गुमानी का नाम कब ,हलिया गुमानी पड़ गया, उसे खुद पता नही ,पूरा गाँव उसे गुमानी हलिया के नाम से ही पहचानता था ,कोई अगर उसे गुमानी के नाम से ढूँढें तो गाँव वाले समझ नही पाते थे की कौनसा गुमानी को पूछ जा रहा है।
गुमानी को लोग हलिया कैसे कहने लगे ,इसके पीछे एक लम्बी कहानी है ,गुमानी कभी स्कूल जाया करता था ,ओर पढ़ने में काफी होशियार भी हुआ करता था ,पर किस्मत का पासा ऐसा पलटा की ,पढ़ने वाले गुमानी की पढ़ाई छूट गई ,ओर उसे लोगों का हल जोतना पड़ा ,हुआ यों की गुमानी के बौज्यू लोगों के खेतों में हल जोत कर ,अपने परिवार का भरण पोषण करते थे, जीवन ठीक ठाक चल रहा था ,गुमानी तब पढ़ने स्कूल जाया करता था ,होशियार होने के कारण ,गाँव के लोग कहते भी थे की खिम्मू हलियोक च्योल क्याई न क्याई बनोल ,ओर ये सच भी था ,क्योंकि गुमानी जिस तरह से अव्वल आता था ,उससे लगता भी था की ,वो पढ़ लिख कर कोई अच्छी नौकरी पा लेगा।
पर कहते हैं ना की जब बुरे दिन आते हैं तो चारों तरफ से आते हैं ,ऐसा ही कुछ गुमानी के परिवार के साथ हुआ ,एक दिन हल जोतते समय गुमानी के बौज्यू के पैर में हल का फाव बुड़ ( घुस ) पड़ा ,गुमानी के बौज्यू ने उसे हल्के में लिया ओर ढंग से ईलाज नही करवाया ,इससे हुआ ये की उनके पैर में सैप्टिक हो गया ,खूब ईलाज भी करवाया पर जब ठीक नही हुआ तो ,अंत में उसे घुड़ ( घुटने ) से काटना पड़ा ओर गुमानी के पिता अपाहिज हो गये ,अब हल चला नही सकते थे, तो घर में आने वाली आमदनी बंद हो गई ,खाने पीने की समस्या के साथ साथ , ओर एक समस्या ये भी आ गई की गुमानी की दो बड़ी बहनों की शादी कैसे होगी।
गुमानी के बौज्यू ये सोच सोच कर ओर बीमार रहने लगे ,घर में कमाने वाला कोई दूसरा था नही ,अंत में गुमानी ने तय किया की ,वो संभालेगा अब बौज्यू का काम।
इस तरह गुमानी ने घर संभालने के लिये पढ़ाई छोड़ दी ,अब वो अपने बौज्यू की तरह हल जोतने लग गया था ,मात्र 15 - 16 साल का गुमानी ,अब पढ़ने वाले बच्चे से हलिया गुमानी बन चुका था ,रोज किसी ना किसी का खेत जोतने ,वो सुबह सुबह अपने उन बैलों को लेकर निकल पड़ता ,जो उसके बौज्यू ने पाल रखे थे।
पसीने में तरबतर गुमानी हल जोतता ओर अपने घर को आर्थिक संकट से बाहर निकालने की जद्दोजहद करता ,उसकी मेहनत रंग ला रही थी ,क्योंकि अब उसके घर की स्तिथि में ,थोडा थोडा सुधार आने लगा था।
गुमानी अब दोनों बहनों की शादी को लेकर चिंतित था,वो चाहता था की ,सही वक़्त पर उनकी शादी हो जाये ,उसने इसके लिये गाँव के प्रधान को, कुछ कर्ज देने को भी राजी कर लिया था ,इस तरह गुमानी ने अपनी मेहनत के बल पर दोनों बहनों की शादी कर ,एक बड़ा बोझ अपने व अपने बौज्यू के सिर से उतार दिया था।
गुमानी ,हलिया गुमानी जरूर बन गया था ,पर उसके हलिया बनने ने ,गरीबी की गर्त में डूबे उसके परिवार को बाहर निकाल दिया था, गुमानी को कभी इस बात का बुरा नही लगा की ,लोग उसे हलिया गुमानी कहते थे ,ओर लगता भी क्यों ,आखिरकार हलिया बन कर ही तो ,वो फिर से अपने परिवार को अपने पैरों पर खड़ा कर पाया था।
स्वरचित लघु कथा
सर्वाधिकार सुरक्षित
हिंदी अनुवाद
हलिया
गुमानी का नाम कब हलिया गुमानी पड़ गया उसे खुद पता नही ,पूरा गाँव उसे गुमानी हलिया के नाम से ही पहचानता था ,कोई अगर उसे गुमानी के नाम से ढूँढें तो गाँव वाले समझ नही पाते थे की कौनसा गुमानी को पूछ जा रहा है।
गुमानी को लोग हलिया कैसे कहने लगे ,इसके पीछे एक लम्बी कहानी है ,गुमानी कभी स्कूल जाया करता था ,ओर पढ़ने में काफी होशियार भी हुआ करता था ,पर किस्मत का पासा ऐसा पलटा की ,पढ़ने वाले गुमानी की पढ़ाई छूट गई ,ओर उसे लोगों का हल जोतना पड़ा ,हुआ यों की गुमानी के पिता लोगों के खेतों में हल जोत कर ,अपने परिवार का भरण पोषण करते थे, जीवन ठीक ठाक चल रहा था ,गुमानी तब पढ़ने स्कूल जाया करता था ,होशियार होने के कारण ,गाँव के लोग कहते भी थे की खिम्मू हलिया का बेटा ,कुछ ना कुछ बन जायेगा ,ओर ये सच भी था ,क्योंकि गुमानी जिस तरह से टॉप आ रहा था ,उससे लगता भी था की ,वो पढ़ लिख कर कोई अच्छी नौकरी पा लेगा।
पर कहते हैं ना की जब बुरे दिन आते हैं तो चारों तरफ से आते हैं ,ऐसा ही कुछ गुमानी के परिवार के साथ हुआ ,एक दिन हल जोतते समय गुमानी के पिता के पैर में हल का फाव घुस पड़ा ,गुमानी के पिता ने उसे हल्के में लिया ओर ढंग से ईलाज नही करवाया ,इससे हुआ ये की उनके पैर में सैप्टिक हो गया ,खूब ईलाज भी करवाया पर जब ठीक नही हुआ तो ,अंत में उसे घुटने से काटना पड़ा ओर गुमानी के पिता अपाहिज हो गये ,अब हल चला नही सकते थे तो ,घर में आने वाली इनकम बंद हो गई ,खाने की समस्या के साथ साथ , एक समस्या ये आ गई की ,गुमानी की दो बड़ी बहनों की शादी कैसे हो।
गुमानी के पिता ये सोच कर ,ओर बीमार रहने लग गये ,घर में कमाने वाला कोई दूसरा था नही ,अंत में गुमानी ने तय किया की ,वो संभालेगा अब पिता का काम।
