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तिल्ल दा का कुकुर

कुकुर ( कुत्ता ) पालने वाले लोग अपने कुकुर ( कुत्ते ) से विशेष लगाव रखते हैं,ठीक ऐसा ही लगाव रखते थे तिल्ल दा यानी त्रिलोक सिंह बिष्ट, उनका कुकुर ( कुत्ता ) भी बेहद लगाव रखता था तिल्ल दा से।

तिल्ल दा कहीं भी जाये कुकुर उनके साथ ही चलता, ज्यादा बड़ा नही था हालांकि उनका कुकुर, पर बिन तिल्ल दा के उसे चैन नही आता था।

तिल्ल दा को वो गाँव में ही कू कू करता घूमता मिला था, शायद कोई छोड़ गया था ,बेहद छोटा था उस वक़्त वो, तिल्ल दा उसे उठा लाये ओर उसे पाला।

रोज सुबह शाम एक एक कटोरी दूध व उसमें एक रोटी चूर कर तिल्ल दा उसे देते, ओर वो धपड धपड उसे खा जाता था।

अच्छे खानपान की वजह से अब वो गोलमोल सा दिखने लगा था, तिल्ल दा ओर उनकी पत्नी अकेले ही रहते थे, इस कुकुर ( कुत्ता ) के आ जाने से घर में अब हलचल सी बढ़ गई थी, उनका ये कुकुर ( कुत्ता ) दिन भर धमाचौकड़ी मचाता जो रहता था।

हमारे घर भी आकर उछल कूद मचा देता था कभी कभी ओर जब उसे डांटो तो भाग कर तिल्ल दा की गोद में दुबक जाता, बड़ा प्यारा लगता था, तिल्ल दा का वो प्यारा कुकुर ( कुत्ता )।

तिल्ल दा का भी मन इस कुकुर ( कुत्ते ) के बिना नही लगता था, कहीं भी जायें कुकुर ( कुत्ता ) साथ ही जाता।

तिल्ल दा अक्सर नदी के किनारे वाले खेतों में जाते, जो की गाँव से लगभग 7 किलोमीटर दूरी पर थे, वही हमारे भी खेत थे ओर छान भी बने हुये थे, हम लोग जब भी जाते कुछ दिन वहीं रुक कर आते, ऐसा ही तिल्ल दा भी करते।

तिल्ल दा जब भी गाड रुकते, तब उनका कुकुर भी उनके साथ गाड ही रुकता, तिल्ल दा खेतों में काम करते ओर उनका कुकुर दिनभर तिल्ल के साथ रहता, काम करने के बाद तिल्ल दा गाड में नहाते ओर कुकुर को भी नहलाते, हालाकिं उनके कुकुर को नहाना पसंद नही था, इसलिए वो इधर उधर भागता रहता, पर जब तिल्ल दा उसे डाँटते तो मन मार कर वो तिल्ल दा के पास आ जाता था, पर नहाने के तुरंत बाद मिट्टी में लोटपोट खेल लेता, मानो तिल्ल दा से नहलाने का बदला ले रहा हो, तिल्ल दा उसे लोटपोट खेलता देख गलियाने लगते ओर कहते तवे कुकुर कें बाघ ली जो ( तुझ कुत्ते को बाघ ले जाये ), मेर साबुन खराब कर दे ( मेरा साबुन खराब कर दिया ) घर हिट आज भुख मारून तवेकें ( घर चल आज तुझे खाना नही दूँगा )।

दोनों में इस तरह की तकरार रोजाना चलती, इससे ना तो कुकुर मिट्टी में लोटपोट लगाना छोड़ता ,ना ही तिल्ल दा उसे भूखा मारते, तिल्ल दा तो उसके बिना खाना तक नही खाते थे, पहले कुकुर ( कुत्ते ) को डालते फिर अपनी थाली में डालते ,दोनों के बीच अनोखा लगाव था।

