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शिब्बू

शिब्बू बहुत सालों बाद अपने गाँव आया था, उस गाँव में जहाँ उसने अपना बचपन बिताया था, यही के प्राइमरी स्कूल में उसने पहली बार जाना था की ,पढ़ाई क्या होती है, फिर आगे की पढ़ाई के लिये उसने , इस गाँव से 5 किलोमीटर दूर ,जी जी आई सी इन्टर कालेज तक जाने के लिये  रोजना सफर किया,उन दिनों को सोचते हुये शिब्बू उन दिनों की यादों में खो सा गया।


कैसे शिब्बू के बौज्यू ने उसकी पढ़ाई के लिये दूसरों के खेतों में हल तक बाया, ताकि वो अच्छी तरह पढ़ सके।
शिब्बू ने भी अपने बौज्यू को कभी निराश नही किया, वो हमेशा अच्छे नम्बरों से पास होता रहा,पर कहते हैं ना की जिंदगी इतनी आसान नही होती, उसमें लगातार रूकावटें आती रहती हैं, ओर यही हुआ शिब्बू के साथ भी।

एक दिन शिब्बू के बौज्यू के हल बातें समय हल का फल पैर में घुस गया, उन्होनें इस पर ज्यादा ध्यान नही दिया, ओर इसका परिणाम ये हुआ की घाव में इंफेक्शन फैल गया, ओर उनका पैर काटना पड़ा, तब शिब्बू ने इन्टर पास करा ही था।

शिब्बू के बौज्यू का पैर कटने से, उनके द्वारा किया जाने वाला काम बंद हो गया, इसके चलते आर्थिक संकट पैदा हो गया।
शिब्बू के सामने पढ़ाई छोड़ने के ओर कोई विकल्प नही बचा, क्योकिं अगर वो पढ़ाई जारी रखता तो, पढ़ाई का खर्चा कहाँ से लाता, अंततः उसने पढ़ाई छोड़ कर, कोई छोटी मोटी नौकरी करने का निर्णय लिया, ताकि वो घर की बिगड़ी आर्थिक दशा को सुधार सके।

इसके लिये उसने अपने गाँव के ही ,एक करीबी रिश्तेदार से बात करी, जो की शहर में सरकारी विभाग में नौकरी करते थे,शिब्बू के रिश्तेदार ने उसके घर के हालात देख, उसको शहर बुलवा लिया, ताकि वो अपने घर के हालात सुधार सके, इस तरह शिब्बू गाँव से शहर पहुँच गया।

शिब्बू शहर तो पहुँच तो गया, पर शहर की जिंदगी इतनी आसान कहाँ, जो गाँव के एक सीधे साधे लड़के शिब्बू के लिये आसान साबित होती, यहाँ उसकी बारहवीं की शिक्षा बेमायने साबित हुईं , पढ़ाई के अनुरूप नौकरी मिलना मुश्किल था, इसलिए शिब्बू के रिश्तेदार ने शिब्बू से कहा देख रे शिब्बुआ याँ तेरी पढ़ाई कें को ना पूछण, ये लीजी जो काम मैं लगोण उ कर लिये, तब तो क्याई कर पाले, अगर अपण पढ़ाई कें ली बेर बैठ ले, तो क्या न कर सकले, तैवेकें अपण घर देखण छ तो ,जाँ मैं काम पर लगोण ,वाँ मन लगा बेर काम करिये, शिब्बू ने रिश्तेदार की बात को सहमति देते हुये अपना सिर हिलाते हुये कहा ठीक छ चचा बस तुम जल्दी मैं कें काम पर लगा दियो।

शिब्बू के रिश्तेदार ने उसके लिये नौकरी की तलाश शुरू कर दी ओर कुछ दिनों बाद ही उसे एक रिटायर जज के बंगले में घरेलू नौकर की नौकरी मिल गई, शिब्बू ने भी अपने घर की ,आर्थिक स्तिथि को देखते हुये ,वहाँ बतौर घरेलू नौकर काम करना स्वीकार कर लिया।

शिब्बू रिटायर जज के बँगले में काम करने लगा, वहीं उसे रहने के लिये एक कमरा भी दे दिया गया, बँगले में जज साहब व उनकी पत्नी ही रहती थी, शिब्बू का काम था, उनकी देखभाल करना, वहीं से शिब्बू को खाना भी मिल जाता था, कोई ज्यादा काम नही था, इसके चलते शिब्बू खाली वक़्त में वहाँ मौजूद किताबें इत्यादि पढ़ने में लग जाता, शिब्बू की पढ़ने के प्रति लगन देख जज साहब ने ,शिब्बू से आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिये कहा, ओर इस तरह से शिब्बू का आगे की पढ़ाई का रास्ता खुल गया, उसने प्राइवेट परीक्षा का फार्म भर दिया, जब उसे वक़्त मिलता वो पढ़ाई कर लेता, इस तरह उसने अपनी ग्रैजुएशन कर ली।

