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नन्ही नन्नू

नन्ही नन्नू 

मेरे गाँव में हमारे कुड़ी ( मकान ) से कुछ दूरी पर ही रहती थी छोटी सी बच्ची, बड़ी प्यारी लगती थी, अपनी ईजा ( माँ ) के बैगेर एक पल भी नही रह सकती थी, इसी कारण उसकी ईजा ( माँ ) जहाँ भी जाती उसे साथ ले जाती थी।
वो छोटी सी बच्ची बड़ी हँसमुख थी, बस उसकी ईजा ( माँ ) उसे दिखती रहनी चाहिये, मैनें उसे नाम दिया था नन्नू ,तब से उसको करीब करीब सब नन्नू ही कह कर बुलाने लग गये ठहरे।

देखते ही देखते घुटने से चलने वाली नन्नू , धीरे धीरे बड़ी होती चली गई ,इतनी की एक दिन जब मैं काफी साल बाद गाँव गया तो, वो घास का पुला काट कर लाती मिली। ईजा ( ताईजी ) बोली देख येतुक ठुल हैंगे नन्नू ( देख इतनी बड़ी हो गई नन्नू )।
मैं उसे देखता ही रह गया, क्योकिं मैनें तो उसे घुटने के बल चलते देखा था, या धक्के लगते हुये चलते।

मैनें ठुल ईज ( ताईजी ) से पूछा, ये अब अपनी ईजा के बिना रह लेती है या पहले की ही तरह करती है अब भी।

इस पर ठुल ईजा ( ताईजी ) बोली, अब ले उसी छ ( अब भी वैसी है  ,ईजा आज ले चाँ ( माँ आज भी चाहिये ) बस फर्क यो आ की ( बस फर्क ये आया की ) , आसपास अब लह जाँ बिन ईजेक ( आसपास चली जाती है बिना माँ के)।

पता नही क्या लगाव था नन्नू को ईजा से इतना की ,वो दूर रहना ही नही चाहती थी,शाम को मैं नन्नू के घर गया, तब उससे बात हुई, अब स्कूल जाती थी, कक्षा 3 में पढ़ रही थी।

मैंनें बौजी ( भाभी ) को बोला इसकी आदत नही सुधारी आपने अभी तक, कल इसकी शादी होगी तो क्या करेगी ये,ये सुनते ही नन्नू तपाक से बोली मैं कें न करण छ ब्या ( मुझे नही करनी शादी ) मैं तो याई रौन ( मैं तो यही रहूँगी ) ,अपण ईज दगड ( अपनी माँ के साथ )।

वो अपनी माँ से दूर ही नही होना चाहती थी, इस बात से नन्नू के बौज्यू ( पिता ) गोपाल दा भी चिंतित थे, वो बोले यार यो यसे करली तो की होल येक ( ये ऐसे ही करेगी तो, क्या होगा इसका ), मैंनें कहा चिंता मत करो गोपाल दा, बडी होगी तो समझ आआ जायेगी, ओर जब भी इसकी शादी करो, मुझे न्यौता जरूर देना, मुझे इसकी शादी में आना है।

दिन बीतते चले गये, ओर उसके साथ ही नन्नू भी बडी होती चली गई।
एक बार गाँव गया तो, गोपाल दा मिले ओर बोले, कब तक छ याँ ( कब तक है यहाँ ) नन्नू क ब्या तय कर हालो ( नन्नू की शादी तय कर दी ) बीस दिन बाद ब्या छ ( बीस दिन बाद शादी है) ,मैनें कहा तब तो रुकना पड़ेगा दस दिन ज्यादा, नन्नू की शादी जो देखनी है।

असल में तो मुझे नन्नू को देखना था की, अब वो कितनी बदल गई ओर कैसे जायेगी ससुराल।

आखिर वो दिन भी आआ गया, बारात आ गई, सारी रस्मों रिवाज निभा दी गई, ओर अब वो क्षण आ गया था, जिसमें ईजा ( माँ ) से दूर न रह पाने वाली नन्नू को विदा होना था।

