उत्तराखंड का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत व अविस्मरणीय है। चीड़, बाँज व देवदार के घने वृक्षों से आछाँदित वन ,घास से ढ़की हुई भूमि ऐसे लगती है मानो किसी ने हरी चादर बिछा दी हो।
जहाँ दिन के समय गुनगुनी धूप होती है वहीं रात को ठंड बढ़ जाती है आसमान में तारों से भरा दिखाई देता है।
उत्तराखंड की सुंदरता की तरह यहाँ के लोगों की प्रकृति भी बहुत ही सौम्य और सरल होती है। यहाँ रहने वाले सभी लोग भोले-भाले और सरल स्वभाव के होते हैं,जिनमें अपनेपन की भावना भरी होती है।
यहाँ बोली जाने वाली भाषा में अलग ही मिठास है ,राजस्थानी, नेपाली, संस्कृत सहित अनेकों भाषाओं से युक्त शब्द का प्रयोग यहाँ की बोली में समिश्रित हैं।
पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत समृद्घ ये भूभाग, आने वाले पर्यटकों पर अविस्मरणीय छाप छोड़ जाता है, यही कारण है के यहाँ आया पर्यटक बार बार यहाँ आना चाहता है,अगर आपको उत्तराखण्ड की खूबसूरती, यहाँ की संस्कृति, यहाँ के रहन सहन के बारे में जानना हो तो ,कोशिश करिए की कोई ग्रामीण क्षेत्र के होम स्टे में आपको रहने का मौका मिल जायें, जहाँ ना आप केवल यहाँ की संस्कृति से रूबरू हो पायेंगें अपितु जैविक भोजन का भी लुफ्त ले पायेंगें, जों आपके जीवन के दिनों में बढ़ोतरी कर देगा।
यकीन मानिये अगर आप यहाँ के ग्रामीण माहौल में कुछ दिन बिताते हैं तो आपके स्वास्थ पर जो प्रभाव देखने को मिलेगा वो आप लाखों रुपये खर्च करके भी प्राप्त नही कर सकते।
यहाँ लोग आपस में शांति और सौहार्द से रहते हुये दिखाई देंगें, जरूरत के समय एक-दूसरे का सहयोग करते नजर आऐंगे।
यहाँ के लोग न केवल इंसानों बल्कि अपने पशुओं को भी अपनी ही तरह महत्व देते हैं ओर उन्हें भी विशेष स्थान देते हैं।
यहाँ लोग बुवाई से लेकर फसल काटने तक के हर मौके का कोई न कोई उत्सव मनाते हैं।
यहाँ के लोगों का आजीविका का साधन खेती-बाड़ी, छोटी-मोटी दुकानदारी, मजदूरी इत्यादि ज्यादा होता है।
यहाँ संसाधनों की कमी या कहिये की समझ ना होने के कारण बेरोजगारी अधिक है,इसी कारण यहाँ के युवा लोग रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर जाते हैं, तभी एक कहावत भी प्रचलित हो गई के पहाड़ का पानी ओर पहाड़ की जवानी, पहाड़ के काम की नही।
पहाड़ी इलाके के सीढ़ीदार खेतों में खेती की जाती है, इस वजह से यहाँ आज भी बैलों का महत्व है।
पहाड़ों में आज भी अधिकतर खेतों में रासायनों का प्रयोग नहीं किया जाता है ,परंपरागत तरीके की खेती होती है,जिसमें घर की बनी हुई खाद डालते हैं ,यानी आज भी यहाँ जैविक खेती की जाती है, जों यहाँ के लोगों के उच्चतम स्वास्थ को दर्शाती है,तभी आपको यहाँ 70 - 80 साल के बुजुर्ग खेतों में काम करते नजर आ जाएँगे।
यहाँ लोगों ने अपने लगभग सभी कामों को त्यौहारों या उत्सवों से जोड़ा हुआ है ,यहाँ लगभग सभी अवसरों पर लोक संगीत की धुनें सुनाई देगी ,धान की रोपाई, गुड़ाई के समय भी पारम्परिक गीतों को गाती हुई महिलाएं दिखाई देगी।
यहाँ काफी त्यौहार मनाये जाते हैं ओर हर त्यौहार का अपना महत्व होता है,गोर्वधन पूजा के दिन गाय का त्यौहार होता है, उस दिन गाय को नहलाकर उसकी पूजा की जाती है, वहीं हरेले का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है,इसी तरह घी त्यौहार के दिन घी से बने पकवान खाए जाते हैं,उत्तरायणी में घुघते बनाए जाते हैं, इस दिन यहाँ अनेक स्थानों पर मेले भी लगते हैं।
उत्तराखंड में मसूर, जौ, गेहूं, भट्ट, मांस ( उड़द ) की दाल, धान, कौणि, झंगोरा, गहत, मंडुआ, अरहर के अलावा सब्जियों में ककड़ी, लाई लौकी, कद्दू वगैरह लगाते हैं।
पलायन का बुरा असर उत्तराखंड में भी देखा जाने लगा है, यहाँ कई गाँव खाली हो चुके हैं या अगर कोई हैं तो वो हैं बुजुर्ग जों पहाड़ छोड़ कर नही जाना चाहते।
सरकार को उत्तराखंड के लोगों के जीवन को और बेहतर बनाने और वहाँ की पहचान को सुरक्षित रखने के लिये प्रयास करना चाहिए।
साथ ही हम जैसे लोग जो प्रवासी कहलाते हैं, उन्हें भी उत्तराखण्ड के मूल स्वरूप के संरक्षण हेतु प्रयास करना चाहिये ,ताकि उत्तराखण्ड की गौरवपूर्ण संस्कृति सुरक्षित रह सके।
स्वरचित लेख
सर्वाधिकार सुरक्षित
English Version
Unseen Uttarakhand
The natural beauty of Uttarakhand is amazing and unforgettable. The forest covered with thick trees of pine, barge and cedar, the land covered with grass looks as if someone has laid a green sheet.
