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आँदोलन - movement

पहाड़ में शराब के प्रचलन ने , कई घरों को उजाड़ दिया ठहरा , हमारे गाँव में ऐसा ही एक घर था हीरा काखी ( चाची ) का। 

चचा शराबखोरी के चलते काम धाम करते नही थे , उल्टा शराब पी कर काखी ( चाची ) को मारते पीटते थे , रोज का नियम सा था , घर में भूखे मरने की नौबत तक आ पहुँची थी। 

घर के जेवर भाँडे बर्तन तक बेच दिये ठहरे चचा ने ,  काखी ( चाची ) इसके चलते बहुत दुखी थी , जवान होती लड़की की शादी की कैसे होगी , इसकी चिंता उसे अलग सताती थी  , शराबी बाप की बेटी को कौन ले जायेगा ये दुख अलग ठहरा , पर करती भी तो क्या करती। 

शराब पीने वालों का घर उजड़ रहा था , ओर शराब बेचने वाले फल फूल रहे थे , उनके गाँव का जग्गू शराब लाकर बेचता था , इस कारण हीरा काखी ( चाची ) के अलावा , कई घर बर्बाद हो रहे थे। 

एक दिन काखी ( चाची ) को चचा ने खूब पीट दिया ठहरा , काखी ( चाची ) ने ग़ुस्से में आकर कह दिया , बस बहुत हुआ आज के बाद , यदि हाथ उठाया तो मुझ से बुरा कोई नही होगा , ओर आज के बाद इस गाँव में , या तो मैं रहूँगी या ये शराब ही रहेगी , बहुत हुआ बहुत सह लिया। 

सच में काखी (चाची ) ने कदम भी उठा लिया , वो ग्राम प्रधान के घर के बाहर जाकर बैठ गई , ओर शराब के ख़िलाफ़ आँदोलन छेड़ दिया , प्रधान को पंचायत बुलवा कर , शराबबंदी का ऐलान करने के लिये कहा।

पर प्रधान भी शायद मिला हुआ था इसलिये वो टालमटोल करने लगा , पर हीरा काखी ( चाची ) ने साफ कह दिया , अब जब तक शराबबंदी नही करवाओगे तब तक नही हिलूँगी चाहे मर जाऊँ , मर तो घर में भी रही हूँ।

इधर जग्गू को पता लगा तो वो भी धमकाने पहुँच गया , उसको भी काखी ( चाची ) ने बोल दिया , जो करना है कर ले , मैं नही जाऊँगी यहाँ से , या तो अब शराब बंद होगी या मैं मरूंगी।

दो दिन से प्रधान के घर के बाहर भूखी प्यासी बैठी थी काखी (चाची ) , गाँव की कुछ पीड़ित औरते भी अब , आकर काखी ( चाची ) के पक्ष में बैठ गई , परेशान सभी थी , कोई थोडा कम तो कोई थोडा ज्यादा। 

चार दिन बीत गये थे , काखी भूखी प्यासी बैठी रही , गाँव की कुछ औरते भी भूख हड़ताल में बैठ गई थी अब तो , माहौल गरमा गया था , काखी ( चाची ) के पक्ष में अन्य गाँव की औरते भी आने लगी , काखी सहित कई औरतों ने भूख हडताल कर दी थी। 

किसी ने ये बात अखबार में छपवा दी थी , अब तो सबको पता लग गया ठहरा , पटवारी ओर तहसीलदार भी आ गये , उन्होंने ग्राम प्रधान को इस आँदोलन को , खत्म करने के लिये तत्काल कदम उठाने के लिये बोला। 

अब प्रधान घबरा गया था , आँदोलन रोज बड़ा होता जा रहा था , अकेले से शुरू हुआ आँदोलन अब हुजूम में तब्दील हो गया ठहरा। 

अंत में झक मार कर प्रधान ने पंचायत बुला कर गाँव में शराब पीने पर पाबंदी लगा दी , जग्गू को भी शराब ना बेचने के लिये पाबंद कर दिया गया। 

ये देख कर आसपास के गाँवों के प्रधानों ने भी , अपने अपने गाँवों में शराब पीने पर प्रतिबन्ध लगवा दिया। 

इस तरह हीरा काखी ( चाची ) द्वारा शुरू किया गया शराबबंदी आँदोलन सफल रहा ओर गाँव की पीड़ित महिलाओं को इस दुख से निजात मिल पाई ! 

स्वरचित लघु कथा 
सर्वाधिकार सुरक्षित

English Version 
# Movement
 The prevalence of liquor in the mountain made many houses desolate, one such house in our village was Hira Kakhi (aunt).

 Chacha did not do work due to alcoholism, on the contrary he used to beat and beat Kakhi (aunt) by drinking liquor, it was like a daily rule, he had reached home to die of starvation.

 Chacha sold the jewelery to the pot of the house, Kakhi (aunt) was very sad because of this, worrying about how the young girl would get married, she used to worry about it, who will take the daughter of the drunken father, this sorrow is different.  But even if she used to do

 The house of the drinkers was desolate, and the wine sellers were thriving, the Jaggu of their village used to bring liquor and sold it, due to this, besides Hira Kakhi (aunt), many houses were being destroyed.

 One day Kakhi (aunt) was beaten up very much by Chacha, Kakhi (aunt) came in a fit of anger and said, after a long time, if I raise my hand, then there will be nothing worse than me, and after today in this village  , Either I will stay or it will remain wine, I have suffered a lot.

 In fact, Kakhi (aunt) also took the step, she went outside the village pradhan's house and sat down against the liquor, called the pradhan to the panchayat, and announced to ban liquor.

 But the pradhan too was probably mixed, so he began to defer, but Hira Kakhi (aunt) said clearly, now I will not move till I get prohibited, even if I die, I have lived in the house.

 When Jaggu found out here, he too reached the bully, Kakhi (aunt) also told him to do whatever he wants to do, I will not go from here, either the alcohol will stop now or I will die.

 Kakhi (aunt) was sitting hungry thirsty outside Pradhan's house for two days, some of the victims of the village also came and sat in favor of Kakhi (aunt), everyone was upset, some less and some more.

 Four days had passed, Kakhi was sitting hungry thirsty, some women from the village had also sat in hunger strike. Now, the atmosphere was hot, women from other villages started coming in favor of Kakhi (aunt), many women including Kakhi  Had hunger strike.

 Somebody had printed this matter in the newspaper, now everyone came to know, Patwari and Tehsildar also came, they called the village head to take immediate steps to end this movement.

 Now the chief was nervous, the movement was getting bigger every day, the movement started from alone now turned into a flock.

 In the end, Pradhan bans the panchayat and banned the drinking of liquor in the village, Jaggu was also banned from selling liquor.

 Seeing this, the heads of the surrounding villages also banned the drinking of alcohol in their respective villages.

 In this way, the prohibition movement started by Heera Kakhi (aunt) was successful and the suffering women of the village got relief from this misery!

 Scripted short story
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