इस तरह गुमानी ने घर संभालने के लिये पढ़ाई छोड़ दी ,अब वो अपने पिता की तरह हल जोतने लग गया था ,मात्र 15 - 16 साल का गुमानी अब ,पढ़ने वाले बच्चे से ,हलिया गुमानी बन चुका था ,रोज किसी ना किसी का खेत जोतने वो सुबह अपने उन बैलों को लेकर निकल पड़ता ,जो उसके पिता ने पाल रखे थे।
गुमानी लोगों के खेतों में हल जोतता ,ओर अपने परिवार को आर्थिक संकट से ,बाहर निकालने की जद्दोजहद करता ,उसकी मेहनत रंग ला रही थी ,क्योंकि अब उसके घर की स्तिथि में ,थोडा थोडा सुधार आने लगा था।
गुमानी अब दोनों बहनों की शादी को लेकर चिंतित था,वो चाहता था की सही वक़्त पर उनकी शादी हो जाये ,उसने इसके लिये गाँव के प्रधान को ,कुछ कर्ज देने को भी राजी कर लिया था ,इस तरह गुमानी ने अपनी मेहनत के बल पर ,दोनों बहनों की शादी कर दी ,ओर एक बड़ा बोझ अपने व अपने पिता के सिर से उतार दिया था।
गुमानी ,हलिया गुमानी जरूर बन गया था ,पर उसके हलिया बनने ने ,गरीबी की गर्त में डूबे उसके परिवार को बाहर निकाल दिया था, गुमानी को कभी इस बात का बुरा नही लगा की ,लोग उसे हलिया गुमानी कहते थे ,ओर लगता भी क्यों ,आखिरकार हलिया बन कर ही तो ,वो फिर से अपने परिवार को अपने पैरों पर खड़ा कर पाया था।
स्वरचित लघु कथा
सर्वाधिकार सुरक्षित
English version
Halia
When Gumani's name fell as Halia, he himself does not know, the whole village used to recognize him as Gumani Halia, if someone searches him by the name of Gumani, then the villagers could not understand which Gumani is being asked.
How people started calling Gumani as Halia, there is a long story behind it, Gumani used to go to school, and used to be very clever in studies, but the luck turned such that the student missed his studies, and he had to plow, it happened that Gumani's father used to feed his family by plowing people's fields, life was going well, Gumani go to school to study then, because of being clever , he lived in the village. People also used to say that Khimmu will become Halia's son, something or the other, and this was also true, because the way Gumani was coming on top, it also seemed that he would get a good job by reading.
But it is said that when bad days come, they come from all sides, the same thing happened with Gumani's family, one day Gumani father while plowing the plow, a shovel of plow entered Gumani's father's feet, Gumani's father lightened him. took it and did not get the treatment done properly, it happened that he got septic in his leg, got a lot of treatment done but when it didn't get better, he had to amputate his knee in the end and Gumani's father became crippled, now the solution is not working. If possible, the income coming in the house stopped, along with the problem of food, a problem came that how would the two elder sisters of Gumani get married.
Gumani's father started getting sick thinking this, there was no other earning person in the family , in the end Gumani decided that he would take care of his father's work.
In this way, Gumani left his studies to take care of the family , now he started plowing like his father, only 15 - 16 years old, Gumani had become a haliya from a reading child, he had to plow someone's field every day. He would go out in the morning with his oxen which his father had kept.
Gumani used to plow the fields of the peoples, and struggled to get his family out of the financial crisis, his hard work was paying off, because now the condition of his family was starting to improve little by little.
Gumani was now worried about the marriage of both the sisters, he wanted them to get married at the right time, he had also agreed to give some loan from the village headman for this, in this way Gumani earned both on the strength of his hard work. By marrying the sisters, a huge burden was taken off from his and his father's head.
Gumani had become Halia Gumani, but his becoming Halia had driven his family out of poverty, Gumani never felt bad that people used to call him Halia Gumani, and he think why After all, he was able to get his family back on his feet only after becoming a haliya.
composed short story
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