Where there is lukewarm sunlight during the day, the cold rises at night and appears full of stars in the sky.
Like the beauty of Uttarakhand, the people here have a very gentle and simple nature. All the people living here are naive and simple in nature, which has a sense of belonging.
The language spoken here has a different sweetness, the use of words consisting of many languages including Rajasthani, Nepali, Sanskrit are mixed in the dialect here.
This terrain, which is very rich in terms of tourism, leaves an unforgettable impression on the tourists who come here, that is why the tourist who comes here wants to come here again and again, if you know about the beauty of Uttarakhand, its culture, its living here If you want to know, try to get a chance to live in a home stay in a rural area, where you will not only be able to experience the culture here, but will also be able to enjoy organic food, which will increase the days of your life. .
Believe me if you spend a few days in the rural environment here, then you will not get the effect that you will get on your health by spending millions of rupees.
Here people will be seen living in peace and harmony, they will be seen supporting each other in times of need.
People here give importance not only to humans but also to their animals and give them special place too.
Here people celebrate every occasion from sowing to harvesting.
The means of livelihood of the people here are more than farming, small shop, small wages etc.
Unemployment is high here due to lack of resources or lack of understanding of the matter, that is why young people here migrate to cities in search of employment, then a saying also became popular that the water of the mountain and the youth of the mountain, Not of mountain work.
Due to the cultivation of terraced fields in the hilly region, oxen still have importance here.
Even today, in the mountains, chemicals are not used in most of the fields, traditional methods are cultivated, in which homemade manure is applied, that is, even today organic farming is done here, as it shows the highest health of the people here. It is only then that you will be seen working in the fields of 70 - 80 years old people here.
Here people have associated almost all their work with festivals or festivals, here on almost all occasions, folk music tunes will be heard, planting of paddy, women singing traditional songs will be seen even at the time of hoeing.
Many festivals are celebrated here and every festival has its own importance, on the day of Govardhan Puja there is a cow festival, on that day the cow is bathed and worshiped, while the Harelle festival is celebrated with great pomp, similarly ghee On the day of the festival, dishes made with ghee are eaten, in Uttarayani, it is made to melt, on this day fairs are also held in many places.
In Uttarakhand, in addition to lentils, barley, wheat, bhat, meat (urad) lentils, paddy, kauni, jhangora, ghat, mandua, arhar, vegetables, cucumber, lau gourd, pumpkin etc. are planted.
The bad effects of migration have started to be seen in Uttarakhand too, many villages have become vacant here or if there are any, they are old people who do not want to leave the mountains.
The government should make efforts to improve the lives of the people of Uttarakhand and preserve their identity there.
Also, people like us, who are called migrants, should also try to preserve the original form of Uttarakhand, so that the glorious culture of Uttarakhand can be protected.
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बहुत ही सुन्दर 👌👌🙏 उत्तराखंड़ प्रांत के प्राकृतिक स्वरुप से व वहां की संस्कृति से रूबरू कराती है आपकी कहानियां 🙏🙏
जवाब देंहटाएंपढ़ने के लिये आभार आपका 🙏
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