देवभूमि उत्तराखंड में जहाँ देवताओं का निवास माना जाता है, वहीं भूत प्रेतों के किस्से भी कम प्रचलित नही हैं ,स्थानीय लोगों में भी इनका भी काफी प्रभाव देखने को मिलता है,हालाँकि मेरे साथ ऐसा कोई वाक्या पेश नही आया, जिससे ये साबित हो की ये वास्तविक रूप में मौजूद हो, हाँ पर कुछ ऐसे हादसे पेश हुये, जिससे एक आद बार को लगा की ,ये वास्तविक रूप से मौजूद हैं, पर ये केवल छलावा साबित हुये, मन का वहम ओर लोगों द्वारा प्रचलित बातों के कारण ऐसा हुआ।
जब भी छुट्टियों में गाँव जाना होता तो, वहाँ जाकर इन भूत प्रेतों के किस्सों का डर अपने आप मन में बैठ सा जाता, दिन ढलने के साथ तो ये ओर बढ़ जाता, रात में तो अकेले सोने में भी डर लगता, इस कारण हमउम्र साथी मजाक भी उड़ाते ,पर डर के कारण उसे सहन भी करना पड़ता की, कहीं ये लोग साथ ना छोड़ दें।
सच कहूँ तो बडी विचित्र स्तिथि होती थी उस दौरान, अब किसी शहरी बालक के मन में इन भूत प्रेतों के किस्सों का डर बैठ जाए तो, समझा जा सकता है उसके मन की स्तिथि, ऊपर से निडर होने का दिखावा ओर अंदर से व्याप्त डर, अजीब सी हालत कर देती थी,पर पहाड़ के प्रति लगाव ऐसा था की मौका मिलते ही गाँव की ओर खुशी खुशी प्रस्थान कर जाते, मन में भूत प्रेतों का डर साथ लेकर।
दिनभर खूब उछल कूद मचाना ओर शाम होते ही, मन के डर के साथ अंदर घुस जाना, यही दिनचर्या होती थी, जैसे थोडा़ मन को समझा कर,मन का डर कम करते तो, उस दिन कोई ना कोई फिर इन भूत प्रेतों का कोई नया किस्सा सुना देता, ओर मन से बाहर निकल रहा डर, फिर से मन के अंदर घुस जाता।
सच कहूँ तो पहाड़ों में रात बड़ी डरावनी होती है, घुप्प अँधेरा चारों तरफ सन्नाटा ,ओर उसी सन्नाटों के बीच कभी कभी अजीबोगरीब आवाजें, जब सुनाई दे जाती है तो, अंदर तक सिहरन उठ जाती है।
किसी तरह मन को समझा बुझा कर मना लो तो, गाँव के लोग इन भूत प्रेतों के किस्से सुनाकर, आपके समझे हुये मन की ऐसी तैसी कर देंगें, अगर मन को फिर से समझाओ तो ,वो भी कहने लगाता है, तू ही समझदार लगता है, इतने लोग भूत भूत बोल रहे हैं, उसके किस्से सुना रहे हैं वो पागल हैं ना,, बडी विचित्र स्तिथि हो उठती उस समय की मन सही है या भूत की बात बताने वाले लोग।
पहाड़ से अत्यंत लगाव होने की वजह से, इन भूत प्रेतों के किस्से थोडा़ कमजोर पड़ जाते थे, क्योकिं मैनें कभी गाँव जाने का कोई मौका नही छोड़ा, रात ही तो डरावनी होती थी, दिन तो मजेदार होते थे, रात तो कैसे भी कट जायेगी, हमेशा गाँव गया ओर वहाँ का माहौल खूब जिया।
अब बताता हूँ इस कहानी के पात्र मुड़कट्टी के बारे में, जिसके किस्से काफी प्रचलित थे गाँव में, ओर कई लोग तो ये तक कह देते की मैलि देखो मुड़कट्टी ( मैनें देखा मुड़कट्टी ) अब कितनी सत्यता होती थी उनकी बातों में, ये तो पता नही पर इधर भय व्याप्त हो जाता था खाली पीली।
इस मुड़कट्टी के बारे में सबकी बातों में एक चीज कॉमन होती थी की, ये रोड किनारे जो पशु चिकित्सालय है, वहाँ जो टूडी का रुख ( पेड ) है वहीं दिखता है, दिखने का दावा करने वाले अधिकतर लोगों ने उसी जगह के लिये बोला।
अब मेरे जैसे व्यक्ति के साथ समस्या ये की मेरे गाँव के बाजार का रास्ता इसी पेड के सामने से होता हुआ जाता, हालाकिं लोग बाग दिन रात यहाँ से आते जाते रहते थे, पर मेरे जैसे के लिये ये जगह भय का वातावरण बना देती थी, हालांकि हजारों बार मैं भी गया इस पेड के सामने से, मुझे कभी कुछ नही दिखा, पर जब भी उधर से गुजरता भय के आवरण में लिपट कर ही गुजरता।