गाड रहने के दौरान तिल्ल दा का कुकुर ज्यादा ही खुश रहता, कभी चिडियाओं का पीछा करता तो, कभी कीड़े मकोड़ों के पीछे पीछे भागता, खाने को कभी दूध तो, कभी माछ ( मच्छी ) मिल जाती।

एक दिन की बात है रात  के 7 - 8 का समय की बात होगी,  हम सब लोग खा पी कर आँगन में बैठे बात कर रहे थे, तिल्ल दा का कुकुर भी आँगन में इधर उधर टहल रहा था, तभी एक कीड़ा भू भू करता हुआ वहाँ मन्डराने लगा, उसे मंडराते देख तिल्ल दा का कुकुर उसका पीछा करने लगा, काफी अँधेरा था, कुकुर कीड़े की आवाज का पीछा कर, इधर उधर भाग रहा था, तभी अचानक क्याँकि की आवाज आई ओर कुकुर ( कुत्ता ) गायब हो गया, तिल्ल दा चिल्लाये बाघ लीगो कुकुर कें, छियुल जगा बेर लाओ जल्दी, हम सब अंदर की तरफ भाग कर छियूल जला कर लाये, छियूल के उजाले में चारो तरफ कुत्ते को ढूँढा, पर उसका पता नही चला, काफी देर तक ढूँढ कर आखिर वापस आ गये, तिल्ल दा तो रोने लगे, दुख हमें भी हुआ, पर तिल्ल दा का तो साथी चला गया था, वो ज्यादा ही दुखी थे।

रोते हुये कह रहे थे आग लाग जाओ यो खपडी कें ( आग लग जाये इस मुँह को) क्याही को की बाघ लीजो त्वेक ( क्यों बोला की बाघ ले जायेगा तुझे ) देखो आज लीगो ( देखो आज ले ही गया )।

बडी मुश्किल से तिल्ल दा को सबने समझाया की, अब जो हो गया सो हो गया, अपने को सम्भालो, बडी मुश्किलों से तिल्ल दा संभले।

दूसरे दिन तिल्ल दा बोले अब याँ मन न लागने गों जाँ छू ( अब यहाँ मन नही लग रहा गाँव जाऊँगा ) हम लोग भी उनके साथ ऊपर गाँव की ओर चल दिये।

घर पहुँच कर देखा तो तिल्ल दा का कुकुर तो गाँव पहुँच गया, तिल्ल दा तो खुशी के मारे झूम उठे, उन्हें विश्वास ही नही हो रहा था की, उनका कुकुर जीवित है।

सबने खुशी मनाई की चलो तिल्ल दा का कुकुर जीवित है, पर साथ में इस बात का भी आश्चर्य हुआ की, आखिर रातों रात कुकुर जंगलों के बीच से होता हुआ 7 किलोमीटर का सफर तय करता हुआ ,गाँव तक कैसे पहुँच गया,शायद जब बाघ ने उसे पकड़ कर जब नीचे की तरफ फेंका होगा तो, उसने घबराहट में दौड़ लगा दी होगी गाँव की ओर, इस तरह वो गाँव पहुँच गया होगा,उसके गले पर हल्के खरोंच के निशान भी, यही सब बतला रहे थे।

सब खुश थे की तिल्ल दा का कुकुर सुरक्षित है, पर उस दिन के बाद एक बात जो देखने में आई वो ये थी की, तिल्ल दा का जो कुकुर, तिल्ल दा के साथ हर कहीं जाता था, वो अब गाड ( नदी ) की ओर नही जाता था, रोड के नीचे से जैसे ही गाड जाने का रास्ता आता वो रुक जाता, हम मजाक में अगर उसे नीचे ले जाने लगते तो वो लेट जाता ,मानो ये कहता की मत ले जाओ रे वहाँ बाघ है, उस दिन के बाद तिल्ल दा का कुकुर कभी रोड से नीचे की तरफ नही उतरा, ना अब तिल्ल दा रहे, ना ही उनका कुकुर ( कुत्ता ) बस उनकी यादें इस कथा के जरिये शेष है।

स्वरचित कथा 

सर्वाधिकार सुरक्षित

English version

Til da's dog
People who keep dog have a special attachment to their dog, used to have the same attachment as Til da  Trilok Singh Bisht, his dog was also very attached to Til da.

