कहते हैं ना की अगर कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो, व्यक्ति विषम परिस्तिथियों के बावजूद सफलता प्राप्त कर सकता है, कुछ ऐसा ही कर दिखाया भुवन ने। भुवन ने विषम परिस्तिथियों से मुकाबला करते हुये ना केवल खुद को स्थापित किया, अपितु उन लोगों के लिये उदहारण बन गया, जो पहाड़ को किसी काम का ना मानकर पलायन कर रहे हैं। भुवन ने अपना पूरा बचपन गरीबी में जिया, गरीबी भी ऐसी के ,कई बार तो भूखे ही सोना पड़ता था, बौज्यू ( पिता ) की शराब की लत के कारण, उसके परिवार को जिसमें उसकी ईजा ( माँ ) ओर एक छोटा भाई था, को फाँकाकशी का जीवन व्यतीत करना पड़ रहा था। भुवन ने बचपन से ही अपनी ईजा को, आर्थिक हालातों से लड़ते देखा था, बौज्यू ( पिता ) को घर से कोई सरोकार नही था, वो हमेशा शराब के नशे में धुत्त रहते, ओर अगर भुवन की ईजा ( माँ ) कुछ कहती तो, मार पीट पर उतारू हो जाते। इन हालातों को देखते हुये भुवन वक़्त से पहले समझदार हो गया था, वो जंगल जाकर लकडियाँ लाता, ओर गाँव में जिसे भी लकड़ी की जरूरत होती उन्हें बेच देता, भुवन साथ ही अपनी ईजा ( माँ ) की घास काटने में भी मदद करता, इस तरह से थोड़ा बहुत पैसा या जरूरत का साम...
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