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भाँग की चटनी


हम उत्तराखंडियों को कोई चीज अच्छी लगे या ना लगे, पर भाँग की चटनी या भाँग वाला नमक जरूर अच्छा लगाता है,इतना अच्छा की जिस दिन भाँग की चटनी बनी होती, उस दिन दो तीन रोटी एक्स्ट्रा खा लेते हैं।

माँ भी इस बात को जानती है, इसलिए उस दिन ओर दिन से ज्यादा आता गूँथ लेती है, भाँग वाली चटनी का स्वाद ही ऐसा होता है की भूख बढ़ जाती है।

चटनी बनाने के लिये जब भाँग के बीजों को तवे में सेंका जाता है, उसे सूँघने का अपना ही अलग मजा होता है, फिर सिल बट्टे पर हरी मिर्ची, हरा धनिया, कुछ पुदीने के पत्तों के संग जब भाँग के बीज पिसे जाते हैं तो, उसे देख कर तो मुँह में पानी ही आ जाता है, पेट की आँतडियाँ उसे खाने के लिये कुलबुलाने लगती हैं।

जब हम छोटे थे तो चटनी को लेकर भाई बहिनों में झगड़ा भी हो जाता था, क्या दिन थे वो भी बचपन के, आज भी बेहद पसंद है मुझे तो ये भाँग की चटनी।

मेरे मित्रों को भी काफी खिलाई है चटनी स्कूल के दिनों में, पर उन्हें ये नही बताता था की, ये भाँग की चटनी है, बाहर के लोग भाँग का नाम सुनते ही डर जो जाते हैं, पर उन्हें ये नही पता की भाँग का बीज नशीला नही होता, पर डर तो डर होता है, इसलिए उन्हें नही बताता था, वो चटनी को इतने चटखारे लेकर खाते थे की पूछो मत, मेरी चटनी उनके छप्पन भोग को फेल कर देती थी।

बात सन 1984 या 1985 की होगी तब में कक्षा 10 में पढ़ता था महेश्वरी स्कूल में, जोकि तिलक नगर में था, आज भी वहीं है, मेरा एक मित्र दिनेश गुप्ता एक दिन छुट्टी के टाइम ,स्कूल के बाहर मूली बेचने वाले से ,मूली खरीद कर लाया, उसकी मूलियां सबसे ज्यादा बिकती थी, वो जो मसाला लगाता था,वो बेहद स्वादिष्ट होता था, हालाकिं मैनें कभी उससे मूली नही खरीदी थी, उस दिन दिनेश ने जो एक फाँक मुझे भी खाने को दी, जब मैनें उसे खाया तो, उसमें जो मसाला लगाया था, वो भाँग वाला नमक था, मैनें मूली बेचने वाले से कहा ये तो भाँग वाला नमक है ना, वो चौंक गया ओर बोला नही ये मेरे गाँव से लाया गया मसाला है, जब मैनें उससे पूछा की गाँव कहाँ है तुम्हारा तो,वो बोला बहुत दूर नैनीताल इलाके में है, मैं तुरंत  समझ गया की नमक कौनसा है।

मैनें मूली वाले से कहा पहाड़ी हो ना, वो मुझे अचरज से देखने लगा, तब मैनें उससे कहा, मैं भी वही का हूँ, तब वो मुझे  कुमाऊँनी भाषा में बोला भुला लौंडों का जण बताए की भाँगक नून छ ( भाई इन लड़कों को मत बताना की भाँग का नमक है ) ,डर बेर मेर मुव खान छोड़ दैयाल ( डर कर मेरी मूली खाना छोड़ देंगें ), कहने का मतलब ये है की अपने पहाड़ की हर चीज निराली है।

जब भी गाँव जाना होता तो, जम कर भाँग की चटनी खाता, रोटी हो या हो दाल भात, भट्ट के डुबके हो या छस्सी सब में भाँग की चटनी मिला कर ही खाता।