 Wherever Til da went, he used to walk with him, although he was not very big, but without Til da he could not rest.

 Til da had found him roaming around in the village itself, maybe someone had left him, he was very young at that time, Till da picked him up and brought him up.

 Every morning in the evening, after crushing a bowl of milk and a roti in it, Til da would give it to him, and he used to eat it.

 Due to good food, now he started looking like a chubby, Til Da and his wife used to live alone, due to the arrival of this dog there was a stir in the house, this dog was a blast throughout the day.  The one who lived

 He used to come and jump at our house and sometimes when he scolded him, he would run away and lurk in Tilda's lap, he looked very cute, Tilda's cute dog.

 Til Da's mind was not felt without this dog, wherever he goes, dog would go along with him.

 Til da often went to the fields on the banks of the river, which were about 7 kilometers from the village, the same farms were ours and were also well maintained, whenever we went, we would stay there for a few days, so did Til da  Do it too

 Whenever Til da river side stopped, his dog also stayed with him, Till da worked in the fields and his dog would stay with Till the day, after working Til da bathed in the river and also bathed the dog, although his dog  He did not like to take a bath, so he kept running here and there, but when Tilda scolded him, he used to come to Tilda to beat him, but immediately after taking a bath, he would play  in the mud, as if to take a bath with Til Da.  Seeing him playing lotpot, Til da starts going down the aisle and says Take youto the tiger, you spoiled my soap, I will not give you food today.

 Such a quarrel between both of them would go on daily, due to this, neither the dog would stop rolling in the soil, nor would Till da starve him, Til da would not even eat food without him, first put the dog and then put it on his plate.  There was a strange bond between the two.

 During his stay, Tilda's dog would have been very happy, sometimes chasing birds, sometimes insects ran after insects, sometimes milk to eat, sometimes fish.

 It is a matter of one day, it will be a matter of time of 7-8 in the night, all of us were talking while sitting in the courtyard after eating and drinking.  He started hovering over there, seeing him hovering, Tilda's dog started following him, it was quite dark, the incest was running here and there, following the sound of the worm, then suddenly the sound came and the dog (the dog) disappeared, Til  Da shouted tiger capture dog,  wake up and bring burn lights early, we all ran inwards and burnt cheul, looked for the dog all around in the light , but he could not be found, after searching for a long time, finally came back  Til da started crying, we also felt sad, but Til da's companion was gone, he was very sad.

 Crying, they were saying that fire to this mouth ,why said that the tiger would take you, look today he has taken it.

 With great difficulty, everyone explained to Til da that, now whatever has happened, it has happened, take care of yourself, Til da should handle with great difficulties.

 On the second day Til da said Now I don't feel like going to the village here we also went upstairs with him towards the village.

 When he reached home and saw Til da's dog reached the village, Til Da jumped with joy, he could not believe that his dog was alive.

 Everyone rejoiced that Til da's dog is alive, but at the same time it was also surprising that, after traveling 7 kilometers through the middle of the forest overnight, how did it reach the village, perhaps when the tiger  When he caught him and threw him down, he must have run in panic towards the village, thus he must have reached the village, even the slight scratch marks on his neck were telling all this.

 Everyone was happy that Til da's dog is safe, but after that day one thing that came to notice was that Til da's dog, who used to go everywhere with Til da, is now towards river.  He would not go, as soon as the way to go to the carriage came from under the road, he would have stopped, if we started taking him down jokingly, he would lie down, as if saying that do not take it, there is a tiger, after that day Til  Da's dog never descended from the road, neither till now, nor his dog just his memories remain through this story.

 composed story

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