एक साल की बात है, तब दसवीं की परीक्षा देने के बाद अपने एक मित्र के साथ गाँव छुट्टियाँ बीताने के लिये आया हुआ था, तो बाजार के पास रहने वाले कुछ मित्रों ने, हम दोनों को पार्टी में बुलाया, शाम को पार्टी रखी गई, शिकार पकाया गया, खाते खाते रात के नौ बज गये, अब वक़्त आ गया था, अपने अपने घर जाने का, दोस्तों ने बोला डरते तो नही होंगें , बहादुर गाँव के निवासी जो हो ,ये सुनकर थोडा़ जोश ओर थोडा़ गाँव की इज्जत का ख्याल करते हुये, मैनें डर क्या चीज होती है बोल कर, अपने घर के लिये निकल लिये,हालाकिं अंदर डर बैठा हुआ था, क्योकिं रास्ते में उस मुड़कट्टी वाली जगह से गुजरना था, इसलिए मैनें ऐतिहातियन अपने मित्र को मुड़कट्टी के बारे में बता दिया, ओर साथ ही ये दिलासा दी की डराना मत, वो बात अलग थी की हालत इधर भी कुछ ठीक नही थी।
अंधेरी रात में हम दोनों घर की ओर जा रहे थे, मुड़कट्टी की जगह वाला पेड भी नजर आने लगा था, उस पर नजर पड़ते ही डर थोडा़ ओर बढ़ गया, पर बहादुर गाँव के बहादुर लोग की बात के कारण गाँव जाना ही था कैसे भी, इसलिए चलते रहे ओर उस पेड से कुछ कदम की दूरी ही रही होगी की, अचानक उस पेड के नीचे, सफेद कपड़े में कोई बैठा सा नजर आया, देखते ही पैर जड़ हो गये, लगा आज मुड़कट्टी से भेट हो ही गई, दिल इतनी जोर से भट भट कर रहा था की, खुद को सुनाई देता महसूस हो रहा था, मैनें मेरे मित्र का हाथ कस कर पकड़ा ओर उसे बोला देख भाई जो होगा देखा जायेगा, कैसे भी हमको घर तक पहुँचना है, इसलिए जब मैं तुझे दौड़ कहूँ, तू मेरा हाथ पकड़ कर दौड़ पड़ना,फिर मैनें उसका हाथ पकड़ कर दौड़ बोला ओर हम दोनों गोली की तरह उस पेड के सामने से होते हुये गाँव की तरफ दौड़ पड़े।
दौड़ते दौड़ते कब ,उस पेड के सामने से गुजर गये पता नही लगा, अगले मोड़ पर पहुँचे ही थे की, मेरा साथी बोला, यार मेरी कमीज की जेब में रखा चश्मा गिर गया अभी अभी, हमने मुड़ कर जैसे ही देखा तो, क्या देखते हैं की ,उस पेड के नीचे दिखा सफेद कपड़े वाला व्यक्ति भागता हुआ, हमारी ही ओर आ रहा है, बस फिर क्या था हमने फिर दौड़ लगा दी, साँसें बुरी तरह फूल चुकी थी, लडखडाते हाँफते किसी तरह घर के नीचे सड़क पर बनी दुकानों तक पहुँचे, एक आद दुकान खुली थी, कुछ लोग बैठे भी थे, उन्हें देख कर वहीं दुकान के आगे हम पसर गये, इतने में वो सफेद कपड़े वाला भी पहुँच गया, देखा तो वो गाँव में रहने वाला जानकार ही निकला, वो दारू ज्यादा पी गया था, ओर नशे की हालत में ,टूडी के पेड के नीचे बैठ गया ,ओर जब हम भागे तो वो भी हमको देख कर ये सोच कर भागने लगा की पता नही ये क्यों भाग रहे हैं ,ओर वो भी डर के मारे भागने लगा।
इस तरह से मुड़कट्टी के चक्कर में, हमारी जबरदस्त परेड हो गई, मेरे साथी को तो ,भागने की थकान के चलते बुखार तक आ गया ओर उसके बाद वो जितने भी दिन गाँव रहा शाम होते ही, बाहर ही नही निकलता था ।
स्वरचित संस्मरण
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English Version
Ghost without head
Devbhoomi is considered to be the abode of the gods in Uttarakhand, while the tales of ghosts are not less prevalent, they also have a lot of influence among the local people, although I did not come across any such incident, which proves that They may be present in real form, yes, but some such incidents have happened, due to which once felt that they are present in reality, but they proved to be only a hoax, this happened due to the prevailing things of the mind and people.
