धन दा के साले का लड़का ,एन डी ए में सलेक्ट हो गया ठहरा कुछ साल पहले, अब मेजर बन गया ठहरा।
इस बार जब वो गाँव आया तो, धन दा ने उसे अपने घर बुलाया, ओर गाँव वालों पर थोड़ा रौब दिखाने के लिये ,उन्हें भी खाने में बुलाया ठहरा।
साले के लड़के को शिकार ( मीट ) अच्छा लगाता था तो, धन दा ने खाने में शिकार ( मीट ) बनाया , ओर इसके लिये उसने एक बकरा भी खरीद लिया।
धन दा के होलदार ( हवलदार ) , सुबदार ( सूबेदार ) तो बहुत रिश्तेदार थे ,पर मेजर रैंक का तो ये पहला ठहरा, सो तैयारी भी उसी लेबल की करी ठहरी धन दा ने ,इसलिए धन दा सुबह से ही तैयारी में जुट गये ,आखिर गाँव में पहली बार मेजर जो आने वाला ठहरा।
धन दा ने गाँव के सबसे शानदार शिकार पकाने वाले, शेर दा को बुलाया ठहरा, ओर शेर दा को अफसरों के हिसाब से बनने वाले दुडबुड ( गाढा ) शिकार ( मीट ) पकाने को बोला।
रोट ( रोटी ) पकाने के लिये भी बाखई में रहने वाली गोपुली ठुल ईजा को बोल रखा ठहरा ,क्योकिं गोपुली ठुल ईजा बिन डजी ( बिन जली ) रोटी पकाती थी।
धन दा की तरफ से पूरी तैयारी थी, पिसे मिर्च मसालें भी , पहली बार खरीद कर लाने पड़े थे धन दा को दुकान से, आज तक तो धन दा घर के मसालें ही काम में लेता था।
सब लोग मेजर साहब के लिये खाना पकाने में जुटे ठहरे, कोई प्याज काट रहा था, तो कोई लहसुन छील रहा ठहरा, कोई राकसान बनाने के लिये ,उसे धो धा रहा था, तो कोई उसके लिये मसालें पिस रहा ठहरा ,जबरदस्त तैयारी चल रही ठहरी।
शाम हो चली थी, तभी धन दा का साला, ओर उसका मेजर बना लड़का आ पहुँचे, साथ में एक कुत्ता भी ठहरा।
धन दा का सारा गाँव मेजर को देखने उमड़ पड़ा, लोग पहली बार किसी मेजर को अपने गाँव में आते देख रहे थे।
मेजर बना धन दा के साले का लड़का ,ठहरा एक दम जवान, ज्यादा से ज्यादा लग रहा था तो 25 - 26 साल का, ओर मेजर बन गया ठहरा, गाँव के लोग हैरान थे इतना छोटा मेजर देख कर, उनके वहाँ तो इस उम्र में बच्चा सिपाही भर्ती होता है।
अब आया खाना खाने का वक़्त तो , धन दा ने कुत्ते को छोड़, सबके लिये खाना लगवा दिया, मेजर का कुत्ता ,मेजर के बगल में बैठा देख रहा था,जब धन दा ने लास्ट में भी प्लेट नही लगाई तो, उसने धन दा को देखकर भौंका, इस पर मेजर बोला फूफाजी, एक प्लेट इसके लिये भी लगवा दो, नही तो ये आपको देख कर भौंकता रहेगा।
धन दा ने होई होई ( हाँ हाँ ) लगों छू ( लगाता हूँ ) कहते हुये एक पत्तल कुत्ते की भी लगवा दी,
मेजर ने चार मोटी मोटी रोटी चूर कर, उसके ऊपर शिकार ( मीट ) मिला कर लेब्रोडोर प्रजाति के कुत्ते को दे दिया, ओर बाद में खुद खाना शुरू किया।
लोगों ने आधी रोटी नही खाई थी की कुत्ते ने चार रोटी मय शिकार ( मीट ) सपोड दी ठहरी, ओर धन दा की ओर देख कर फिर भौंका।
धन दा समझ गये की कुकुर को ओर चाहिये, धन दा ने दो रोटी चूरी, ओर शिकार खित कर उसको दिया ,कुत्ते ने सपड सपड़ उसे भी खा लिया ,अब तक मेजर का कुत्ता 200 ग्राम शिकार उड़ा चुका था, धन दा मन ही मन बुदबुदाने लगे कतु खानो यो कुकुर ( कितना खा रहा है ये कुत्ता ) ओर खानो ले खपीर खपीर ( ओर खा भी रहा है पीस ही पीस ) लागु आज यो शिकार निमाडों ( लगता है ये आज मीट खत्म कर देगा ) मैं की खोन ( मैं क्या खाऊँगा )।
धन दा की खुशी कुकुर को शिकार खाते देख अब काफूर सी होती जा रही थी,ओर कोई कुत्ता होता तो, धन दा अब तक लट्ठ उड़ा चुके होते, पर मेजर का कुत्ता होने के कारण, कुछ बोल भी नही सकते थे, इधर कुत्ता था की भौंक भौंक कर शिकार माँगे जा रहा था।
अब तो धन दा मन ही मन प्रार्थना करने लग गये की, हे ईश्वरा यो कुकुरक पेट भर दियो ( हे ईश्वर इस कुत्ते का पेट भर दो ) ताकि एक आद खपीर ( ताकि एक आद पीस ) ,मेर लीजी ले बच जाओ ( मेरे लिये भी बच जाये )।
इस बार कुत्ते ने अपना खाना खत्म किया ओर भौंका नही, ये देख कर धन दा के जान में जान आई।
भगोने में अब दो चार पीस बचे थे, उन्हें देख कर धन दा को आत्मिक संतोष मिला की, चलो कुछ तो मिल ही जायेगा।
खाना पीना खत्म हुआ, जहाँ सब लोग ये सोच रहे थे की, इतना छोटा बालक, देखो कैसे मेजर बन गया, ओर धन दा कुकुर के बारे में सोच रहे थे, धन दा को ये कुकुर जन्म भर याद रहेगा।
स्वरचित लघु कथा
सर्वाधिकार सुरक्षित
English version
Major sir's dog
