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कल्लू ओर झल्लू

पन्न दा के घर कुतिया ब्याई थी , दो पोथ ( कुत्ते के पिल्ले ) दिये ठहरे उसने , पन्न दा ने उनका नाम रख दिया ठहरा कल्लू ओर झल्लू , बडे मस्त दिखने वाले ठहरे , अजनबी को देख कर भौंकते , पर डर डर के बल , बच्चे ही जो ठहरे , पर थे बडे मस्त। 

अपनी माँ के दूध के अलावा पन्न दा द्वारा दिया गया दूध धपड धपड़ पी जाने वाले ठहरे , ओर फिर खाव में दे दौड़ा दौड़ काटते फिरते , उनको देखने में बड़ा आनंद आता था , उनकी बाल सुलभ हरकते बडी मासूम होती थी। 
पूरी बखई वाले के दुलारे थे वो दोनों , चिड़िया दिख जाये तो बस उसके पीछे लग जाते दोनों , उसको पकड़ने के चक्कर में कई बार घुरि भी जाते थे भिडो में , फिर भी पीछा करना नही छोड़ते थे , फिर जब थक जाते तो जिबडी ( जीभ ) बाहर निकाल कर हाँफने लगते। 

पूरा दिन इधर से उधर दौड़ काटते फिरते , पेट खाली होते ही पन्न दा को ढूँढ़ते , पन्न दा मिल जाते तो , भौंक भौंक कर अपनी भूख के बारे में बताते। 

पन्न दा भी जानते थे की क्यों भौंक रहे हैं दोनों , पन्न दा उनके भौंकते ही बोलते , हिटो रे ( चलो रे ) घर को , वहाँ दूँगा तुम्हें दूध।

ये सुनते ही कल्लू ओर झल्लू , जिस अंदाज से घर की ओर जाते , वो देखने लायक होता , कूदते उछलते नाचते से घर की ओर चलते , झब्बू जैसे दोनों मस्त लगते। 

पर जाड़े के मौसम में दोनों पगली से जाते थे , खेल कूद बंद हो जाते दोनों के , दिन भर घाम ( धूप ) में बैठे रहते ओर शाम होते ही पन्न दा के साथ आग के पास। 
कई बार तो भड़ियाँन बास ( बाल जलने की बदबू ) आने पर पन्न दा उन्हें आग से दूर कर देते थे , पर थोडी देर में फिर दोनों आग के पास आ जाते। 

दोनों को शायद जाड़े का मौसम अच्छा नही लगता था , उनके बडे बडे बाल भी , ठंड से अरडाई ( अकड़े ) हुये से दिखते ! तब दोनों भालू से लगते ,वो भी उलझे उलझे बालों वाला भालू जैसे , शक्ल भी देखने लायक होती उनकी।

स्वरचित लघु कथा 
सर्वाधिकार सुरक्षित

English Version 

Pann da's house was a bitch, she gave two poth (puppy puppies), she gave her name, Kallu and Jallu, big cool looking, barking at the stranger, but fearing fear, baby  Only those who stayed, but they were very cool.


 Apart from his mother's milk, the milk given by Panna da became a drinker, and then ran in the bay, running and running, he was very happy to see, his hair was very moving and innocent.

 Both of them were full of guts, if they saw the bird, then they would just look after it, both of them used to stare at it many times in the circle to catch it, still they would not stop chasing, then when tired, then the jibdi (tongue)  ) Started panting out.


 Walking around here and there for the whole day, looking for Pan Da as soon as his stomach was empty, if he found Pan Da, he barked and told about his hunger.


 Panna da also knew why both of them were barking, Panna da said as soon as they barked, hito re (chalo re) to the house, I will give you milk there.


 On hearing this, Kallu and Jallu, the way they went towards the house, it would be worth seeing, jumping and dancing and walking towards the house, both looked like jabs.


 But during the winter season both of them used to go from Pagli, sports stopped and both of them were sitting in heat (sunshine) all day and near Pann da with fire in the evening.


 Many times, when the Bhadianan Baas (the smell of burning hair) came, Pan Da would remove them from the fire, but in a short time both of them would come near the fire again.


 Both probably did not like the winter season, their big hair too, looked cold with ardai (strut)!  Then both of them looked like bears, they were also like tangled hairy men, their appearance would also be worth seeing.


 Scripted short story

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