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कम्मू

कम्मू शेर दा को रोड के नीचे जो जंगल था वहीं कुरी की झाड़ी में मिली थी, होगी तब कुछ दिनों की, कोई  छोड़ गया मरने के लिये ,शायद उसे लड़की की जरूरत नही थी, या ओर कोई मामला रहा होगा,वैसे पहाड़ों में ऐसा होता नही अमूमन।

कम्मू को जीना होगा, इसलिए उस दिन शेर दा को ईश्वर ने उसका रक्षक बना कर भेज दिया।

उस दिन शेर दा का पेट थोड़ा खराब सा था, इसलिए तहसील से आते वक़्त वो गाँव जाने के रास्ते से थोडा़ पहले उतर गये, ताकि उधर से शॉर्ट कट जल्दी घर पहुँच जाये, ओर ज्यादा समस्या हो तो, झाड़ियों में निवृत भी हो ले।

उस दिन शेर दा जल्दी से जल्दी घर पहुँचना चाहते थे, इसलिए वो तेज गति से नीचे की ओर उतर रहे थे,तभी उन्हें अजीब सी आवाज सुनाई दी, उन्हें लगा जैसे कोई अजीब जानवर रो रहा हो, या कोई बच्चा रो रहा हो, वो सावधानी से उस ओर बढ़े, वहाँ पहुँच कर देखा तो,देखते हैं की एक कपड़े में लिपटा हुआ बच्चा रो रहा है,उन्होनें उसे तुरंत उठाया ओर उलट पलट कर देखा की कोई चोट तो नही आई है बच्चे को, जब वो आश्वस्त हो गये की बच्ची बिल्कुल ठीक है तो वो उसे गाँव की तरफ लेकर चल दिये, ओर गाँव पहुँच कर उन्होनें लोगों को इस बच्ची के बारे में बतलाया।

गाँव वाले भी हैरान थे की, कोई कैसे मासूम बच्चे को यूँ जंगल में मरने के लिये छोड़ सकता है, गाँव की औरतें तो शिब्बौ शिब्बौ बोलती हुईं, बच्ची को छोड़ने वाले को गलियाने लगी की कैभे भल जण हो यैस माँ बापोंकं, जो नानी नानी फूल जस चैली कें मरने छोड़ गई।

साथ ही अब ये समस्या भी आ गई की, इस बच्ची को पाले कौन, गाँव में करीब करीब सब लोगों के पहले से दो तीन बच्चे पहले से थे, सिवा शेर दा को छोड़ कर, क्योकिं शेर दा की स्याणी का दो साल पहले देहांत हो गया था, ओर उनके बच्चे भी नही थे, बच्ची को पालने वाले मामले में सब पीछे हट रहे थे, तब शेर दा बोले मैं पाल लिछु अगर तुम गों वाव राजी छा तो, मेर दगड़ ईज छ उ देखभाल कर लेल ओर मैं ये थें कमा ल्योंण।

शेर दा के ऐसा बोलने पर गाँव वाले राजी हो गये, बगल में रहने वाली बचुली बौजी बोली मैं गोरक दूध दी दयोंन ओर कैभे कैभे अपण दूध ले पिवा दयौन, इस तरह से बच्ची को पालने का रास्ता खुल गया, बच्ची की तात्कालिक जरूरतों का सामान मिल गया।
बच्ची बिल्कुल स्वस्थ थी, बचुली बौजी ने उसे अपना दूध पिला कर बच्ची के पालन की शुरुआत भी कर दी, शेर दा की ईजा ने उसे दुलार कर ,बच्चे को माँ होने का अहसास करवा दिया, ओर रो रही बच्ची भी ये सब पाकर अब चुप हो गई।

दिन बीतने के साथ ही वो बच्ची, जिसका नाम कम्मू रखा गया था, वो धीरे धीरे बड़ी हो रही थी, गोल मटोल, छोटी सी कम्मू बडी प्यारी थी, ओर पूरे गाँव की दुलारी भी, क्योकिं गाँव के प्रत्येक घर ने, अपनी हैसियत अनुसार, अपना अपना योगदान जो दिया ठहरा।
घुटनों से चलने वाली छोटी सी कम्मू अब 18 साल की हो चुकी थी, शेर दा ने उसके लालन पालन में कोई कसर नही छोड़ी अपनी तरफ से।
पढ़ाई में होशियार कम्मू अब इन्टर कर चुकी थी,शेर दा को अब उसके ब्या की चिंता भी सताने लगी थी, वो उसके लिये अच्छा सा वर खोज कर, उसकी शादी कर अपना बाप का फर्ज भी पूरा कर देना चाहते थे, क्योकिं उन्होनें उसे अपनी बेटी की तरह ही जो पाला था।

