सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

डरपोक रमिया

रमिया छोटेपन से ही बहुत डरता था , साँश ( शाम ) हुई नही के , वो घर के अंदर घुस जाता था , घरवाले उसकी इस हरकत से परेशान थे। 

रमिया के बोज्यू तो , उसकी ईजा से इस बात पर लड़ जाते थे , की तूने छोव हौवौ ( भूत प्रेत ) की बात सुना सुना कर इसे डरपोक बना दिया बल।

इस पर रमिया की ईजा बोलती , गाँव के सारे बच्चों ने भी तो सुन रखी है ये बातें , पर वो तो नही डरते बल , जरूर तुम भी ऐसे ही होंगें बल बचपन में।

ये डायलॉग सुनकर रमिया के ईजा बोज्यू ओर लड़ बैठते , पर रमिया को इस लड़ाई से कोई फर्क नही पड़ता था  , वो तो घुघूत जैसा चुपचाप एक कोने में बैठा रहता था , हाँ आस पड़ौस के लोग जरूर उनकी लड़ाई से,  अपना मनोरंजन कर लेते थे।  

दिन भर उछल कूद मचाने वाला रमिया , शाम होते ही इतना सीधा बन जाता था की , सीधा घर का रास्ता पकड़ लेता था , उसकी  साँस में साँस तब आती थी , जब वो देहरी के अंदर घुस जाता था।  
उसके बोज्यू ( पिता ) बडे परेशान रहते ये सब देख कर , पर क्या करें ये समझ नही आता था उन्हें , वो इस बात से भी परेशान रहते थे की , बड़ा होकर भी ऐसे ही डरता रहा तो , क्या होगा बल इसका।

कई बार तो रीस ( ग़ुस्से ) में आकर रमिया को थेच ( मार ) भी देते थे , पर रमिया का डरना कम नही हुआ थेचने ( पिटने ) पर भी।

शाम होते ही उसकी तरह ही डर कर , घर के अंदर छुप जाने वाला डबुवा कुकुर ( कुत्ता ) उसका सबसे प्यारा साथी था , दोनों को डर जो लगने वाला ठहरा।
घर के एक कोने में दोनों एक साथ पड़े रहते थे , रमिया के बोज्यू ( पिता ) ये देख कर ओर चिढ़ जाते थे।

रमिया को बोलते , तू लै यो ड्बुवा जैस कुकुर छ रे पक्क ( तू भी इस डबुवा जैसा कुत्ता है पक्का ) , तभ सही दगड है रो तुमर ( तभी सही साथ हो रहा है तुम दोनों का )। 

ओर फिर रमिया की ईजा को आवाज लगाते , याँ ( यहाँ ) आ बेर ( आकर ) देख तो , द्विवी (दो  कुकुर ( कुत्ते ) कस्ये (कैसे ) भै (बैठे ) रई भीतर ( अंदर ) , इनर (इनके )  थै (लिये )  रोट साग लिया (ला ) तो जरा।

रमिया के अंदर इतना डर बैठा हुआ था के , वो बोज्यू ( पिता ) की कटाक्ष भरी बात को सुन कर भी  , ये सोच कर अनसुना कर देता की बोलने दो जो बोलते हैं , कहीं कुछ बोल दिया तो , कान पकड़ कर बाहर ना निकाल दें , ऐसे ही डबुवा कुकुर भी सोचता था शायद , वो भी चुपचाप पड़ा रहता था ।

इनको चुपचाप पड़ा देख कर , रमिया के बोज्यू ओर भूति ( गुस्सा ) जाते , ओर उनकी कड़मड शुरू हो जाती की ,मैं  प्रेम सिंह पधान कभी नही डरा बल  , रात बेरात कहीं भी चला जाता , पूरे गाँव में इस बात को लेकर धाक ठहरी ,  ओर औलाद देखो कितनी डरती है। 

जब तक वो सो नही जाते थे , तब तक यही डायलॉग बड़बड़ाते रहते , जब वो सो जाते तो ,  उनके सोते ही रमिया ओर डबुवा भी , चैन से सो जाते। 

ये सोचते हुये की सुबह होगी तो , घर से बाहर निकल कर खूब खेलेंगे ! 