माहौल बढ़ा गमगीन होता जा रहा था, ज्यों ज्यों विदाई का वक़्त नजदीक आआ रहा था, त्यौ त्यौ नन्नू ओर उसकी ईजा की हालत खराब हो रही थी, दोनों एक दूसरे को पकड़े हुये थे, मानो अलग नही होना चाहते हों।

अब विदाई हुई दोनों माँ बेटी बिलख उठे, सबकी आँखें नम हो उठी, गोपाल दा भी रो पड़े, ओर ये देख कर,  मेरा जैसा व्यक्ति भी, खुद को सम्भाल ना सका, ओर मेरी रुलाई भी फूट पड़ी।

नन्नू तो ईजा बौज्यू ओर सभी से लिपट कर रोये जा रही थी, सबकी आँखों में आँसू थे, यहाँ तक की बर ज्यूँ ( दूल्हे ) की आँखें भी सजल हो चुकी थी।
नन्नू जाते जाते सारे गाँव को रुला गई थी, मेरा मन बोझिल सा हो चुका था, सच कहूँ तो नन्ही सी नन्नू का दूर जाना मुझे भी अच्छा नही लगा, बचपन से देखी नन्नू का बिछड़ना सच में बड़ा कष्टदाई सा लग रहा था।

स्वरचित संस्मरण 
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English Version

Little Nannu

 Little girl lived in my village at a distance from our house, a little girl, she seemed very cute, her mother's bagger could not live even for a single moment, that is why her mother used to take her with her wherever she went.

 That little girl was very cheerful, just her mother should keep looking at her, I named her Nannu, since then almost all of them started calling her Nannu.

 Seeing that the knee-jerking Nannu slowly grew older, so much so that one day when I went to the village after many years, she got a cut of hay.

 Seeing Taiji dialect, Nannu became so big.

 I kept looking at her, because I had seen her walking on her knees, or walking while walking.

 I asked Taiji, she now lives without her own or she still does as before.

 Taiji said on this, is still the same, mother is still needed, the only difference is that she goes around without mother.

 I do not know what attachment Nannu had so much from mother, she did not want to stay away, in the evening I went to Nannu's house, then talked to her, now went to school, was studying in class 3.

 I told the sister-in-law not to improve her habit, yet, if she gets married tomorrow, what will she do? On hearing this she said to Nannu , I will not marry, I will remain the same with my mother.

 She did not want to be away from her mother, Nannu's father Gopal Da was also worried about this, he said that if she does it like this, what will happen to it, I said don't worry Gopal da, if it is big then you will understand.  , And whenever you marry her, give me an invitation, I have to come to her wedding.

 Days went by, and along with that Nannu also grew older, once she went to the village, Gopal da met and said, how long is it here, Nannu's wedding is fixed, twenty days later, I said then  Will have to stay ten days more, to see Nannu's wedding.

 Actually, I had to see Nannu, now how much she has changed and how her in-laws will go.

 Finally that day also came, the procession arrived, all the rituals were performed, and now the moment had come, in which Nannu, who could not stay away from her mother, had to leave.

 The atmosphere was getting increasingly turbulent, as the time of farewell was getting closer, the festival was getting worse with Nannu and her mother, both holding each other as if they did not want to separate.

 Now farewell, both mother and daughter woke up, everyone's eyes became moist, Gopal Da also wept, and seeing this, a person like me, could not handle himself, and my cry also burst.

 Nannu was crying and crying with her parents, everyone had tears in their eyes, even the groom's eyes had also been lit up.

 While going to Nannu, the whole village was made to cry, my mind had become a bit cumbersome, to be honest, I did not like even the little Nannu's going away, seeing Nannu's separation from childhood seemed a bit painful.

  memoirs
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