जज साहब का एक लड़का था वो भी जज था, जज साहब ने उससे शिब्बू के बारे में बात की, ओर कुछ समय बाद जब विभाग में पोस्ट निकली तो, वहाँ शिब्बू से फार्म भरवा दिया, शिब्बू ने खूब मेहनत से पढ़ाई कर परीक्षा दी ओर पास हो गया ,जज साहब के लड़के का आदमी होने का भी उसे फायदा मिला, ओर वो नौकरी लग गया।

शिब्बू की पढ़ाई ओर उसकी मेहनत ने शिब्बू की ओर उसके परिवार की दशा सुधार दी।

शिब्बू यही नही रुका, उसने आगे कानून की डिग्री ली, फिर ज्यूडिशियल परीक्षा की तैयारी में जुट गया, होशियार तो था ही, लगन भी थी, ओर साथ ही माहौल भी था, उसने वो परीक्षा भी पास कर ली।

आज गाँव का वो शिब्बू जो बौज्यू के पाँव कटने पर, अपनी पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर हुआ, ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट हैं, गाँव से उसका निरंतर जुड़ाव है, वो गाँव के उन होनहार बच्चों को आगे बढ़ने में मदद करता है, जो मजबूरी के चलते आगे नही बढ़ पाते।
शिब्बू अपना अतीत नही भूला, वो जानता है, एक छोटी सी मदद ने ,जब उसका जीवन सुधार दिया तो वो भी मदद कर किसी का जीवन सुधार सकता है।

स्वरचित लघु कथा 

सर्वाधिकार सुरक्षित

English Version

Shibbu
Shibbu had come to his village after many years, in the village where he had spent his childhood, in this primary school he had to know for the first time, what is studies, then for further studies he, 5 km away from this village  , traveled daily to go to GGIC Inter College.

 Shibbu's father even plowed others' fields for his studies, so that Shibbu could study well.
 Shibbu also never disappointed his father, he always passed with good marks, but it is said that life is not so easy, there are constant obstacles in it, and the same happened with Shibbu.

 One day Shibbu's father, while driving the plow, hit the iron rod in front of the plow, he did not pay much attention to it, and the result was that the infection spread in the wound, and his leg had to be amputated, then  Shibbu had just passed 12th.

 Due to the amputation of Shibbu's father's leg, the work done by him stopped, due to which financial crisis was created.
 There was no option left in front of Shibbu to leave studies, because if he continued his studies, from where would he get the cost of studies, finally he decided to quit studies and do some small job, so that he could help the deteriorating financial condition of the house.  be able to improve

 For this, he talked to a close relative of his village, who used to work in the government department in the city, Shibbu's relative, seeing the condition of his house, called him to the city, so that he could improve the condition of his house,  Thus Shibbu reached the city from the village.

 Shibbu has reached the city, but where is the life of the city so easy, which would have proved easy for Shibbu, a simple boy of the village, here his 12th education proved to be inappropriate, it was difficult to get a job according to studies, so Shibbu's relatives  Said to Shibbu, see Shibbu, there is no one here to ask for your studies, so whatever work I do, then I will be able to do something, if I keep my studies, I will not be able to do anything, If you have to own your home  If you want to see, where I should work, work hard there, Shibbu, agreeing to the relative's point, shook his head and said, okay uncle, just put me to work soon.

 Shibbu's relative started looking for a job for him and after a few days he got a job as a domestic servant in a retired judge's bungalow, Shibbu also worked there as a domestic servant, seeing the financial condition of his house.  accepted.

 Shibbu started working in the retired judge's bungalow, while he was also given a room to live, only the judge and his wife lived in the bungalow, Shibbu's job was to take care of them, from there Shibbu would also get food.  Yes, there was no much work, due to this Shibbu would have been engaged in reading books etc. present there in his spare time, seeing Shibbu's passion for reading, the judge asked Shibbu to continue his studies, and in this way Shibbu  The way for further studies was opened, he filled the form of private examination, when he got time, he would study, thus he did his graduation.

 The judge had a boy, he was also a judge, the judge spoke to him about Shibbu, and after some time when the post came out in the department, Shibbu got the form filled there, Shibbu studied hard and took the exam.  It was passed, he also got the benefit of being the man of the judge's boy, and he got the job.

 Shibbu's studies and his hard work improved the condition of his family towards Shibbu.

 Shibbu did not stop there, he further took a law degree, then started preparing for the judicial examination, he was smart, there was passion, and at the same time the atmosphere was there, he also passed that exam.

 Today the village's Shibbu, who was forced to leave his studies after his father's feet was amputated, is a judicial magistrate, he has a constant association with the village, he helps those promising children of the village to move forward, who are unable to move forward due to compulsion.  Could grow
 Shibbu did not forget his past, he knows, when a small help can improve his life, he too can improve someone's life by helping.

 composed short story

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