स्वरचित लघु कथा 
सर्वाधिकार सुरक्षित                                                English version                                  

Sneaky ramia
Ramia was very afraid of smallness, it did not happen (evening), he used to enter the house, the family members were upset with this action.

 Bojue of Ramia used to fight against his belief that you heard the voice of Chhov Hauwau (ghost ghost) and made it a cowardly force.

 Ramiya's Eaja speaks on this, all the children of the village have also heard these things, but they are not afraid, but surely you too will be like that in childhood.

 Hearing this dialogue, Ramiya's friends would sit on the booze side, but Ramia did not mind this fight, he was sitting quietly in a corner like a knob, yes the people of the neighborhood definitely entertained him by their fight.  .

 Ramiya, who jumped all day, became so straightforward by evening that he used to take the path of the house directly, his breath would come when he entered the dehri.

 His Bojew (father) was very upset by seeing all this, but he did not understand what to do, he was also worried that, even after growing up, he was afraid like this, what would be the force of it.

 Many times he used to give thech (kill) to Ramia after coming to Reece (angry), but the fear of Ramia was not reduced to thatchne (beating).

 Fearing just like him in the evening, the dabuwa kukur (dog) that hid inside the house was his dearest companion, both of whom feared being afraid.

 The two used to stay together in one corner of the house, Ramia's Bojew (father) used to get irritated on seeing this.

 Speaking of Ramia, Tu lai dbuwa like kukur ch re re pakka (You are also a dog like this Dabuwa sure), I am rightly traumatized, you are (only then it is happening with both of you).

 And then make a sound of Ramiah's Eaja, ya (here) come and see (come), then Dwiwi (two Kukur (dogs) Kasye (how) Bhai (sitting) Rai inside (inside), Inner (his) Tha (for)  Take rot greens (la)

 Ramia was so scared inside, that even after listening to the sarcasm of Boju (father), it would be unheard of to think that someone who speaks, if he has spoken something, do not hold out his ear  , Likewise Dabuwa Kukur used to think that perhaps, he too was lying quietly.

 Seeing them lying quietly, Ramia's booze and bhuti (anger) would go on, and their bitter start would start, I love Prem Singh Padhan never scared, he would go anywhere at night, the whole village was shocked about this,  See how much she is afraid.

 Until he did not sleep, the same dialog kept on mumbling, when he slept, Ramiya and Dabuwa would sleep peacefully as soon as they slept.

 Thinking that it will be morning, get out of the house and play a lot!

 Scripted short story
 All rights reserved                               

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

Please give your compliments in comment box

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पीड ( दर्द ) Pain

बहुत दिनों से देखने में आ रहा था की कुँवरी का अनमने से दिख रहे थे ,खुद में खोये हुये ,खुद से बातें करते हुये ,जबकि उनका स्वभाव वैसा बिल्कुल नही था ,हँसमुख ओर मिलनसार थे वो ,पता नही अचानक उनके अंदर ऐसा बदलाव कैसे आ गया था, समझ नही आ रहा था के आखिर हुआ क्या।  कुंवरी का किस कदर जिंदादिल थे ये किसी से छुपा नही ठहरा ,उदास वो किसी को देख नही सकते थे ,कोई उदास या परेशान दिखा नही के कुंवरी का उसके पास पहुँचे नही ,जब तक जाते ,जब तक सामने वाला परेशानी से उबर नही जाता था ,अब ऐसे जिंदादिल इंसान को जब उदास परेशान होते देखा तो ,सबका परेशान होना लाजमी था ,पर कुँवरी का थे के ,किसी को कुछ बता नही रहे थे ,बस क्या नहा क्या नहा कह कर कारण से बचने की कोशिश कर रहे थे ,अब तो सुबह ही घर से बकरियों को लेकर जंगल की तरफ निकल पड़ते ओर साँझ ढलने पर ही लौटते ,ताकि कोई उनसे कुछ ना पूछ पाये ,पता नही क्या हो गया था उन्हें ,गाँव में भी उनका किसी से झगड़ा नही हुआ था ,ओर घर में कोई लड़ने वाला हुआ नही ,काखी के जाने के बाद अकेले ही रह गये थे ,एक बेटा था बस ,जो शहर में नौकरी करता था ,उसके बच्चे भी उसी के साथ रहते थ

