हम जैसे प्रवासियों को पहाड़ों में दो चीजों का डर लगने वाला हुआ ,एक तो छोव ( भूत ) का ओर दूसरा ठहरा बाघ का।
भले ही हम लोग कितनी ही शेखी क्यों ना मार लें,पर अंदर ही अंदर डर तो लगने वाला ही हुआ।
दिन भर चौड़ी छाती करके घूमने वाले हम जैसे लोग रात होते ही भीगी बिराऊ ( भीगी बिल्ली ) जैसे बन जाते।
रात आठ बजते बजते खा पी कर टुप्प ( चुपचाप ) से बिस्तर में घुस जाते ओर फिर जब अच्छा उजाला हो जाता, तब ही बाहर को निकलते।
हम से अच्छा तो वहाँ का छोटा बच्चा होता, जो लघु शंका आने पर धड़ाक से दरवाजा खोल कर बाहर निकल जाता ,हम जैसे तो सुबह होने का इंतजार करते रहते।
सुबह होते ही फिर से निडर बनने का दिखावा करने लगते, मगर कभी कभी ये दिखावा भारी पड़ जाने वाला हुआ, ओर एक बार ऐसा ही हुआ।
एक बार की बात है की,हम गये थे गाँव ,ओर साथ हमारे कुछ शहरी मित्र भी थे,अब जब शहरी मित्र साथ हो तो,पहाड़ी होने के नाते बहादुर दिखना तो ठहरा ही, तो उस ग्रूप में सबसे बहादुर में गिनती हुई हमारी, सारे मित्र चुपचाप हमारे कहे अनुसार रह रहे थे,बहादुर बनने के चक्कर में हमनें उन्हें ओर डरा रखा था।
हमनें उनको भूत से लेकर बाघ जैसे खतरनाक जानवर के किस्से सुना सुना कर, इतना डरा रखा था क़ी,वो दिन में भी हमारे इर्द गिर्द ही रहते थे, इससे बहादुरी वाली फीलिंग आने वाली थी हमको।
एक दिन हम सबने गाड ( नदी ) वाली कुड़ी ( मकान ) में जाकर कुछ दिन रहने का प्लान बनाया, हमारी गाड ( नदी ) वाली कुड़ी ( मकान ) में हम लोग सर्दियों में ही रहने जाते थे, इसलिए गर्मियों में वहाँ कोई नही रहता था।
एक दिन हम लोग 6 - 7 दिन का खाने पीने का सामान लेकर चल दिये गाड ( नदी ) क़ी ओर ,साथ में मेरे गाँव का साथी बिशन को भी ले लिया, वो मछली पकड़ने में एक्सपर्ट ठहरा ओर भात दाल व रोटी भी अच्छा बना लेता था ओर दूसरी बात ये थी क़ी, वो वहाँ के चप्पे चप्पे से परिचित भी ठहरा, इसलिए वो हमारे बहुत काम का था।
लगभग 5 किलोमीटर की ढलान उतरने के बाद हम लोग पहुँच गये गाड ( नदी ) वाली कुड़ी ( मकान ) में, कुड़ी ( मकान ) काफी दिनों से बंद होने से अंदर काफी धूल जमी हुई थी, हम सबने मिल कर उसकी सफाई करके साफ कर दिया।
बिशन के द्वारा बनायें गये सुतर ( पत्तों ) का झाड़ू बड़ा काम आया, अंदर बाहर एकदम साफ हो गया था, सफाई ओर पैदल चलने के कारण भूख ओर थकान दोनों लग गई ठहरी, इसलिए हम लोग गाड ( नदी ) में नहाने चल दिये, बिशन ने वहाँ से कुछ मछलियाँ भी मार ली थी, जिनका मछली का सुरु ( झोल ) बना कर भात के संग खाने का प्लान था।
बिशन ने आँगन में चूल्हा जला कर एक कड़ाही में मछली पकने के लिये रख दी, तब तक मैनें चावल धो धा कर साफ कर दिये, मछली का झोल पकने के बाद चूल्हे पर भात चढ़ा दिया, ओर जब तक भात पकता ,हम पत्तल बनाने के लिये कुछ मालू के पत्ते तोड़ लाये ओर उनकी पत्तल बना दी।
