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भिटोली

#भिटोली 
चैत के महीने को प्रकृति की रंगत , जहाँ महत्वपूर्ण बनाने वाली ही ठहरी। वहीं दूसरी ओर भिटोली , इसे और ज्यादा रंगीला बनाने वाली ठहरी। इस महीने ब्याहतायें , अपने भाइयों ओर माता-पिता की ओर से , आने वाली भेंट का बेसब्री से इंतजार करती हैं। मगर पुष्पा के लिये ये त्यौंहार उदासी लाता था , क्योंकि ना ही उसके माँ बाप थे , ना ही कोई भाई बहिन। ब्याह होने के बाद ससुराल ही , उसका सब कुछ था।   इसलिये भिटोली त्यौंहार आने पर , उसके दिल में हूक उठती थी के , काश कोई मुझे भी भिटोली देने वाला होता। बच्चे भी बोलते ईजा हमारे वहाँ कोई लगड , पू देने क्यों नही आता , तब पुष्पा का मन ओर भारी हो उठता। उसका भी मन करता की , वो भी आस पड़ौस में भिटोली बाँटे , पर शायद उसके नसीब में ये सब नही था। 

आज ज्यादा उदास होने के कारण वो मन बहलाने के लिये , जंगल की ओर गोरु भैंस के लिये घास लेने जा रही थी। तभी जोर की आवाज आई , मानो कुछ गिर गया हो। पुष्पा दौड़ कर उस ओर भागी , उसने देखा तो एक कार सड़क से नीचे गिर कर चीड़ के पेड़ में अटकी हुई है।  वो भागती हुई वहाँ पहुँची , अंदर एक आदमी बेहोश पड़ा था। उसने गेट खोला ओर उसको बाहर निकाला। उसके सिर से खून बह रहा था , पुष्पा ने तुरंत खोर में बाँधने वाला थिकाव से , कस कर उसका सिर बाँध खून रोका।  ओर फिर उसे पीठ में रख कर सड़क तक लाई। पास के धारे से पानी लाकर , उस व्यक्ति पर छिड़का , तब वो व्यक्ति थोडा होश में आया। शुक्र था की गाड़ी सड़क से ज्यादा नीचे नही गिरी थी , इसके चलते ज्यादा चोट नही आई , जरा सा सिर में लग कर रह गई। 

पुष्पा के पूछ्ने पर उसने बताया के , पास के गाँव में उसके आमा बूबू कभी रहा करते थे , ओर वो अपनी पितृभूमि को देखने आया था। चूँकि उसकी गाड़ी टूट चुकी थी , इसलिये वो अब ना गाँव जा सकता था , ना ही लौट सकता था। तब पुष्पा ने उसे अपने वहाँ रुकने को कहा , दोनों लौट कर गाँव तक आये।

वहाँ कलनाथ वैध जी को दिखाया , उन्होंने कुछ जड़ी बूटी दी , फिर वो घर पहुँचे।  तब तक गाँव वाले भी इकट्टा हो गये , सबने उस व्यक्ति को रुकने के लिये कहा। ओर कल सुबह वाली गाड़ी से लौटने की बात कही।  पुष्पा गर्म गर्म दूध में हल्दी डाल कर उसे दी , बात चली तो उस व्यक्ति ने बताया की , अगले गाँव में कभी उनकी जमीन हुआ करती थी। बूबू जब तक थे , हम लोग कभी कभार आया करते थे , पर तब बहुत छोटे थे। पर आमा बूबू के न रहने के बाद आना जाना खत्म हो गया। इस बार बच्चों को लेकर घूमने आया था पहाड़ को तो , सोचा अपने गाँव को भी देख आऊँ। रास्ता पता नही था तो , बच्चों को होटल में छोड़ कर गाँव को तलाशता हुआ अकेला आ गया। पर यहाँ ये हादसा हो गया।

वो व्यक्ति बोला दीदी आज तुम नही होती तो पता नही क्या होता , ज्यादा खून बह जाता तो मर ही जाता। इस पर पुष्पा बोली ऐसा नही बोलते भैया , भगवान हाथ देने वाला ठहरा यहाँ पहाड़ों में तो , इसलिये तुम बच गये बल , ज्यादा चोट भी नही आई। 

बातों ही बातों में एक दूसरे के बारे में जानकारी के दौरान , दोनों की कहानी एक सी निकली , जहाँ पुष्पा का कोई भाई बहिन नही था , ठीक वैसे ही उस व्यक्ति का भी कोई नही था। 

पुष्पा बोली किस्मत बढ़िया छ तुमर , ज्यादा ना लागी , ओर मैं ले वाई छी , नतर यो टाईम को न जाण उ तरफ। पोरू भिटोली छ मेर मन उदास छी तो , मैं लह गई उ तरफ , नतर पत्त ना की हुन। 

वो व्यक्तियों भी शुक्र मनाने लगा की चलो भिटोली के बहाने ही सही ईश्वर ने जान बचाई।  फिर उसने पुष्पा को पूछा की भिटोली में होता क्या है , मैंनें कभी देखा नही , बस खाली सुना है इसके बारे में। 

