आज सुबह से ही आसमान में बादल छाये हुये थे, देब्बू परेशान था ये सोच कर की आज ठेकेदार ज्यू ने काम नही लगाया तो, उसकी बात खराब हो जायेगी, आज उसको दुकानदार शिव दत्त जोशी का कर्जा तारना ( चुकाना ) था।
देब्बू गरीब जरूर था पर उसे अपनी इज्जत बहुत प्यारी थी, शिव दत्त दुकानदार के बारे में वो जानता था कि, उसका पैसा टाइम पर नही चुकाने वालों की ,वो पूरे गाँव में छरेठी (बाजा बजा) कर देता है,ओर इसी का डर देब्बू को भी सता रहा था।
वो बार बार भगवान को हाथ जोड़ कर प्रार्थना करते हुये कह रहा था की, हे ईश्वरा आज जण ( मत ) बरसाये दयो ( बारिश ), लाज रख लिये ,नतर ( नही तो ) आज शिव दत्त ज्यू छरेठी ( बाजा बजा ) कर दयाल ( देंगें )।
देब्बू दयो रोकने के सारे उपाय भी कर चुका था, उसने आँगन में उल्टा तवा भी रख दिया था, जिसके बारे में पहाड़ों में माना जाता है की,ऐसा करने से बारिश रुक जाती है।
पर देब्बू के कोई उपाय काम नही आये, ओर दयो ( बारिश ) होना शुरू हो गया ,ये देख देब्बू मायूस हो गया।
आज उसको अपनी छरेठी होती पक्की दिख रही थी,उसका दिल बैठा जा रहा था, उसने खुद को इतना लाचार अब से पहले ,कभी महसूस नही करा ठहरा।
उसे समझ नही आ रहा था की अब क्या करूँ, वो सोच रहा था छरेठी की छरेठी (बाजे का बाजा बजेगा ) होगी ओर उधार सामान मिलना बंद हो जायेगा सो अलग।
पाख ( छत ) से गिरते ( बणधारी बारिश के पानी की धार ) के नीचे बाल्टी लगाते हुये भी उसको शिव दत्त दुकानदार का ही चेहरा नजर आ रहा था।
उसे लग रहा था जैसे उसके हाथ पैर में जान ही नही रही,उसका मन उचाट हो गया था, बगल में हर दा के घर में बज रहा ,देब्बू का मन पसंद गीत बेडू पाको बारहमासा भी ,आज उसे बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था।
वो तो बस दयो ( बारिश ) बंद होने की की प्रार्थना कर रहा था, ताकि कैसे भी वो काम में चला जायें ओर उसकी छरेठी होने से बच जायें।
तभी उसे छाता लिये हुये ठेकदार उसके घर की ओर आता दिखा ,उसका दिल ओर बैठ गया ,ये सोच कर की, शायद ठेकेदार ज्यू काम के लिये मना करने के लिये आ गये,ये सोच कर वो ओर मायूस हो गया।
ठेकेदार आते ही देब्बू को बोला, देब्बुआ आज दयोली सब काम खराब कर दे ( देब्बू आज बारिश ने सारा काम खराब कर दिया ) ये लीजी ( लिये ) सोचो की घर में कमरों में फर्श डाल दयों ( दूँ ) मिस्तिर ( मिस्त्री ) ले खाली बैठो ,तो तू आज वाँई ( वहीं ) काम कर ले।
देब्बू के कानों ने वाँई ( वहीं ) काम कर ले शब्द सुनते ही, उसके संपूर्ण शरीर को ओज से भर दिया, देब्बू को इतनी ऊर्जा भरा अपना शरीर आज से पहले कभी महसूस नही हुआ था,उसे लग रहा था मानो उसके शरीर में ना जाने कितना बल भर गया हो।
वो तुरंत ठेकेदार को बोला ठीक छू ठेकदार ज्यू ( ठीक है ठेकेदार जी ) रोट खा बेर पूज छू आल्ले ( रोटी खा कर पहुँचता हूँ अभी )।
उसने घर से काम की ओर जाते हुये ,हाथ जोड़ कर ईश्वर को धन्यवाद दिया की आज तुमर कॄपा ली मेरी लाज बच गे ( आज आपकी कृपा से मेरी इज्जत बच गई ) , अब वो सर उठा कर चल सकेगा ओर शिव दत्त दुकानदार का कर्ज टाइम पर चुका सकेगा।
स्वरचित लघु कथा
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English Version
Debbu
The sky had been cloudy since this morning, Debbu was upset thinking that if the contractor did not work today, his talk would be spoiled, today he has to repay the debt of shopkeeper Shiv Dutt Joshi.
Debbu was definitely poor but he was very respectful of his reputation, he knew about Shiva Dutt shopkeeper, that he pays his money to all those who do not pay on time in the whole village, and this rate is paid to Debbu. Was harassing
He was repeatedly praying with folded hands to God, saying, O God, today God (rain) Barsaye Dayo (rain), Laj Rakhke, Natar (not so) Will give).
Debbu had also taken all measures to stop the rain, he also put the tawa in reverse in the courtyard, which is believed to be in the mountains, doing so stops the rain.
But no remedy for Debbu came to fruition, and it started to rain, Debbu became disheartened.
Today, he was seen to be getting his sixth, his heart was sitting, he never felt himself so helpless before now.
He was not able to understand what to do now, he was thinking that Chharathi's Chharathi (Baja's Bajaja will ring) and the borrowed goods will stop getting different.
He was seeing the face of Shiva Dutt shopkeeper, even while placing a bucket under the falling (torrential rainwater) from the pakha (roof).
He felt as if he had no life in his hands and feet, Debbu was feeling, his mind was uprooted, next to him playing in Har da's house, Debu's favorite song like Bedu Pako Barhamasa is also not good for him today. seemed to.
He was just praying that the dyo (rain) cease, so that he could go into work and avoid getting his sixth.
Then he was shown with the umbrella coming towards his house, his heart sat down, thinking that maybe the contractor has come to refuse the work, thinking that he was disappointed.
As soon as the contractor came, he said to Debbu, Debbu today spoils all the work. So, you can work today (there only).
Debbu's ears worked (right there) as soon as he heard the word, filled his entire body with energy, Debbu had never felt his body so full of energy before, he felt as if his body did not know How much force is filled.
He immediately said to the contractor, okay touching the jeweled (okay contractor ji) rot kha ber pooj chul ale (I reach now after eating bread)
On his way to work from home, he thanked God with folded hands that today you will get my love saved (today I got saved due to your grace), now he will be able to lift his head and paid Shiv Dutt shopkeeper's loan But will be able to repay
Scripted short story
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Sunder
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