बिल्लू
बिल्लू कुकुर को ठुल ईजा ने तब से पाला ठहरा, जब उसकी आँखें भी नही खुली ठहरी, बिल्लू को जन्म देने के बाद ही उसकी माँ को गुलदार ले गया था,इस कारण बिल्लू ओर बिल्लू के पाँच भाई बहिन अनाथ हो गये, गाँव के लोग एक एक बच्चा ले गये, लास्ट में बच गया था बिल्लू, सबसे कमजोर ठहरा, शायद इसीलिए कोई नही ले गया।
ठुल ईजा को दया आई, ओर वो बिल्लू को उठा लाई, ये सोच कर की, यहाँ तो मर ही जायेगा ,पाल लूँगी तो क्या पता बच जाये।
इस तरह बिल्लू को घर मिल गया, दुबला पतला बिल्लू, घर के एक कोने में चुपचाप पड़ा रहता, ठुल ईजा उसे टाइम टाइम पर दूध पिला देती, कुछ दिनों बाद बिल्लू की आँखें भी खुल गई, वो अब थोडा़ थोडा़ इधर उधर जाने लगा।
ठुल ईजा ने बिल्कुल बच्चे की तरह पाल कर बिल्लू को बड़ा किया ठहरा, इसके चलते दोनों के बीच गहरा लगाव था।
बिल्लू का नाम बिल्लू कैसे रखा ठुल ईजा ने ,इसकी भी कहानी है, बिल्लू जब छोटा था तो, ठुल ईजा की पाली बिल्ली से बहुत डरता था, ओर ठुल ईजा बोलती बिराऊ दगड़ डरनी वाव बिल्लू, बस बाद में बिल्लू इसी नाम से बुलाया जाने लगा।
बिल्लू दिन भर ठुल ईजा के इर्द गिर्द मंडराता रहता था ओर अगर ठुल ईजा बिल्लू को नही दिखती तो, वो पूरे गाँव का चक्कर लगा देता, जब दिख जाती तो कूँ कूँ की आवाज कर शिकायत करता।
बिल्लू वैसे तो शाँत प्रकृति का था, बच्चे उससे कितना ही छेड़खानी कर ले, तब भी कुछ नही करता था, पर कोई ठुल ईजा से ऊँची आवाज में बोल देता तो, उसे बुकाने दौड़ पड़ता, उसे बिल्कुल भी पसंद नही था की, कोई ठुल ईजा से कुछ कहे।
गाँव वाले ठुल ईजा से कहते भी थे, यो छ त्यौर असली च्यौल, क्याई कोण न दिण त्वे कं,बुकुने दौड़ पड़ूँ।
बिल्लू सच में ऐसा ही था, ठुल ईजा के खिलाफ कोई बोले उसे पसंद नही था, यहाँ तक की ठुल बौज्यू भी नही बोलते थे, क्योकिं बिल्लू उनके ऊपर भी गुर्राने लग जाता था, ठुल बौज्यू ठुल ईजा से कहते भी थे, यो सही पाल राखो त्वैल, कोई क्या न कै सकन त्वे कं, बु्का जो दयौल।
पता नही बिल्लू ऐसा क्यों करता था, ठुल ईजा भी इस बात पर हैरान होती थी, बिल्लू जैसे जैसे बड़ा हो रहा था, उसका ठुल ईजा से लगाव बढता जा रहा था।
एक बार ठुल ईजा कुछ दिनों के लिये बड़े बेटे के हल्द्वानी चली गई, बिल्लू ने दो दिन तक रो रो कर गाँव सिर में उठा लिया, कई दिनों तक खाया नही, मरने जैसा हो गया, तब ठुल बौज्यू ने गाडी चलाने वाले रमेश के हाथ जवाब भिजवाया की, जल्दी आजा नतर यो बिल्लू मर जाँ, बिल्लू के लिये ठुल ईजा को बीच में ही लौट कर आना पड़ा।
ठुल ईजा जब लौटी तो, बिल्लू अपनी भाषा में कूँ कूँ करके खूब देर तक ठुल ईजा से शिकायत करता रहा, ठुल ईजा भी उससे बतियाती रही ,जब ठुल ईजा ने बिल्लू को दूध में ओल कर रोटी दी, तब जाकर बिल्लू ने भूख हड़ताल तोड़ी सच में बड़ा अनोखा रिश्ता था बिल्लू ओर ठुल ईजा के बीच।
स्वरचित लघु कथा
सर्वाधिकार सुरक्षित
English Version
Billu
Billu dog was brought up by Taiji, when his eyes were not even open, only after giving birth to Billu, his mother was taken to Guldar, due to this, five brothers and sisters of Billu and Billu became orphans, the people of the village were Took a child, Billu was the last survivor, was the weakest, maybe that's why no one took it.
Taiji felt pity, and she picked up the dog, thinking that he will die here, what will be left if I take care of him.
In this way Billu got home, lean slender Billu, would lie quietly in a corner of the house, Taiji would give him milk from time to time, after a few days Billu's eyes also opened, now he started moving little by little.
Taiji raised Billu like a child, due to which there was a deep attachment between.
There is also a story of how Taiji named Billu as Billu, when Billu was young, he was very much afraid of Taiji's cat, and Taiji was afraid of the talking cat, Billu, later Billu came to be called by this name.
Billu used to hang around Taiji throughout the day and if Taiji did not see Billu, he would go round the whole village, when he was seen, he would complain by whining.
Although the dog was of a calm nature, no matter how much the children molested him, he did not do anything, but if someone spoke in a loud voice to Taiji, he would have run to bite him, he did not like it at all, someone from Taiji Say something.
The villagers used to say to Taiji, this is your real boy, he does not let you speak, he comes to bite.
Billu was really like this, he did not like anyone saying against Taiji, even Tauji did not speak, because Billu used to growl at him too, Tauji tell to Taiji, you have kept it right. No one can say anything to you, who will eat the bite.
Don't know why Billu used to do this, Taiji was also surprised at this, as Billu was growing up, his attachment to Taiji was increasing.
Once Taiji went to the elder son's Haldwani for a few days, Billu raised the village in his head crying for two days, did not eat for several days, became like dying, then Tauji sent the answer to Ramesh, who was driving the car. That, if you don't come soon, this cat will die, Taiji had to come back midway for Billu.
When Taiji returned, Billu kept complaining in his own language for a long time, Taiji also kept talking to him, when Taiji gave bread to Billu by putting it in milk, then Billu broke the hunger strike. Really very Unique relation Between Billu and taiji.
composed short story
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Gagap
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