Dhan Da's brother-in-law, son selected in NDA a few years ago, now became a major.
This time when he came to the village, Dhan Da called him to his house, and invited them to eat, to show a little bit of awe over the villagers.
When the brother-in-law son loved meat, Dhan Da made meats, and for this he also bought a goat.
Dhan Da's sergeant, the Subedar was very much a relative, but this was the first of the rank of Major, so the preparation was also done by the same label Dhan Da, so Dhan Da got ready in the morning, the first Major in the village. Was about to come
Dhan da summoned Sher Da, the most excellent meat cook in the village, and asked Sher Da to cook the rich meat cooked according to the officers.
Gopuli Thul Eaja, who was also nearby to cook bread, said, because Gopuli Thul Eaja used to cook un-burnt bread.
There was complete preparation on behalf of Dhan Da, also the ground chili spices, had to be bought for the first time from the shop, till today Dhan Da used to work in home affairs only.
Everybody was cooking for Major Sahab, some was cutting onions, some was peeling garlic, some was washing it, and some was grinding spices for him, tremendous preparation was going on.
It was evening, then Dhan Da's brother-in-law, and the boy who became his major arrived, along with a dog.
The whole village of Dhan Da came to see Major, people were seeing a Major coming to their village for the first time.
Major's brother-in-law's son was very young, if not more then 22 - 23 years old, and had become a major, the people of the village were surprised to see such a small major, their child soldier is admitted there at this age.
Now came the time to eat food, Dhan Da left the dog, got food for everyone, Major's dog was sitting next to Major, when Dhan Da did not even put the plate in the last, he gave Dhan da Seeing it, he was shocked, the Major said, give a plate for this too, otherwise it will be barking upon seeing you.
Dhan da has also installed a flat dog saying yes and yes.
The Major crushed four thick loaves of bread, mixed meat on top of it and gave it to a dog of the Lebrodor species, and later started eating himself.
People had not eaten half of the bread that the dog finished the meat of four bread, and looking at Dhan Da, then barked again.
Dhan Da understood that the dog needs another, Dhan Da crushed two bread and gave him meat, the dog quickly ate it too, by now the Major's dog had eaten 200 grams of prey, Dhan Da mind only mumbles. Started, how much this dog is eating, and even eating it is grinding itself, it seems that today it will finish meat, what will I eat now.
Dhan Da's happiness was now disappearing after seeing the dog eating meat, and if there was a dog, Dhan Da would have been beaten by the wood, but due to being the dog of the Major, some could not even speak, Here the dog was barking and asking for meat.
Now money and heart started praying that God, fill the stomach of this dog quickly so that one human piece ., for me, will also be saved.
This time the dog finished his food and did not bark, seeing this, Dhan Da's life came to life.
Now there were two to four pieces left in the pot, seeing them, Dhan Da got spiritual satisfaction, let's get something.
When the food was finished , where everybody was thinking that such a small child, look how he became a major, in contrast, dhan da was thinking about dog.
Dhan da will remember the Major's dog throughout his birth.
Scripted short story
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