मेरी आमा ( दादी ) ठुल ईज ( ताईजी ) को कहती ,रोज थोडा़ चटनी पिस दिया कर ये थे ( इसके लिये ) ,चटटू आ रो हमर देश बैठी ( हमारा चटोरा आया हुआ है शहर से ) चटनी खा बेर थोडा़ मोटाल ( चटनी खा कर थोडा़ मोटा होगा )।

इस चटनी के प्रति मेरी दीवानगी आज भी कम नही हुईं, आज भी उतनी ही आँतें कुलबुलाने लगती हैं, जितनी बचपन के दिनों में कुलबुला जाती थी, आज भी दो रोटी ज्यादा खाई जाती हैं पहले की तरह,  फर्क सिर्फ ये आया है की, अब चटनी खुद पीसनी पड़ती है , आज सबको सिर्फ इसे पीसने में आलस आता है ,खाने में नही, पर मुझे इस चटनी को पीसने में आज भी आलस नही आता, बडी तल्लीनता से पीसता हूँ,भाँग के गूदों ( बीजों ) को महीन पीस कर चटनी तैयार करता हूँ, ओर जम कर भोजन करता हूँ।

स्वरचित संस्मरण

सर्वाधिकार सुरक्षित

English version

Hemp seeds chutney
 We Uttarakhandis may or may not like any thing, but we definitely like bhang chutney or hemp salt, so good that on the day hemp chutney is made, we eat two or three extra rotis on that day.

 Mother also knows this, so she kneads more and more on that day, the taste of hemp chutney is such that the appetite increases.

 When the hemp seeds are roasted in the pan to make chutney, it has its own unique pleasure to smell, then when the hemp seeds are ground with green chilies, green coriander, some mint leaves on the cob, then when the hemp seeds are ground,  Seeing him, the water comes in the mouth, the intestines of the stomach start squealing to eat him.

 When we were young, there used to be a fight between brothers and sisters about chutney, what were the days of childhood, even today I love this hemp chutney.

 I have also fed a lot of chutney to my friends during school days, but did not tell them that this is cannabis chutney, people outside get scared when they hear the name of cannabis, but they do not know that hemp seeds are intoxicating.  It doesn't happen, but fear is there, that's why he didn't tell them, he used to eat chutney with so much spiciness that don't ask, my chutney used to fail his fifty-six enjoyment.

 It would be in the year 1984 or 1985, then I used to study in class 10 in Maheshwari school, which was in Tilak Nagar, it is still there today, a friend of mine Dinesh Gupta one day on holiday, from the seller of radish outside the school, buy radish  Brought it, his radishes were the most sold, the spices he used, it was very tasty, although I had never bought radishes from him, Dinesh gave me a slice that day to eat, when I ate it,  The spice I put in it was hemp salt, I told the radish seller, this is hemp salt, he was shocked and didn't say this is the spice brought from my village, when I asked him where is your village  So, he said that it is very far away in Nainital area, I immediately understood which salt is.

 I asked the radish man to be a hill, he started looking at me in amazement, then I told him, I also belong to him, then he told me in Kumaoni language, Brother don't tell these boys this salt of cannabis), otherwise they will stop eating my radish in fear, it means saying that everything in your mountain is unique.

 Whenever I had to go to the village, I would eat bhang chutney, be it roti or dal bhaat, dip in bhat or chassi and eat only after mixing hemp chutney.

 My grandmother used to tell Taiji that she was giving a little chutney every day (for this), our chutora has come from the city eat chutney, after eating chutney will be a bit fat.

 My passion for this chutney has not diminished even today, even today, the same amount of bowels start quivering as it was in childhood, even today two rotis are eaten more than before, the only difference is that, now  Chutney has to be grinded itself, today everyone is lazy only in grinding it, not in eating, but even today I am not lazy in grinding this chutney, I grind it with great engrossment, grind the hemp pulp (seeds) finely and make the chutney  I prepare and eat food together.

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