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वीर दल्लू - Brave Dallu


दल्लू बचपन से ही बड़ा उद्ण्डी ठहरा , शरारत तो उसके जैसे रोम रोम में भरी थी , गाँव के लोग उसकी शरारत से दुखी रहते थे , ओर उसकी शिकायत उसकी ईजा से करते , फिर ईजा ग़ुस्से में आकर खूब थेच ( मार ) देती थी , ओर फिर रो जाती थी।

तब दल्लू बोलता.. ईजा ( माँ ) इतना थेचती ( मारती ) ही क्यों है , जो बाद में तुझे डाँड़ (रोना )  मारनी पड़ती है , कम थेचा (मारा ) कर , ताकि तुझे डाँड़ (रोना )  ना मारनी पड़े , ये सुन कर उसकी ईजा लकड़ी लेकर उसके पीछे भागती , ओर दल्लू दौड़ काट देता था।

दल्लू था दुबला पतला पर था पर दौड़ भाग में था बड़ा तेज , कुल मिला कर कहा जाये तो उत्पाति (ऊधमी ) ठहरा , पर ठहरा गाँव का सबसे एक्टिव बच्चा , चंचल होने के कारण खेलकूद में ज्यादा ध्यान ठहरा , ओर पढाई कम ही करता  , पर पास हो जाता था। 

उसकी ईजा उससे कहती भी थी... थोडा ओर पढ़ लीने ( लेता ) तो भल ( अच्छे ) नंबर आ जान ( जाते ) , पर ईजा की सुनता कहाँ था दल्लू , वो तो अपने मन की करता था।

उम्र बढ़ने के साथ उसमें थोड़ी समझदारी दिखाई देने लगी थी , वो अब अपनी ईजा से कहता था... ईजा तू चिंता मत कर मेरी बिल्कुल भी , देखना एक दिन मैं कुछ बन कर दिखाऊँगा , इस पर ईजा उसे गयाते ( गालियाते ) हुये कहती... होय ( हाँ ( प्राण पीण (पीने )  वाव ( वाला ) बनले ( बनेगा ) तू , पूर गों ( पूरा गाँव ) तेर ( तेरी ) शिकायत करूँ ( करता )  है। 

इस पर दल्लू कहता.. सब झूठ बुलाणी ( बोलते ) हैं , मैं कें देख बेर चिढ़नी ( मुझको देख चिढ़ते हैं ) , तू देखिए मैं ठुल आदमी बण बेर दिखोण ( तुम देखना मैं बड़ा आदमी बनकर दिखाऊँगा )।

एक आद साल ओर बीत गया दल्लू के उत्पातों में , इसी बीच दल्लू के दगडियों ने उसे बताया की भर्ती निकली है , चलता है तो चल , दल्लू भागा भागा ईजा के पास गया ओर बोला... ईजा भर्ती हुने ( हो ) बल अल्माड में , तू पैंस दी छे तो मैं ले जाँ बेर ओं ( अगर तू पैसे देगी तो मैं भी जा आऊँगा ) , ओर देखिए भर्ती है बेर ओंण ( ओर देखना भर्ती होकर आऊँगा ) , ईजा ने भी ये सोच कर पैसे दे दिये की , बाहर जाकर कुछ  दुनिया ही समझ लेगा भर्ती हो या ना हो।

गाँव के लौंडे जहाँ भर्ती के लिये तैयारी में जुट गये ठहरे , वहीं दल्लू खूब खाने पीने में लगा ठहरा  , साथ वाले बोलते दल्लू तू है गे छे रे भर्ती ( तू हो गया रे भर्ती ) , हम दौड़ भाग करनिया (कर रहे हैं ) ,ओर तू खाण पीण ( खाने पीने )  में मस्त छ ( है)। 
वो दिन भी आ गया जब भर्ती थी , दगडियों के साथ दल्लू अल्मोडा गया , दौड़ हुई ओर सबसे आगे दल्लू था , एक बाधा पार कर ली ठहरी दल्लू ने , कद , छाती वाती में भी फिट ठहरा दल्लू , मेडिकल में भी निकल गया ठहरा , यानी भर्ती होकर रंगरूट बन गया ठहरा दल्लू , जबकि उसके दगडी रह गये ठहरे।
ट्रेनिंग के लिये रानीखेत भेज दिया गया ठहरा , ट्रेनिग पूरी होने के बाद पोस्टिंग हुई कश्मीर में , बड़ा जोशीला था दल्लू , उसके अफसर भी उसके जोश को जानते थे।
एक दिन रात को पैट्रोलिंग के दौरान उसकी टीम पर उग्रवादियों ने हमला कर दिया बल , दल्लू का पहली बार दुश्मनों से सामना हुआ था , उसके सूबेदार ने उसे बताया की हम कम हैं ओर वो ज्यादा , इसलिये आज जान को जोखिम है , सहायता भी मिलने में टाईम लगेगा।

