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घोड़ी वन - Theme forest

हमारे गाँव से थोड़ी ही दूर एक जँगल था, जिसका नाम घोड़ी वन था, जो थोडा़ अजीब सा था।

मैं सोचा भी करता की ये अजीब सा नाम क्या पड़ा होगा इस जँगल का, इस जँगल की लम्बाई होगी करीब 5 किमी ओर चौड़ाई होगी लगभग 2 किमी के करीब।
इस जँगल की एक ओर विशेष बात ये थी की, जहाँ ओर जँगलों में जंगली वृक्ष हुआ करते हैं, वहीं इस जँगल में जंगली वृक्षों के साथ साथ फलों के पेड भी बहुतायत में थे,साथ ही वृक्ष भी करीने से लगे हुये थे, रास्ते के इर्द गिर्द जहाँ छायादार पेड थे ,वहीं फलों के पेड भी लगे हुये थे, आम, अमरूद के साथ साथ फलों की अनेक प्रजातियों के वृक्ष लगे हुये थे, एक स्थान पर तो लगभग आधा किमी एरिया में पहाड़ी केलों का जँगल ही लगा था, कुल मिलाकर बड़ा अचंभित कर देने वाली जगह थी ये घोड़ी वन।
मैं जब भी वहाँ से नदी की ओर जाने के लिये गुजरता, वहाँ सीजन का कोई ना कोई फल जरूर उगा हुआ मिलता था, मुझे ये वन कम ओर फलों का बागान ज्यादा लगाता था।
यहाँ से गुजरते समय मेरे मन में एक प्रश्न सैदेव उठता की, क्या ये अपने आप उगे हैं या किसी ने ये लगाए हैं, अगर अपने आप उगे हैं तो फिर आसपास के ऐरिये के अन्य जंगलो में ऐसा क्यों नही है।
मुझे तो ऐसा लगाता था मानो किसी ने ये जँगल लगाया है, तभी ऐसा है ये, पर घोड़ी नाम होने से थोड़ी शंका होती के, अगर किसी ने लगाया होता तो उसके नाम से होता, पर भला घोड़ी नाम किसका होता है।

क्या नही था इस जँगल में फलों के वृक्ष, छायादार पेड, एक प्राकृतिक नौला ( बावड़ी ), जिसमें बारहों मास पानी रहता था, ओर उससे निकल कर बहते पानी के इर्द गिर्द केले का वन।

विभिन प्रजातियों के पेडों के कारण, इस जँगल में विभिन्न प्रजातियों के पशु पक्षी भी खूब थे, एक तरह की सेंचुरी सा था ये घोड़ी वन।

इस बार गया तो ये तय किया की, इस बार इसका नाम घोड़ी वन पड़ने का राज जान कर ही रहूँगा,लोगों से जानने की कोशिश भी की, पर सब अलग अलग बात बता रहे थे, जो घोड़ी वन नाम पड़ने पर प्रकाश नही डाल पा रहे थे।

पर मैनें भी हार नही मानी मैं लगातार इस कोशिश में लगा रहा की आखिर क्यों इस जँगल का नाम घोड़ी वन पड़ा होगा,बहुतों से बात की पर कोई संतोषजनक रिज्ल्ट नही निकल कर नही आ पा रहा था।

ऐसे में एक दिन घोड़ी वन का राज जानने के दौरान गाँव से थोड़ी दूर एक मंदिर में रहने वाले मदन गिरी बाबा के बारे में सुन रखा था की वो यहाँ पता नही कितने सालों से रहते आये हैं, यानी उन्हें कुछ ना कुछ घोड़ी वन के बारे में पता होगा।
बस फिर क्या था, मैं ओर मेरा गाँव का साथी मोहन पहुँच गये एक दिन बाबा के पास ओर उनसे मुलाकात के दौरान घोड़ी वन के बारे में पूछ लिया।

तब बाबा ने बताना शुरू किया की कैसे ये वन लगा ओर क्यों इसका नाम घोड़ी वन पड़ा, उन्होनें बताना शुरू किया की जब मैं छोटा सा था तो मेरे गुरु बताया करते थे की यहाँ पहले कुछ नही था, गाँव से लेकर नदी जाने तक जाने वाले रास्ते पर पूरा सूखा था, गर्मियों में तो तेज धूप लगा करती थी।