शेर दा का वर ढूँढने का प्रयास आखिरकार रंग लाया, उन्हें कम्मू के लिये एक अच्छा सा लड़का मिल गया।

शेर दा कम्मू की शादी की तैयारियों में जुट गये, गाँव वाले भी अपनी अपनी हैसियत के अनुसार सहयोग करने लग गये, आखिरकार वो दिन भी आ गया, जब कम्मू की बारात आई, पूरा गाँव कम्मू की शादी में एक परिवार की तरह जुट गये, ओर बड़े धूमधाम से कम्मू की शादी हो गई।

विदाई के वक़्त गाँव का माहौल गमगीन हो गया था, गाँव की औरतों की आँखें नम थी, ओर पुरुष खामोश थे, सबको कम्मू से बिछुड़ने का दुख था।

शेर दा आँखों में आँसू लिये कम्मू की विदाई रस्म को निभा रहे थे, उधर कम्मू लगातार रो रही थी जैसे ही रस्म पूरी हुईं ,शेर दा ओर कम्मू फफक फफक कर रो पड़े ओर उन्हें रोता देख कर गाँव की औरतों का रुदन भी फूट पड़ा।
यों गाँव की लाडली कम्मू जाते जाते सारे गाँव को रुला गई।

स्वरचित लघु कथा 

सर्वाधिकार सुरक्षित


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English Version

Kammu
 Kammu Sher Da had found it in the bush, which was in the forest below the road, then it would have been only a few days, someone left to die, maybe he did not need the girl, or there must have been some other case, like this in the mountains  It doesn't usually happen.

 Kammu will have to live, so that day God sent Sher Da as his protector.

 Sher Da had a little stomach upset that day, so while coming from the tehsil, he got down a little before the way to the village, so that the short cut from there would reach home soon, and if there was more problem, he would also retire in the bushes.

 That day Sher Da wanted to reach home as soon as possible, so he was going downhill at a high speed, then he heard a strange sound, he felt as if some strange animal was crying, or a child was crying, he  Carefully move towards it, reaching there, see that a child wrapped in a cloth is crying, he immediately picked it up and turned around and saw that there was no injury to the child, when he was convinced that  The girl is absolutely fine, so they took her towards the village, and after reaching the village, they told the people about this girl.

 The villagers were also surprised that how can someone leave an innocent child to die in the forest like this, the women of the village started giving street to the one who left the girl that it would never be good for such a parent, who is a small daughter.  Left to die.

 Also now the problem has also come that who raised this girl, almost everyone in the village already had two or three children, except Sher Da, because Sher Da's wife died two years ago.  Went, and they did not even have children, everyone was backing down in the matter of raising the child, then Sher Da said, if you all agree, then mother is with me, she will take care of it and I will take care of it.  I'll earn

 The villagers agreed on Sher Da's words, the Bachuli sister-in-law living next door said, I will give my cow's milk for this girl, and sometimes I will also feed my milk, in this way the way to raise the girl was opened.  , the items of immediate needs of the girl child were found.
 The child was completely healthy, the Bachuli sister-in-law started taking care of the child by feeding her milk, Sher Da's mother caressed her, made the child feel like a mother, and the crying girl also got silent after getting all this.

 As the days passed, the little girl, who was named Kammu, was slowly growing up, chubby, little Kammu was very sweet, and also the caress of the whole village, because each house in the village, according to its status  , who had given his own contribution.
 The little Kammu, who was on her knees, was now 18 years old, Sher Da left no stone unturned in her upbringing.
 Kammu, who was smart in studies, had now completed her twelfth, Sher Da was now worried about her marriage, he wanted to find a good groom for her, marry him and fulfill the duty of being his father, because he gave her  Like his daughter who was brought up.

 Sher Da's efforts to find a groom finally paid off, he found a nice boy for Kammu.

 Sher da got busy in preparing for Kammu's wedding, the villagers also started cooperating according to their status, finally the day also came, when Kammu's procession came, the whole village gathered like a family in Kammu's wedding,  And with great fanfare, Kammu got married.

 At the time of farewell, the atmosphere of the village had become gloomy, the eyes of the women of the village were moist, and the men were silent, everyone was sad to be separated from Kammu.

 Sher Da was performing the farewell ceremony of Kammu with tears in his eyes, while Kammu was crying continuously as soon as the ritual was completed, Sher Da and Kammu wept bitterly and seeing them weeping, the women of the village also broke down.
 In this way, the lady of the village made the whole village cry on her way to Kammu.

 composed short story

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