बसंती दी

बसन्ती दी जब 15 साल की थी ,तब उनका ब्या कर दिया गया ,ससुराल गई ओर 8 साल बाद एक दिन उनके ससुर उन्हें उनके मायके में छोड़ गये ,ओर फिर कोई उन्हें लेने नही आया ,बसन्ती दी के बौज्यू कई बार उनके ससुराल गये ,पर हर बार उनके ससुराल वालों ने उन्हें वापस लेने से ये कहकर  इंकार कर दिया की ,बसन्ती बाँझ है ओर  ये हमें वारिस नही दे सकती तब से बसन्ती दी अपने पीहर ही रही।  बाँझ होने का दँश झेलते हुये बसन्ती दी की उम्र अब 55 के लगभग हो चुकी थी ,उनके बौज्यू ने समझदारी दिखाते हुये 10 नाली जमीन ओर एक कुड़ी उनके नाम कर दी थी ,ताकि बाद में उनको किसी भी प्रकार से परेशानी ना हो ,ओर वो अपने बल पर अपनी जिंदगी जी सके। बसन्ती दी ने उस जमीन के कुछ हिस्से में फलों के पेड़ लगा दिये ओर बाकि की जमीन में सब्जियाँ इत्यादि लगाना शुरू किया ,अकेली प्राणी ठहरी तो गुजारा आराम से चलने लगा ,भाई बहिनों की शादियाँ हो गई ,भाई लोग बाहर नौकरी करने लगे ,वक़्त बीतता चला गया। बसन्ती दी शुरू से ही मिलनसार रही थी ,इसके चलते गाँव के लोग उनका सम्मान करते थे ,ओर खुद बसन्ती दी भी ,लोगों की अपनी हैसियत अनुसार सहायता भी कर

देवता का न्याय

थोकदार परिवारों के ना घर में ही नही ,अपितु पूरे गाँव में दहशत छाई हुई थी ,कुछ दिनों से थोकदार खानदान के सारे घरों में ,घर के सदस्यों को पागलपन के जैसे लक्षण देखने को मिल रहे थे ,यहाँ तक की गाय भैंसों ने भी दूध देना बंद कर दिया था ,किसी को समझ नही आ रहा था की आखिर ये हो क्या रहा है। पहाड़ में अगर ऐसा होना लगे तो ,लोग देवी देवताओं का प्रकोप मानने लगते हैं ,ओर उनका अंतिम सहारा होता है लोक देवताओं का आवाहन ,इसलिये थोकदार परिवारों ने भी जागर की शरण ली। खूब जागा लगाई काफी जतन किये ,पर कौन था किसके कारण ये सब हो रहा था ,पता नही लग पा रहा था ,जिसके भी आँग ( शरीर ) में अवतरित हो रहा था ,वो सिर्फ गुस्से में उबलता दिखाई दे रहा था ,पर बोल कुछ नही रहा था ,लाख जतन कर लिये थे ,पर समस्या ज्यों की त्यों थी ,गाँव वाले समझ नही पा रहे थे की आखिर थोकदार परिवार को इस तरह परेशान कौन कर रहा है ,ओर तो ओर जगरिये उससे कुछ बुलवा नही पा रहे हैं ,अंत में गाँव में आया हुआ एक मेहमान बोला मेरे गाँव में एक नौताड़ ( नया ) अवतरित हुआ है ,उसे बुला कर देखो क्या पता वो कुछ कर सके ,थोकदार परिवार ने दूसर