहिये, तभी तो आपके पास आया हूँ, मुझे तो इसे सिर्फ रहने लायक बनाना है बस,तब जाकर वो राजी हुई ओर इस तरह थोकदार खानदान की वो कुड़ी ( मकान ) हमारी हो पाई।

मुझे इस बात की उतनी खुशी नही थी के, ये कुड़ी ( मकान ) हमारी हो गई, अपितु इस बात की खुशी ज्यादा था की, मेरे पहाड़ की एक धरोहर बच गई, वरना तो बाद में इसे तोड़ कर इसमें कोई कॉटेज बना कर इसका मूल स्वरूप ही खत्म कर देता।

अब इसे ठीक करा कर जल्द ही एक होम स्टे चलाने का प्लान है, जहाँ रहकर पहाडी जीवन ओर पहाड़ की आबोहवा का आनंद भी लिया जा सकेगा ओर होम स्टे के माध्यम से अपनी आजीविका भी चलाई जा सकेगी ,हमारे लिए तो ये आम के आम ओर गुठलियों के दाम वाली जैसी बात हो गई।

स्वरचित लघु कथा 
सर्वाधिकार सुरक्षित

English Version 

Our Heritage
In the mountains, not only the scenery is beautiful, but the structure of the houses there is also very beautiful, the houses made of wood and stone and its sloping (pakh) roof add to its beauty.

 One such old house I saw a little before Almora on the side of the road leading to Mukteshwar via Pyuda, was completely empty, probably abandoned years ago.

 When I saw it, the question arose in my mind that why such a beautiful house would have been left like this.

 To be honest, this house had become so much in my friend's mind and my friend's mind, my friend got impatient to buy it, the house was not only beautiful but the surrounding scenery was also very beautiful.  , Green trees, built on the road side, with a peaceful environment and was also a favorable place for commercial and residential point of view, a good home stay could also be run there.
 

 I took a picture of that place and started looking to know about it why and why it was left like this, after knowing a lot from the people around, I found out that this house was once a wholesaler here Jagat Singh.  Bisht ji's family is owned, now he has a daughter-in-law in the family who lives in Delhi, since he did not have any son, he lives with his daughter, I searched for him and traced him by searching his phone number.

 When I talked to her about selling or leasing her house, she did not agree at first and started saying that she is the last sign of my father-in-law, the buyer can break it and make his choice.  Why should I sell it, when I told her that I want to live like this, only then I have come to you, I just want to make it livable, that's when she agreed and like this  That house of the wholesaler family could be ours.

 I was not so happy that this house became ours, but it was more than happy that a heritage of my mountain was saved, otherwise it was later demolished and made a cottage in it. The form itself ends.

 Now there is a plan to fix this and run a home stay soon, where one can enjoy the mountain life and the climate of the mountain and also run their livelihood through the home stay, for us it is on the common side of mango.  It has become like a thing about the cost of kernels.

 composed short story
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