पुष्पा ने विस्तार से उस व्यक्ति को बताया , दूसरे दिन वो व्यक्ति लौट गया , बात आई गई सी हो गई। आज भिटोली का दिन था , पुष्पा के गाँव में लोग अपनी बहन , बेटियों को , भिटोली देने जा रहे थे।  ये सब देख पुष्पा फिर उदास हो पड़ी , तभी उसने देखा की , वहीं आदमी गाड़ी से उतार कर , उसके घर की ओर आ रहा है , साथ में उसके बच्चे भी थे। उसने आते ही पुष्पा दी कह कर संबोधित किया ओर अपने परिवार से उसे मिलवाया। उसकी पत्नी ने पुष्पा का शुक्रिया करते हुये कहा , दीदी आपकी वजह से मेरे पति आज सुरक्षित हैं , ओर मैं आपका शुक्रिया करने आई हूँ ,  ओर साथ में भिटोली लाई हूँ।  इन्होंनें आपको दीदी माना है , इसलिये भिटोली देने हम आयें हैं। 

पुष्पा ये सुन कर निशब्द सी रह गई , उसकी आँखों से गर गर आँसू बह रहें थे , उसे भरोसा ही नही हो रहा था की , कोई उसके लिये कभी भिटोली भी ला सकता है। जी भर कर रोने के बाद वो , उस औरत जो अब उसके छोटे भाई की पत्नी थी से लिपट गई , ओर बोली मैंनें कभी नही सोचा था की , कभी मुझे कोई भिटोली देने आयेगा , पर ईष्ट ने तुम लोगों को भेज दिया।  मैं कितनी खुश हूँ , ये मैं बता नही सकती , साथ ही मेरे बच्चे भी , जो हमेशा मुझसे यही सवाल करते थे। 
पुष्पा ने आई भिटोली को पूरे गाँव में जाकर बाँटा , इस तरह अब पुष्पा भी भिटोली पाने वाली बन गई। तब से आज तक उसका वो भाई हर साल पुष्पा के गाँव आकर भिटोली देता है! 
स्वरचित लघु कथा 
सर्वाधिकार सुरक्षित

English Version 

Bhitoli


The nature of the month of Chait, where it was important to be important.  Bhitoli, on the other hand, came to make it more colorful.  This month, marriages are eagerly awaiting the forthcoming visit from their brothers and parents.  But this festival brought sadness for Pushpa, because neither his parents nor his brothers and sisters were there.  After marriage, her in-laws had her all.


 So when the Bhitoli festival came, there was a cry in her heart that I wish someone would give me Bhitoli too.  Children also speak there


 Lagda, why does not come to give poo, then Pushpa's mind gets heavier.  He also felt that he too distributed Bhitoli in the neighborhood, but perhaps it was not in his luck.  Due to being depressed today, she was going to take grass for Goru buffalo towards the forest.  Then a loud sound came, as if something had fallen.  Pushpa ran towards that, he saw a car falling down the road and stuck in a pine tree.  She rushed there, a man lying unconscious inside.  He opened the gate and took it out.  His head was bleeding, Pushpa immediately stopped the blood, tightly binding his head to the thigh.  And then put it in the back and brought it to the road.  Bringing water from a nearby stream, sprinkled on the person, then that person came to his senses a little.  Thankfully, the car did not fall much below the road, it did not hurt much due to this, it got stuck in the head.  On Pushpa's question, he told that his mother Bubu used to live in a nearby village, and he came to see his fatherland.  Since his car was broken, he could no longer go to the village, nor could he return.  Pushpa then asked him to stay there, both of them came back to the village.  And there Kalanath showed the lawful law, he gave some herbs, then he reached home.  By then the villagers too had gathered, all of them asked the person to stay.  And said to return by tomorrow morning's car.  Pushpa put turmeric in hot milk and gave it to him, if the thing went on, the person told that in the next village there used to be their land.  We used to come occasionally when Bubu was there, but he was very small then.  But after Ama Bubu's absence, she stopped coming.  This time I came to roam the mountain with children, thought I should also look at my village.  If I did not know the way, leaving the children in the hotel, they came alone searching for the village.  But this accident happened here, the person said, Didi today, if you were not there, I do not know what would have happened, if more blood had been shed, then I would have died.  Pushpa did not say so on this, brother, God is giving a hand here in the mountains, so you survived the force, not too much hurt.  While talking about each other in many things, the story of both of them turned out to be similar, where Pushpa had no brother and sister, just like that person also had none.  Pushpa said, luck is good, you will not be much, and I will take you, I will not go to the time.  Poru Bhitoli six my heart is sad, I have gone to the top, the net paat na ki hun  Those people also started to thank Venus that only God saved life on the pretext of Bhitoli.  Then he asked Pushpa what happens in Bhitoli, I have never seen, just heard about it empty.  Pushpa told the person in detail, the second day the person returned, the talk was done.  Today was the day of Bhitoli, people were going to give Bhitoli to their sister, daughters in Pushpa's village.


 Pushpa was depressed again after seeing all this, when he saw that the man was getting off the car, coming towards his house, along with his children.  He addressed Pushpa Di as soon as he came and introduced him to his family.  His wife thanked Pushpa and said, "Didi, because of you my husband is safe today, and I have come to thank you, and have brought Bhitoli together."  They have considered you a sister, so we have come to give bhitholi.  Pushpa was silent on hearing this, tears were flowing from her eyes, she could not believe that anyone could ever bring Bhitoli for her.  After weeping heartily, she clung to the woman who was now his younger brother's wife, and said, I never thought that someone would come to give me Bhitoli, but Isht sent you guys.  I cannot tell how happy I am, as well as my children, who always used to ask me the same question.  Pushpa then distributed Bhitoli to the entire village, thus Pushpa also became a Bhitoli recipient.  Since then, his brother comes to Bhisholi every year in Pushpa's village!

 Scripted short story

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