भात पकते ही, हम सब खाने पर टूट पड़े, सबके सब भूखे जो ठहरे, दे धपोडा धपोड कर दी थी सबने, देखते ही देखते एक डेग भात ओर माछ के झोल क़ी कड़ाही खत्म हो गई ।
खाना खाने के बाद सबके सब लेट गये ,थके हुये तो थे ही सब, इसलिए लेटते ही सबको नींद आ गई ।
लगभग 2 - 3 घन्टे की नींद लेकर जब हम उठे तो शाम के 4 बज चुके थे,बिशन जुट गया शाम के खाने क़ी तैयारी में।
जैसे जैसे हल्का हल्का अँधेरा हो रहा था, मेरी बहादुरी कमजोर होती जा रही थी, क्योकिं अँधेरे में पहाड़ों में डर जो लगने वाला हुआ, पर सब साथ थे तो डर काबू में था।
इसी दौरान अचानक पानी पीने क़ी बाल्टी में एक पैर लगा ओर वो लुढ़क गई, सारा पानी फैल गया,ये देख कर रोटी पका रहा बिशन बोला क़ी ,अर्जुन भाई नीचे घट ( पनचक्की ) के पास वाले धारे से एक बाल्टी पानी भर लाओ जल्दी, फिर अँधेरा हो जायेगा ओर कोई तो जायेगा नही, क्योकिं डर लगेगा, तुम ठहरे पहाड़ी आदमी तुम ला भी दोगे।
बिशन ने ये बोल कर, मेरी स्तिथि इधर कुआँ, उधर खाई वाली सी कर दी थी, जाऊ तो डर लगे, ना जाऊ तो इज्जत खराब हो जाये, अंत में दिल मजबूत करके ओर प्रभु का नाम जपता हुआ, चल दिया धारे की ओर।
हाथ में पकड़ी प्लास्टिक की बाल्टी भी डर के मारे भारी लग रही थी, मन पैर आगे की तरफ बढाने का नही कर रहा ठहरा, पर मरता क्या ना करता, अपनी इज्जत बचाने के लिये जाना ही था ,तो मन मजबूत करके चल दिया।
आखिरकार धारे पर पहुँच गया, धारे में बाल्टी लगा कर भरने के लिये रख दी, जब बाल्टी भर रही थी,तो मन कह रहा था, जल्दी क्यों नही भर रही ये भी, भर जाती तो फटाफट निकल लेता इधर से।
बाल्टी के भरते ही, मैं बाल्टी उठा कर तेजी से कुड़ी ( मकान ) की ओर बढ़ने लगा, तभी ठोकर लगी ओर बाल्टी सहित मैं गिर गया, ओर सारा पानी गिर गया, मेरे गिरते ही किसी के तेज हँसने की आवाज आई, उसको सुनते ही मैनें बाल्टी छोड़ ऊपर को दौड़ काट दी।
अब कितनी तेज दौड़ काटी ये तो पता नही, पर जब साँस ली तो, खुद को, अपने आँगन में पाया, डर के मारे बुरा हाल हो रखा था, हाथ पैर थर थर काँप रहे थे।
बिशन ने पूछा क़ी क्या हुआ, ओर बाल्टी कहाँ है, जब उसे हँसने क़ी आवाज के बारे में बताया तो, वो जोर जोर से हँसने लगा, ओर फिर बोला क्या यार दादी घनेश चड ( चिडिया ) की आवाज से डर कर भाग आये तुम।
उसने बताया वो घनेश पक्षी की आवाज थी, ओर तुमने उसे छोव ( भूत ) की आवाज समझ लिया, ओर दौड़ काट दी, बाल्टी छोड़ कर वो भी।
इस तरह से मेरी फर्जी बहादुरी का पर्दाफाश हो गया।
स्वरचित संस्मरण
सर्वाधिकार सुरक्षित
English version
Busted of bravery ( busted meaning in hindi )
Emigrants like us were afraid of two things in the mountains, one was a Chhov (ghost) and the other a tiger.