तब इसी गाँव का एक शख्स जिसका नाम दीवान सिंह था जिसके पास घोड़ा हुआ करता था ओर जिसे तब के लोग दीवान घोड़ी के नाम से बुलाया करते थे, वो घोड़े पर इस रास्ते सामान लाया करता था,ओर उसके घोड़े ओर उसे तेज धूप लगा करती थी तो उसने इस इलाके पर पेड लगाने शुरू कर दिये, पहले रास्ते के दोनों ओर छायादार ओर फलों के पेड लगाए ओर फिर धीरे धीरे पूरे इलाके पर पेड लगाता चला गया ओर इस तरह ये जँगल लग गया ओर गाँव के स्थानीय लोगों ने उस जँगल को घोडियक वन  ( घोड़े वाले का जँगल ) कहना शुरू कर दिया, जो आज घोड़ी वन के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
बाबा से घोड़ी वन की हकीकत जान कर घोड़ी वन लगाने वाले दीवान सिंह घोड़ी जी के प्रति श्रद्धा से भर उठा, जिन्होने घोर कष्ट उठा कर इस वन को लगाया, जो ना जाने कितने पशु पक्षियों की शरणस्थली बना हुआ है ओर वहाँ से गुजरने वाले लोगों को ना केवल शीतल छाया प्रदान करता है अपितु रसीले स्वाद वाले फल भी उपलब्ध करवाता है।

स्वरचित संस्मरण 
सर्वाधिकार सुरक्षित

English version

Mare forest
 Just a short distance away from our village, there was a jungle named Ghodi Van, which was a little strange, because it was theme forest.

 I would have thought that what would be the strange name of this theme forest ,the length of this forest would be about 5 km and the width would be around 2 km.
 On one side of this theme forest,  the special thing was that, where there are wild trees in the forests, while in this forest there were abundance of wild trees as well as fruit trees, as well as trees were planted neatly, along the way.  Where there were shady trees around, fruit trees were also planted, trees of mango, guava and many species of fruits were planted, at one place there was a forest banana forest in about half a km area, total  Together, this mare forest was a very surprising place.
 Whenever I used to pass from there to the river, I used to get some fruit of the season, I used to plant this forest less and fruit planter more.
 While passing through the theme forest, a question arose in my mind, whether they have grown on their own or someone has planted them, if they have sprouted on their own, then why is this not happening in other forests of the surrounding area?
 I used to think that as if someone has put this jungle, then it is like this, but there would have been some doubt as to the name of the mare, if someone had planted it, it would have been in his name, but whose name is the mare.

 What was not in this forest was fruit trees, shady trees, a natural stepwell, which held twelve months of water, and a forest of bananas surrounding the flowing water.

 Due to the trees of various species, there were plenty of animals of different species in this forest, this kind of theme forest was a kind of century.

 This time I decided that, this time its name will remain knowing the secret of the mare forest, tried to know from the people, but everyone was telling different things, which could not throw light on the name of the mare forest.  Were staying.

 But I also did not give up, I was constantly trying to see why the name of this jungle must have been mare forest, talked to many, but no satisfactory result was coming out.

 In such a situation, while knowing the secret of the mare forest, I heard about Madan Giri sant living in a temple, a little away from the village, that he did not know how many years he has been living here, that is, he has something about mare forest  I will know

 What was it then, I and my village partner reached Mohan one day and asked sant about the mare forest while meeting him.
 Then Baba started to tell how this forest started and why it got its name as a mare forest, he started to tell me that when I was a little my guru used to tell me that there was nothing here before, from village to river going  It was completely dry on the way, in the summer it used to get strong sunlight.

 Then there was a person from this village named Dewan Singh, who used to have a horse and who was then called by the name of Dewan Ghodi, he used to bring goods on this way, and his horse and he would get strong sunlight.  If this was so, he started planting trees on this area, first on both sides of the way, he planted fruit trees on both sides and then slowly went on planting trees all over the area and in this way the local people of the village gave that forest  Started saying Ghodiyak Van (Horseman's Jungle), which today became famous as Ghori Van.
 Knowing the reality of the mare forest from Baba, Dewan Singh, who planted the mare forest, was filled with reverence for Ghori ji, who took great pains and planted this forest, which has become a refuge for many animal birds and people passing through it.  Ko not only provides a cool shade but also provides juicy flavored fruits.

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