सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Short stories in hindi

पित्तू 

दन दा एक छोटा सा कुकुड ( मुर्गा ) लाये थे , वो इतना छोटा सा था की ,उसका नाम ही पित्तू रख दिया ठहरा। 

दन दा का पित्तू था तो कुकुड ( मुर्गा ) , पर काम कुकुर (कुत्ते ) जैसे भी कर जाता था , कोई गैर दिख गया तो ,इतना हल्ला कर देता था की , बाखई के लोग एक बार ,बाहर आकर जरूर देखते की कौन अनजान आ गया।

जब तक आया व्यक्ति घर के अंदर ना चला जाये , तब तक पित्तू, उसे घूरता हुआ, उसके आसपास ही घूमता रहता।  

कोई जानवर गलती से आ जाये पित्तू के एरिये में तो ,  उसको चोंच मार मार कर , जब तक खदेड़ नही डालता तब तक उसे चैन ना आता। 
बाखई के जानवरों को तंग करना तो ,उसका प्रिय शगल ठहरा , कभी सोये कुत्ते की पूछ में चोंच मार उठा देता , तो कभी भैंसों के ऊपर बैठ जाता। 

अजनबी बिल्लियों का तो पक्का दुश्मन ठहरा , बिल्ली दिखते ही तब तक शोर मचाता , जब तक बाखई वाले बिल्ली खदेड़ ना देते। 
बाखई का कोई बच्चा उसे गलती से छेड़ दे तो , पित्तू उसके खदेडे ( पीछे ) पड़ जाता ,ओर एक आद चोंच मारे बिना उसे छोड़ता नही था , इसलिये बाखई के बच्चे उससे छेड़खानी कम ही करते थे। 

पित्तू था बड़ा ठसक वाला पर , सुबह होते ही बस तीन चार बार कुकडू कू करता उसके बाद बंद बल, जैसे बाखई वालों को कह रहा हो , सुनना हो तो सुन लो , ना सुनो तो जाओ घोत्ती (अँगूठे ) में।  

एक गजब खासियत ओर ठहरी उसकी , वो बैठता हमेशा ऊँची जगह पर ही था , जैसे कोई सेना का जवान मचान पे बैठ कर ड्यूटी करता है। 

शायद अपने को सैनिक ही समझता था पित्तू , उसे देख कर लगता भी ऐसा था , क्योंकि हमेशा रहता अलर्ट ही था। 
अगर किसी के साथ वो मस्ती करता दिखता था तो , वो थे केवल दन दा  , उनके साथ वो वही छोटा सा पित्तू बन कर रहता था! 

स्वरचित लघु कथा 
सर्वाधिकार सुरक्षित

English Version 

 Pittu
 Dan Da had brought a small rooster, it was so small that he named it Pittu.

 When he used to do work like a dog (dog) on ​​Dan da Pittu was (cock), he used to make so much hue and cry that the people of Bakhai once came out to see who came.

 Till the time the person came inside the house, he kept moving around.

 If an animal accidentally comes to Pitta's arrows, by beating him with a beak, he will not feel rested until he is chased.
 Taunting the animals of Bakhai was his favorite pastime, sometimes he used to beat the dog in question, sometimes he sat on the buffalo

 Stranger was a sure enemy of cats, he would make noises as soon as the cat was seen, until the cat with bakhai would run away.
 If any of Bachhai's children accidentally molested him, Pittu would not leave him without hitting a beak, so Bachhai's children rarely used to molest him.

 Pittu was a big hit, but just three to four times in the morning, do Kukadu , then it was closed

 As if you are saying to the Bakhai people, if you want to listen, listen, or listen, go to my (thumb).

 He had an amazing specialty, he was always in a high place, like an army soldier sitting on a loft and doing duty.

 Perhaps Pitu considered himself a soldier, seeing it, he used to think so, because there was always an alert.
 If he was seen having fun with someone, then he was just a da da, he used to live with him as that little pittu!

