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बहादुर महिला - Brave women


दुर्गा आमा का परिवार गाँव भर में अपने जमाने का जाना माना परिवार था, उनके ससुर राम सिंह बिष्ट कभी बड़े इलाके के थोकदार थे।
थोकदारी तो खत्म हो गई, पर इस इलाके के संपन्न परिवारों में उनकी गिनती होती थी,सब पढ़ें लिखे थे, तो नौकरियों में लग गये, इसलिए सब बाहर निकल गये, गाँव में रह गये थे तो बस दुर्गा आमा व उनके पति ओर गाँव के सभापति बहादुर सिंह जी।

दुर्गा आमा ओर उनके पति बहादुर सिंह जी ने यही रुक कर खेती बाडी करने की सोची, जमीन खूब थी तो फसल खूब होती थी, इसलिए कभी पैसों की दिक्कत नही थी।

दुर्गा आमा के एकमात्र बेटे ने भी इंजिनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद सरकारी महकमें में नौकरी करने लगा था अब गाँव में सिर्फ दुर्गा आमा व बूबू ही थे।

खेती की जमीन बटाई पर दे दी थी, इससे उन दोनों की अच्छी गुजर बसर हो जाती थी, ओर उनके पति सभापति बहादुर सिंह जी, गाँव की कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वन में लगे रहते।

इस तरह दोनों अपने बड़े सारे मकान में दोनों ही अकेले रहते थे, समय आराम से कट रहा था।
पर गाँव में कुछ लोग ऐसे भी थे जो दुर्गा आमा की संपन्नता व बूबू के सभापति होने को देख कर जलते थे,इसके चलते वो दुर्गा आमा के परिवार के खिलाफ कुचक्र रचते रहते थे, पर उनका बिगाड़ कुछ नही पाते थे।

एक दिन ऐसे ही कुचक्र के दौरान दुर्गा आमा के परिवार के खिलाफ एक ऐसा षडयंत्र रचा गया, जिसमें उनको खत्म करने की साजिश को अंजाम दिया जाना था।

उस साजिश के लिये कुछ बाहरी लोगों को साजिश रचने वालों द्वारा बुलवाया गया, ओर प्लानिंग के मुताबिक लूट के दौरान दोनों की हत्या का षडयंत्र रचा गया।

दुर्गा आमा का घर गाँव से थोडा़ अलग हट कर था, इसलिए रात के समय वहाँ चहल पहल कम रहती थी, ऐसे में वहाँ लूट की घटना को अंजाम देना आसान था, ओर यही सोच कर पूरा कुचक्र रचा गया।

रात के अँधेरे में दुर्गा आमा के घर पर हमले को अंजाम दिया गया, बूबू को बंधक बना लिया गया, दुर्गा आमा से पैसों को रखने के स्थान के बारे में पूछा गया।

दुर्गा आमा पहले तो थोड़ी घबराई ओर फिर खुद को थोडा़ सम्भाला ओर लुटेरों को उस जगह चलने को कहा, जहाँ धन था।

लुटेरे भी इसके लिये तैयार हो गये, उन्होनें बहादुर सिंह बूबू को खंभे से बाँध दिया ओर दुर्गा आमा के साथ उस जगह के लिये चल दिये, जहाँ दुर्गा आमा के अनुसार धन था।

दुर्गा आमा उन्हें दूसरी मँजिल में ले गई, उस वक़्त वहाँ काफी अँधेरा था, दुर्गा आमा सामने वाले कमरे में घुसी ओर घुसते ही दीवार पर टँगी खुखरी निकाल कर तीनों लुटेरों पर टूट पड़ी, दुर्गा आमा ने लुटेरों के हाथ पैरों में वार कर उन्हें बुरी तरह जख्मी कर दिया, ओर फिर उन्हें उस कमरे में बंद कर, सारे गाँव वालों को इकट्ठा कर लिया।

गाँव वालों ने लुटेरों को पटवारी के हवाले कर दिया, इस तरह से दुर्गा आमा के साहस ने लूट के षडयंत्र को विफल कर दिया था।

बाद में पुलिस व पटवारी की तहकीकात में षडयंत्र रचने वालों का भी खुलासा हो गया ओर उन्हें सजा भी मिली।

पर लुटेरों को असली सजा तो दुर्गा आमा ने दे दी थी, लुटेरों ने सपने में भी नही सोचा होगा की, नाम की दुर्गा ,साक्षात दुर्गा बनकर उन पर टूट पड़ेगी, ओर उनकी ये हालत कर देगी।

स्वरचित लघु कथा 
सर्वाधिकार सुरक्षित

English version

Brave Women
 Durga Ama's family was a well-known family of hers throughout the village, her father-in-law Ram Singh Bisht was once a head man of a large area.

 Headmanship ended, but they used to be counted among the rich families of this area, all were family's members are  good Literate , so they got engaged in jobs, so everyone went out, lived in the village, then only Durga Ama and her husband and the village  Chairman Bahadur Singh.

 Durga Ama and her husband Bahadur Singh ji thought of stopping this and cultivating the land, if the land was enough then the crop was very much, so there was never any problem of money.

 The only son of Durga Ama too, after studying engineering, started working in government department, now there were only Durga Ama and Boobu in the village.

 The agricultural land was given on the share, this would give them a good living, and her husband, Chairman Bahadur Singh ji, would be engaged in the implementation of the welfare schemes of the village.

 In this way, both of them lived alone in their big house, time was getting cut off.
 But there were some people in the village who were jealous of Durga Ama's prosperity and seeing Babu as the Chairman, due to which he used to plot against the family of Durga Ama, but they did not get anything bad.

 One day during a similar cycle, a conspiracy was hatched against the family of Durga Ama, in which the plot to eliminate them was to be executed.

 Some outsiders were called by the conspirators for that conspiracy, and according to the planning a conspiracy was hatched to kill both of them during the robbery.

 Durga Ama's house was a little far from the village, so there was less movement in the night, in such a situation it was easy to carry out the robbery incident, and thinking that the entire plot was created.

 In the dark of night, the attack on Durga Ama's house was carried out, Bubu was taken hostage, Durga Ama was asked about the place of keeping the money.

 Durga Ama was a little nervous at first, and then she held herself a little and told the robbers to go to the place where there was money.

 The robbers also got ready for this, they tied Bahadur Singh Bubu with a pillar and went with Durga Ama to the place where there was money according to Durga Ama.

 Durga Ama took them to another floor, it was quite dark at that time, Durga Ama entered into the front room and as soon as she entered the front room, the khukri weapon hanging on the wall broke on the three robbers, Durga Ama stabbed the robbers in the hands and feet  Wounded like that, and then locked them in that room, gathered all the villagers.

 The villagers handed over the robbers to Patwari, thus Durga Ama's courage thwarted the plunder of plunder.

 Later, in the investigation of the police and the patwari, the conspiracies were also revealed and they were also punished.

 But the real punishment was given to the robbers by Durga Ama, the robbers would not even have thought in their dreams that the name Durga would be broken on them by becoming a real Durga goddess, and this would make their condition.

 Scripted short story
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