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दन दा

दन दा जंगलात विभाग में पतरोल (जंगल सुरक्षा गार्ड ) के पद पर कार्यरत थे , गाँव से ही सटे जंगल में उनकी ड्यूटी थी , हमेशा से हम लोगों ने उन्हें इन्हीं जंगलों में भटकते देखा था। 
पहले हमें लगता था यें यूँ ही इन जंगलों में भटकते फिरते हैं , बाद में समझ आई के ये तो नौकरी में हैं , वो भी जंगलात विभाग में।  

हमें वो भटकते हुये इसलिये लगते थे क्योंकि हमारे लिये नौकरी का मतलब ऑफिस में जाना जो होता था , जबकि दन दा रोज सुबह जंगल की तरफ निकल जाते ओर शाम पड़े घर लौटते।  
उनकी वजह से जंगल में खूब हरियाली ठहरी , किसी को भी जंगल का नुकसान नही करने देते थे , प्यार से लोगों को जंगल होने के फायदे समझाते थे , उनके क्षेत्र में हमने वनाग्नि की घटना कभी नही सुनी। 
कहते थे जंगल हैं तो हम हैं , ये नही रहेंगे तो हमारा जीवन संकट में आ जायेगा , जंगल ही उनकी ज़िंदगी का अहम हिस्सा थी  , हमें जहाँ बोरियत भरी सी लगती थी उनकी ज़िंदगी , वहीं उन्होंने जंगल को ही अपना जीवन बना लिया था। 
उन्हें देख कर मुझे डिस्कवरी वाले बियर ग्रिलस की याद आ जाती है , फर्क सिर्फ इतना सा है की बियर ग्रिलस को सारी दुनिया जानती है , ओर दन दा को सिर्फ हम जैसे कुछ लोग , बाकी अनुभव के मामले में दन दा बेयर ग्रिल से कम ना थे। 

जंगल के चप्पे चप्पे से वाकिफ दन दा को , हर पेड पौधों कीड़े , तितलियों , पक्षियों , जंगली जानवरों की गजब जानकारी थी दन दा को।  
जंगल से जुड़ी कई कहानियाँ , सुनी थी दन दा से , जो रोमांचित कर देती थी। 

ऐसा ही एक किस्सा था बहाँई के जंगलों का , जहाँ एक बार दन दा , जंगल से निकलने वाली बहाँई गाड ( नदी ) में आकस्मिक आई बाढ़ में फँसी कई घसियारियों को बचाया था। 

किसी की हिम्मत नही हो रही थी बल , बाढ़ से बने टापू पर फँसी घासियारियों को बचाने की। 
तब हमारे उत्तराखण्डी बियर ग्रिलस  , दन दा ने ही बडी सूझबूझ के साथ सभी को सुरक्षित निकाला था। 

इसके लिये भले ही उन्हें एक बडे चीड़ की बलि देनी पड़ी , उसका पुल बनाने के लिये , पर उसके जरिये समस्त जानों की हिफाजत की थी बल दन दा ने ! 

स्वरचित लघु कथा 
सर्वाधिकार सुरक्षित

English version 

Dan da

Dan da was working in the forest department as Patrol (Jungle Security Guard), he had his duty in the forest adjacent to the village, always we saw him wandering in these forests.

 Earlier we used to think that wandering in these forests like this, later it was understood that they are in the job, that too in the forest department.

 We used to find them wandering because for us, the job meant going to the office, whereas everyday we would go towards the forest in the morning and return home in the evening.


 Because of them, there was lot of greenery in the forest, did not let anyone harm the forest, lovingly explained the benefits of being a forest to the people, we never heard of the incident of forest in their area.

 They used to say that if there is a forest, then if we do not live, then our life will come in trouble, the forest was an important part of their life, where we used to feel boredom, their life, they made the forest their life.

 Looking at them, I am reminded of the Discovery Beer Grills, the only difference is that the beer grills are known all over the world, and some people like us to Da Da, no less than Da Da Bare Grill in terms of experience.  Were.

 Every da was aware of the wilderness, every tree had great knowledge of insects, butterflies, birds and wild animals.

 Many stories related to the forest were heard, from Da Da, which thrilled her.

One such anecdote was in the forests of Bahani, where once Da, Da rescued many shearer trapped in accidental floods in the Bahani Gad (river) coming out of the forest.

 Nobody had the courage to save the grasshoppers trapped on the flooded island.

 Then our Uttarakhandi beer grilles, da da, had taken everyone out with great understanding.

 For this, even though he had to sacrifice a big pine, to build his bridge, through him all the lives were protected by force.

 Scripted short story

 All rights reserved

टिप्पणियाँ

  1. उत्तरा उत्तराखंड की लोगों की मेहनत और कर्म हो आप लेखनी से तराश देते हैं।।

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  2. Bahut sundar hai da...kahani bilkul atit me le jaati hai..wahin pahado ki or.

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  3. Dan da kaha par hai? Ab to uttarakhand ke jungle sarkar kha rahi hai jagah jagah aag lag rahi sab sukha aur suna hota ja raha pahad

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  4. बहुत सुन्दर। यह .कहानी बिलकुल अतीत में ले जाती है..वहीँ पहाड़ो की ओ। पहाड़ों की कहानिया दृश्यवरिष्टा होती हैं अतीत का ज्ञान घर बैठे ही मिल जाता है।

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