 Scripted short story
 All rights reserved

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पीड ( दर्द ) Pain

बहुत दिनों से देखने में आ रहा था की कुँवरी का अनमने से दिख रहे थे ,खुद में खोये हुये ,खुद से बातें करते हुये ,जबकि उनका स्वभाव वैसा बिल्कुल नही था ,हँसमुख ओर मिलनसार थे वो ,पता नही अचानक उनके अंदर ऐसा बदलाव कैसे आ गया था, समझ नही आ रहा था के आखिर हुआ क्या।  कुंवरी का किस कदर जिंदादिल थे ये किसी से छुपा नही ठहरा ,उदास वो किसी को देख नही सकते थे ,कोई उदास या परेशान दिखा नही के कुंवरी का उसके पास पहुँचे नही ,जब तक जाते ,जब तक सामने वाला परेशानी से उबर नही जाता था ,अब ऐसे जिंदादिल इंसान को जब उदास परेशान होते देखा तो ,सबका परेशान होना लाजमी था ,पर कुँवरी का थे के ,किसी को कुछ बता नही रहे थे ,बस क्या नहा क्या नहा कह कर कारण से बचने की कोशिश कर रहे थे ,अब तो सुबह ही घर से बकरियों को लेकर जंगल की तरफ निकल पड़ते ओर साँझ ढलने पर ही लौटते ,ताकि कोई उनसे कुछ ना पूछ पाये ,पता नही क्या हो गया था उन्हें ,गाँव में भी उनका किसी से झगड़ा नही हुआ था ,ओर घर में कोई लड़ने वाला हुआ नही ,काखी के जाने के बाद अकेले ही रह गये थे ,एक बेटा था बस ,जो शहर में नौकरी करता था ,उसके बच्चे भी उसी के साथ रहते थ

बसंती दी

बसन्ती दी जब 15 साल की थी ,तब उनका ब्या कर दिया गया ,ससुराल गई ओर 8 साल बाद एक दिन उनके ससुर उन्हें उनके मायके में छोड़ गये ,ओर फिर कोई उन्हें लेने नही आया ,बसन्ती दी के बौज्यू कई बार उनके ससुराल गये ,पर हर बार उनके ससुराल वालों ने उन्हें वापस लेने से ये कहकर  इंकार कर दिया की ,बसन्ती बाँझ है ओर  ये हमें वारिस नही दे सकती तब से बसन्ती दी अपने पीहर ही रही।  बाँझ होने का दँश झेलते हुये बसन्ती दी की उम्र अब 55 के लगभग हो चुकी थी ,उनके बौज्यू ने समझदारी दिखाते हुये 10 नाली जमीन ओर एक कुड़ी उनके नाम कर दी थी ,ताकि बाद में उनको किसी भी प्रकार से परेशानी ना हो ,ओर वो अपने बल पर अपनी जिंदगी जी सके। बसन्ती दी ने उस जमीन के कुछ हिस्से में फलों के पेड़ लगा दिये ओर बाकि की जमीन में सब्जियाँ इत्यादि लगाना शुरू किया ,अकेली प्राणी ठहरी तो गुजारा आराम से चलने लगा ,भाई बहिनों की शादियाँ हो गई ,भाई लोग बाहर नौकरी करने लगे ,वक़्त बीतता चला गया। बसन्ती दी शुरू से ही मिलनसार रही थी ,इसके चलते गाँव के लोग उनका सम्मान करते थे ,ओर खुद बसन्ती दी भी ,लोगों की अपनी हैसियत अनुसार सहायता भी कर

देवता का न्याय

थोकदार परिवारों के ना घर में ही नही ,अपितु पूरे गाँव में दहशत छाई हुई थी ,कुछ दिनों से थोकदार खानदान के सारे घरों में ,घर के सदस्यों को पागलपन के जैसे लक्षण देखने को मिल रहे थे ,यहाँ तक की गाय भैंसों ने भी दूध देना बंद कर दिया था ,किसी को समझ नही आ रहा था की आखिर ये हो क्या रहा है। पहाड़ में अगर ऐसा होना लगे तो ,लोग देवी देवताओं का प्रकोप मानने लगते हैं ,ओर उनका अंतिम सहारा होता है लोक देवताओं का आवाहन ,इसलिये थोकदार परिवारों ने भी जागर की शरण ली। खूब जागा लगाई काफी जतन किये ,पर कौन था किसके कारण ये सब हो रहा था ,पता नही लग पा रहा था ,जिसके भी आँग ( शरीर ) में अवतरित हो रहा था ,वो सिर्फ गुस्से में उबलता दिखाई दे रहा था ,पर बोल कुछ नही रहा था ,लाख जतन कर लिये थे ,पर समस्या ज्यों की त्यों थी ,गाँव वाले समझ नही पा रहे थे की आखिर थोकदार परिवार को इस तरह परेशान कौन कर रहा है ,ओर तो ओर जगरिये उससे कुछ बुलवा नही पा रहे हैं ,अंत में गाँव में आया हुआ एक मेहमान बोला मेरे गाँव में एक नौताड़ ( नया ) अवतरित हुआ है ,उसे बुला कर देखो क्या पता वो कुछ कर सके ,थोकदार परिवार ने दूसर