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भागुली आमा

भागुली आमा
खाव ( आँगन ) के भिड (दीवार ) में बैठी आमा लगातार गयाने में मशगूल थी, बीच में चुप तब हो रही थी ,जब बगल में रखे गिलास से चाय पीती, उन्हें गलियाते देख लोग समझ जाते की, कोई उनकी जमीन से या तो घास काट रहा है या कोई गाय चरने आ गई।
भागुली आमा का रोज का नियम था की वो खाव ( आँगन ) की भिड (दीवार ) में आकर बैठ जाती ओर, नीचे खेतों  पर नजर रखती, जमीन भी कम नही ठहरी 150 नाली का चक ठहरा पूरा ,पूरे गाँव में इतनी इकट्ठी जमीन सिर्फ भागुली आमा लोगों के पास ही थी।
भागुली आमा के पति गाँव के पधान थे, उनके परिवार को पधानचारी विरासत में मिली थी, भागुली आमा के सौरज्यूँ भी पधान थे, इसलिए उन लोगों को पधानचारी की कुछ जमीन मिली थी ,ओर पुश्तैनी पैसा भी ठहरा ही , सो नीचे आसपास की सारी जमीन खरीद कर एक चक सा बना लिया था।
कभी खूब अनाज होता था, इन जमीनों में, नौकर चाकर भी ठहरे, पर अब कहीं कहीं खाने लायक अनाज लगाते हैं, आमा ओर उनके पति अब अकेले रहते हैं गाँव में, छोटा मोटा काम करने के लिये रमिया है, जो बचपन से ही भागुली आमा के घर काम करता था, रमिया ओर रमिया की स्याणी ( पत्नी ) आमा लोगों का काम सम्भालते हैं।

भागुली आमा का वैसे तो भरापूरा परिवार है तीन बेटे हैं, जो अच्छे पदों पर नौकरी करते हैं, बहुएँ भी नौकरी वाली हुईं, इसके चलते गाँव में कोई नही रहता,इसके चलते अब भागुली आमा की जमीनें अब बंजर हो गई हैं, पर इसमें भी आमा ने कमाई का जुगाड़ बना लिया, खाली जमीन में उगने वाली घास को बेचने का,ओर इसके कारण ही आमा, रोज खाव (आँगन ) के भिड ( दीवार ) में बैठी रह कर नजर रखती है की, कोई उनकी जमीन से घास तो नही काट रहा या किसी के जानवर तो नही घुस गये, जब कोई घुस जाता है तो आमा खाव में बैठी बैठी गाई ( गाली ) देना शुरू कर देती है, आखिर कमाई का सवाल जो ठहरा, साल भर में 25 - 30 हजार की घास बेच देती है आमा।
भागुली आमा पूरी बिजनसवुमन ठहरी, कमाई को लेकर कोई समझौता न करना उनकी आदत में शुमार था,खुद की जमीन में जब खेती करना बंद हुआ तो, बंजर जमीन में उगने वाली घास को कमाई का जरिया बना लिया, अब पहाड़ में घास का बड़ा महत्व ठहरा, खासकर उनके लिये जो जानवर पालते हैं, बस इस मौके को अवसर में तब्दील कर लिया भागुली आमा ने,अब वो बात अलग है की, इसके लिये आमा को दिनभर खाव में बैठा रहना पड़ता है ओर कभी कभी गाली भी देनी पड़ती है।
भागुली आमा केवल कमाई में मशगूल रहती हो ऐसा भी नही है,भागुली आमा की एक ओर छवि है गाँव में वो है लोगों की सहायता करने की, जब भी किसी को पैसों की सख्त जरूरत होती तो ,लोग कहते की भागुली पधानी वाँ जाबेर ली आओ ,ओर आमा यानी भागुली पधानी उनकी सहायता अवश्य करती, घास के नुकसान होने पर गाली देने वाली आमा, तब बिना ब्याज के पैसा देकर जरूरतमंद का काम निकाल देती।

स्वरचित लघु कथा 

सर्वाधिकार सुरक्षित
English version

Bhaguli Amma
 Ama sitting in the wall of the courtyard was constantly engaged in abusing, was getting silent in the middle, when she drank tea from the glass kept next, people would understand that someone is cutting grass from their land or someone  The cow has come to graze.
 Bhaguli Ama's daily rule was that she would sit in the wall of the courtyard and keep an eye on the fields below, the land was not less, about 35-36 thousand yards , so much land was collected in the whole village.
 Bhaguli Ama's husband was the head of the village, his family had inherited the Padhanchari, Bhaguli Ama's father-in-law was also the Padhan, so they got some land of the Padhanchari, and there was also ancestral money, so all the land around below  I had bought it and made a chak.
 Once there was a lot of grain, in these lands, servants were also there, but now they plant food grains somewhere, Ama and her husband now live alone in the village, there is Ramia to do small jobs, who ran since childhood  Used to work at Ama's house, Ramia and Ramiya's estranged wife Ama takes care of the people's work.

 Although Bhaguli Ama has a full family, there are three sons, who work in good positions, daughters-in-law also do jobs, no one lives in the village, due to this, now the lands of Bhaguli Ama have become barren, but in this also Ama  she has made a juggle of earning, to sell the grass that grows in the vacant land, and because of this, Ama, sitting in the wall of the courtyard every day, keeps an eye on whether someone is cutting grass from their land or if someone's animal is  Did not enter, when someone enters, Ama sitting in the courtyard starts abusing, after all, what was the question of earning, Ama sells grass worth 25-30 thousand in a year.
 Bhaguli Ama was a complete businesswoman, it was in her habit not to compromise on earning, when she stopped farming in her own land, she made the grass growing in the barren land as a means of earning, now the grass has great importance in the mountain.  Especially for those who keep animals, Bhaguli Ama has just converted this opportunity into an opportunity, now that thing is different, for this Ama has to sit in the courtyard all day and sometimes she has to abuse.
 Bhaguli Amma is busy only in earning, it is not so, there is another image of Bhaguli Ama in the village, she is there to help people, whenever someone is in dire need of money, people say that Bhaguli Amma should go there and take her.  Come, and Amaa definitely help them, Ama who abuses on loss of grass, would then do the work of the needy by giving money without interest.

 composed short story

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