ऊपर से लगातार फायरिंग हो रही थी , दल्लू के दो साथी घायल हो चुके थे , अब वो काम के लायक सिर्फ तीन जने बचे थे , इनमें से भी एक तो वायरलैस ऑपरेटर ठहरा।
बड़ा मुश्किल समय था तब दल्लू अपने सूबेदार से बोला साहब मैं इनके पीछे की तरफ से जाकर हमला करने की कोशिश करता हूँ , वरना ये हमको मार डालेंगे , सूबेदार मरता क्या ना करता , उसने दल्लू को इजाजत दे दी। 

दल्लू का आज शैतानी भरी बचपन की ट्रेनिंग काम आ रही थी , वो बचपन में अपने दगडियों के साथ ऐसा ही खेल खेला करता था , वो रेंगता , लुकता छुपता , उग्रवादियों के पीछे पहुँचने में कामयाब रहा , ओर उसने कई उग्रवादी मार डाले , बाकी के भाग गये , इस तरह से उसने अपने साथियों की जान बचा ली थी।

उसे इस कार्य के लिये वीरता पुरुस्कार मिला , ओर इस तरह दल्लू ने अपनी कही हुई वो बात सत्य कर दिखाई , जिसमें वो ईजा को कहता था , देखना एक दिन मैं कुछ बन कर दिखाऊँगा , ओर आज दल्लू ने वीरता पुरुस्कार जीत कर वीर दल्लू बन कर दिखा दिया! 

स्वरचित लघु कथा 
सर्वाधिकार सुरक्षित

English Version 

Breve Dallu
 Dallu was a big boon from childhood, the mischief was like him in Rome, the people of the village were saddened by his mischief, and complained to him, then Ija used to get angry and beat him, and  Then wept.

 Then Dallu speaks .. Why is Eaja (mother) so much that (thrashing), which later you have to slap (cry), do less thecha (mara), so that you don't have to slap (cry), hearing this  His mother ran after him with wood, and Dallu used to run.

 Dallu was lean but he was very fast in the race, overall he was extremely productive, but the most active child in the village, being fickle, was more focused in sports, and would have studied less,  But used to pass.

 His Ija used to say to him ... A little more read (takes), so good (number) aa jaan (jaate), but where did he listen to Eaja, he used to do his own mind.

 As he got older, he had a little understanding, he now used to say to his Ija ... I don't worry about you at all, see one day I will show you something, on which Ija would tell her (cheating)  ... Hoy (yes (prana peen (drink) wav (wala) banale (banega) tu), pur gon (whole village) ter (thy) complain (do).

 On this, Dallu says .. All lies are called (speak), I look at me, I am plum (teasing me), you see, I am a stubborn man, I will show you as a big man.

 A year passed and in the troubles of Dallu, meanwhile Dallu's dagadis told him that recruitment has come out, let's go, so Dallu run and went to Eaja and said… Iza Bharti Hune (Ho) force in Almad  , If you give money, then I will take it on (if you give money, I will also come), look, I am recruiting, bere on (I will come after getting admitted)  Only the world will understand whether you are admitted or not.

 The village goons stayed busy preparing for the recruitment, while Dallu was busy drinking a lot of food, with the words Dallu Tu hai gaye re bhi bharati (tu ho gaya re bharti), we ran the race karniya (doing),  And you are cool in eating and drinking.

 The day also came when admitted, Dallu went to Almora with the traitors, Dallu was at the forefront of running, crossed an obstacle, and Dallu, who was fit in height, chest, also went out in medicine,  That is, Dallu became a recruit and became a rookie, while his traitors stopped.
 Ranikhet was sent for training, posting took place after completion of training in Kashmir, Dallu was very passionate, his officers also knew his passion.
 One day during the night patrolling his team was attacked by the militants, Dallu had first encountered enemies, his centurion told him that we are less and more, so today there is a risk to life, also to get help.  I will take time

 There was continuous firing from above, two of Dallu's companions were injured, now they were left with only three jobs worth working, one of which became a wireless operator.
 There was a very difficult time, Dallu said to his Subedar, Sir, I try to attack him from behind, otherwise he will kill us, what would the Subedar die, he allowed Dallu.

 Dallu was having a devilish childhood training today, he used to play similar games with his traitors in childhood, he crawled, hid, managed to get behind the militants, and he killed many militants, the rest  He escaped, thus saving his companions' lives.

 He received the gallantry award for this work, and in this way Dallu showed his truth to what he had said, in which he used to say to Eaja, one day I will show something as one, and today Dallu won the gallantry award and became a hero Dallu.  Have done it!

 Scripted short story
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