Whenever I had to go to the village during the holidays, the fear of tales of these ghosts would automatically sit in my mind, as the day progressed, I was afraid to sleep alone at night, that's why we are friends. He used to make fun too, but due to fear, he had to bear it, that these people should not leave him.
To be honest, it used to be a very strange situation, during that time, now if the fear of the stories of these ghosts and ghosts sit in the mind of an urban child, then it can be understood that his state of mind, the pretense of being fearless from above and the fear prevailing from inside, It used to make a strange condition, but the attachment to the mountain was such that as soon as the opportunity was given, he would go happily towards the village, carrying the fear of ghosts and ghosts in his mind.
Jumping a lot throughout the day and entering the evening with the fear of the mind, this was the routine, as if by understanding the mind a little, if we reduce the fear of the mind, then someone or the new of these ghosts and ghosts. Would have told the story, and the fear coming out of the mind, would again enter inside the mind.
To be honest, the night in the mountains is very scary, there is silence all around, and in the midst of the same silence, sometimes strange voices, when heard, shudder to the inside.
If you convince your mind by explaining it in some way, then the people of the village, by telling the tales of these ghosts, will make your mind understand in such a way, if you explain the mind again, it also starts saying, You seem intelligent. So many people are talking about ghosts, they are telling stories about them, they are crazy, are they not, a very strange situation arises at that time is the mind right or the people who tell about the ghost.
Due to the great attachment to the mountain, the tales of these ghosts used to be a little weak, because I never missed any chance to go to the village, the night was scary, the days were fun, how will the night be cut? , always went to the village and the atmosphere there lived well.
Now I will tell about the character of this story, Mudkatti ( Ghost without head ), whose tales were very popular in the village, and many people would have even said that I have seen how much truth there was to Mudkatti ( Ghost without head ) in his words, I do not know this, but fear prevails here. Used to go empty yellow.
One thing was common in everyone's talk about this Mudkatti ( Ghost without head ), that this roadside veterinary hospital, the tudi tree is visible there, most of the people who claimed to be seen said for the same place.
Now the problem with a person like me is that the road to the market of my village would pass through this tree, although people used to come from here day and night, but for me this place created an atmosphere of fear, Although I went thousands of times in front of this tree, I never saw anything, but whenever I passed by it would have been wrapped in a veil of fear.
It is a matter of one year, then after giving the tenth examination, I had come to the village with a friend to spend the holidays, then some friends living near the market called both of us to the party, in the evening the party was held, The hunt was cooked, it was nine o'clock in the night after eating, now the time had come, to go to your own house, friends said, you will not be afraid, who are the residents of the brave village, after hearing this, a little enthusiasm and a little care of the respect of the village While doing so, I left for my house, saying what is fear, but inside there was fear, because I had to pass through that twisted place on the way, so I told my friend about the muddakti ( Ghost without head ) as a precaution, And at the same time it was comforting not to be intimidated, that thing was different that the condition was not good even here.
In the dark night, both of us were going towards the house, the tree at the place of Mudkatti ( Ghost without head ) was also visible, as soon as we saw it, the fear increased slightly, but due to the words of the brave people of the brave village, the village had to go anyway. , So keep walking and it must have been a few steps away from that tree that, suddenly, under that tree, someone was seen sitting in a white cloth, on seeing it, the feet got stuck, felt that today I have met with the twist, the heart is so much I was wandering loudly that, I felt myself being heard, I held my friend's hand tightly and said to him, brother, what will happen will be seen, how we have to reach home, so when I tell you to run You hold my hand and run, then I held his hand and ran and we both ran towards the village passing through that tree like bullets.
I didn't know when I had passed in front of that tree while running, had reached the next turn, my friend said, man the glasses kept in my shirt's pocket have fallen just now, as soon as we turn and look, what do you see? That the white clothed person seen under that tree is running towards us, what was it then we ran again, the breath was very bad, somehow reached the shops built on the road under the house , A few shop was open, there they spread in front of the shop, in this he also reached the white clothed person, when he saw that he turned out to be a knowledgeable person living in the village, he had drunk too much alcohol, when he did not go away, He sat under the tudi tree, and when we ran, he also started running after seeing us.
In this way, in the midst of mudkatti ( Ghost without head ) there was a tremendous parade, my companion even got fever due to tiredness of running.
vocal memoir
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Bahut khub Jijaji
जवाब देंहटाएंBahut khub jijaji.
जवाब देंहटाएंUm Great one!💫❤
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा। यह समझ नहीं पाया कि यह किस्सा है या आपबीती।
जवाब देंहटाएंजी य़े आपबीती. है ।
हटाएंAreee moj kardi ...... Maja aagya padke ...........Wah wah wah wah .........bahut khub apne talent ko aisehi badate rehena .............
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