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देवता का न्याय

थोकदार परिवारों के ना घर में ही नही ,अपितु पूरे गाँव में दहशत छाई हुई थी ,कुछ दिनों से थोकदार खानदान के सारे घरों में ,घर के सदस्यों को पागलपन के जैसे लक्षण देखने को मिल रहे थे ,यहाँ तक की गाय भैंसों ने भी दूध देना बंद कर दिया था ,किसी को समझ नही आ रहा था की आखिर ये हो क्या रहा है।

पहाड़ में अगर ऐसा होना लगे तो ,लोग देवी देवताओं का प्रकोप मानने लगते हैं ,ओर उनका अंतिम सहारा होता है लोक देवताओं का आवाहन ,इसलिये थोकदार परिवारों ने भी जागर की शरण ली।
खूब जागा लगाई काफी जतन किये ,पर कौन था किसके कारण ये सब हो रहा था ,पता नही लग पा रहा था ,जिसके भी आँग ( शरीर ) में अवतरित हो रहा था ,वो सिर्फ गुस्से में उबलता दिखाई दे रहा था ,पर बोल कुछ नही रहा था ,लाख जतन कर लिये थे ,पर समस्या ज्यों की त्यों थी ,गाँव वाले समझ नही पा रहे थे की आखिर थोकदार परिवार को इस तरह परेशान कौन कर रहा है ,ओर तो ओर जगरिये उससे कुछ बुलवा नही पा रहे हैं ,अंत में गाँव में आया हुआ एक मेहमान बोला मेरे गाँव में एक नौताड़ ( नया ) अवतरित हुआ है ,उसे बुला कर देखो क्या पता वो कुछ कर सके ,थोकदार परिवार ने दूसरे दिन उसे बुलवा लिया। 
नौताड़ जिस पर अवतरित हुआ था ,वो केवल 5 - 6 साल का बच्चा था ,देखने में बिल्कुल मासूम सा लग रहा था ,लोग शंकित थे की बड़े बड़े जगरिये कुछ नही कर पाये तो ,क्या ये नौताड़ कुछ कर पायेगा ,शाम होते ही नौताड़ का आसन लगा दिया गया ,हुडुक थाली बजा कर नौताड़ को जागृत करना शुरू किया गया ,माहौल अजीब सा हो चुका था हेव ,हुडके व थाली बज रही थी ,तभी नौताड़ में देवता अवतरित हो उठे ,नन्हे बच्चे में देवता का अवतरण गजब था ,गजब का परिपक्वता दिख रही थी उस बच्चे में ,हुड़क की थाप से जगरिया नौताड़ को बताने के लिये उद्देलित कर रहा था।

थोकदार परिवार कातर दृष्टि से उस पल का इंतजार कर रहा था की नौताड़ कुछ बता कर उनकी परेशानियों से निजात दिलायेगा ,काफी देर औंतरने के बाद नौताड़ ने बोलना शुरू किया ,सौकार तुम लोगों ली कस्ये एक परिवार कें सता( किस तरह तुमने एक परिवार को दुखी किया ) कस्ये तुमुल उनर जमीन जायदाद हड़प ले (कैसे तुमने उनकी जमीनें हथिया ली) , उनर आँसू अब तुमुकें परेशान करणी (अब उनके आँसू तुम्हारे परिवार को परेशान रहे हैं) ,अब उ परिवार में एक जाणी बच रौ बस (अब उस परिवार का केवल एक जना जीवित है) ,दस सालक नान छ (वो 10 साल का बच्चा है ) ,वां जाबेर माफी माँगों सब जाणी ,(वहाँ जाकर सब जने माफी माँगो),जो ले ली राखो सब वापस दियो (जो भी संपत्ति ली है उसे वापस कर दो), तुमर पास यौ अंतिम मौक छ ( तुम्हारे पास ये अंतिम मौका है )पराचित कर लियो जाबेर (प्रायश्चित कर लो जाकर )नतर कोई तुमुकें बर्बाद हुने न रोक सकन  ,(नही तो कोई तुम्हें बर्बाद होने से नही रोक सकता) ,क्योंकि इन लोगुल थान में जाबेर डाण मार राखे न्याये लीजी (क्योंकि इन लोगों ने तुम्हारे अत्याचार से दुखी होकर,  अपने कुल देवता के थान (मंदिर ) पर जाकर,  न्याय की गुहार लगाई  है) ,अब उई दयाप्ते ली तुमारी यौ हालत बना दे ,(अब वही देवता तुम्हारे  इस हालात का कारण है), यौ देवभूमि छ सौकार याँक दयाप्त कै कें न बख्शन , (ये देवभूमि है सौकार ,यहाँ देवता किसी को नही बख्शते ),फिर नौताड़ ने कहा एक महीने के भीतर उस परिवार के साथ न्याय कर लेना ,ये करार दे रहा हूँ ,भूलना मत ,वो बच्चा कहाँ है उसके बारे में भी बता दूँगा ,उसे लाकर उसका हक दो।

आखिर मरते ना क्या करते,थोकदार परिवार ने उस बच्चे को ढूँढा ओर उसे लाकर उसकी वो सब जमीन जायदाद लौटाई ,जो उनके परिवार द्वारा हथियाई गई थी ,बल्कि उन्होंने प्रायश्चित स्वरूप ,उसे अपने साथ रखकर उसका पालन पोषण की जिम्मेदारी भी उठा ली ,तब कहीं जाकर थोकदार परिवार को उस दैवीय कष्ट से मुक्ति मिल पाई।
स्वरचित लघु कथा 
सर्वाधिकार सुरक्षित

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