No matter how much we may boast, but inside we are afraid.
People like us who roam with wide chests throughout the day would become like a wet cat at night.
At eight o'clock in the night, after eating and drinking, he would enter the bed from silently and then when he got good light, he would come out.
It would have been better for us to have a small child there, who would open the door with a bang when he got a little doubt, like we would have waited for morning.
As soon as dawn, they started pretending to be fearless again, but sometimes this show was going to be overwhelming, and this happened once.
busted meaning in hindi
Once upon a time, we had gone to the village and some of our urban friends along with them, now that when the urban friends are together, it is bound to be brave as a hill and then, we counted among the most brave in that group, All the friends were living quietly as we said, we had scared them more in the process of becoming brave.
We had told him stories of dangerous animals like ghosts and tigers, so scared that they used to live around us even during the day, then we got a lot of bracing force and bracing force.
busted meaning in hindi
One day we all planned to go to Kudi (house) with Gad (river) and stay for a few days, we used to stay in our Gad (river) Kudi (house) in winter, so no one lived there during summer. .
One day, we took 6 to 7 days of food and went towards the Gad (river), along with my village companion Bishan, he was an expert in fishing and he would have made rice and pulses good. And the other thing was that, he also got acquainted with the rumble there, so it was very useful for us.
busted meaning in hindi
After reaching the slope of about 5 kilometers, we reached the Kudi (house) of the stalled Gad (river), there was a lot of dust inside the Kudi (house) closed for a long time, we all got together and cleaned it. gave.
The broom of sutars (leaves) made by Bishan came in great use, it was very clean inside and outside, due to cleanliness and walking, both hunger and fatigue came to a halt, so we started bathing in Gad (river), Bishan. He also killed some fish from there, who had a plan to make fish sap (jhol) and eat it with rice.
Bishan burnt the stove in the courtyard and put the fish in a pan to cook, till then I washed the rice and cleaned it, after cooking the fish, put the flame on the stove, and till the rice is cooked, we will make the plate Took some Malu leaves and broke them.
As soon as the rice was cooked, we all broke down on the food, all of them who were hungry, they had beaten up, all of them had blown away, seeing a dag of rice and a pot of scallions finished.
busted meaning in hindi
After eating the food, all of them lay down, everyone was tired, so everyone fell asleep as soon as they lay down.
When we woke up around 2 - 3 hours of sleep, it was already 4 o'clock in the evening, Bishan got ready for the evening meal.
As the light was getting darker, my bravery was getting weaker, because fear in the mountains in darkness was going to be a fear, but everyone was in fear.
At the same time, suddenly, putting a foot in the bucket of drinking water, she rolled, all the water spread, seeing that the bishan was cooking the bread said, Arjun Bhai bring a bucket of water from the bottom of the ghat (water mill) soon, Then it will become dark and no one will go, because you will be scared, you will bring you a hill man.
By saying this, Bishan had made my position here well, and there, like a moat, if I go, I am afraid, if I go, then the honor will be spoiled, in the end, strengthening my heart and chanting the name of the Lord, went towards the current.
busted meaning in hindi
The plastic bucket caught in the hand also stopped looking heavy due to fear, the mind was not trying to move its feet forward, but what would it not do, had to go to save its honor, so the mind went strong.
Finally reached the box, put the bucket in the box to fill, when the bucket was filling, the mind was saying, why was it not filling too quickly, then it would have come out quickly.
As soon as the bucket was filled, I lifted the bucket and started moving towards the kudi (house), when I stumbled and fell along with the bucket, and all the water fell, there was a loud laughing sound as soon as I fell, listening to it. I left the bucket and cut the race up.
Now it is not known how fast the race was, but when I breathed, I found myself in my courtyard, was in a bad condition due to fear, hands and feet were trembling.
Bishan asked what happened, and where is the bucket, when he told him about the sound of laughing, he started laughing loudly, and then said, what is your grandmother running away scared of the voice of Ghanesh Chad (bird).
He told that it was the voice of Ghanesh bird, and you understood it as the sound of Chhov (ghost), and cut the race, leaving the bucket too.
In this way my fake bravery was exposed.
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