धन्ना बोजी आज बेहद थकी थकी सी लग रही थी ,उनके पैर मानो उनका साथ ही नही दे रहे थे ,पसीने में तरबतर होकर वो थोड़ी देर पहले ही खेत से गेहूँ काट कर लौटी ही थी।
वो आते ही घर के बोनाव में पैर पसार कर बैठ गई ,ओर अपनी चैली को आवाज लगाते हुये बोली भग्गू एक लौट्टी ठंड पाणी दी दे जरा ,तीसेली हाल खराब है गी।
भग्गू अपनी ईजा की आवाज सुनते ही तुरंत एक लोटा ठंडा पानी ले आई ,धन्ना बोजी ने पानी पिया ,थोड़ी राहत सी महसूस हुई ,फिर भग्गू को आवाज लगाई की एक गिलास चहा बना ला तो जरा।
जवाब में भग्गू बोली ईजा दूध बिराउ पी गौ आज ,न जाणी कस्ये ,काई चहा बणा बेर ली ओं छू।
धन्ना बोजी को तो चहा चाहिये था ,अब दूध वाली हो या बिना दूध की ,तो वो बोली काई बना ला पे ,गूड जरा ठुल ठुल ली आये।
भग्गू चाय बना लाई ,धन्ना बोजी सुड़ुक मारते हुये चाय पीने लग गई ,उनके सुड़ुक मारने की आवाज आसपास तक सुनाई दे रही थी।
चाय पीने के बाद धन्ना बोजी कुछ देर तक तो पसरी बैठी रही ,फिर उठी शायद उनकी चहा ने उन्हें कुछ एनेर्जी प्रदान कर दी थी ,उन्होंने भग्गू को आवाज दी ,तू जल्दी पाणी भर ला ,तब तक मैं भात दाव पका ली छू ,तेर बौज्यू आ जाल काम बैठि ,ओर धन्ना बोजी खाना बनाने में जुट गई।
अब धन्ना बोजी का खाना बन चुका था ,खाना खाने के बाद जूठे बर्तन पैनियान में लेकर बोजी राख से मलने लगी थी ,चाय ओर खाने ने बोजी को थोडा़ स्फूर्तीवान सा कर दिया था ,घसाघस बर्तन धोये ओर भग्गू को बर्तन घाम में सूखाने के लिये आवाज दे दी ,हाथ धोकर अपनी साड़ी से पोंछते हुये ,बोजी थोड़ी कमर सीधी करने भीतर जाकर फीण में घुरि गई ,थकान का असर अभी था शायद ,क्योंकि अब उनके खर्राटों की आवाज आने जो लगी थी।
शाम के 4 बज चुके थे , धन्ना बोजी शायद उठ गई थी ,क्योंकि उनकी आवाज सुनाई दी की ,भग्गू जरा चहा धर दे चुल में ,चहा पी बेर थोडा घा काट लों भैंस थें ही।
बोजी की चाय शायद कमाल कर चुकी थी ,क्योंकि वो कमर में दाँतुली खोंस के चल पड़ी थी घास लाने।
अंधेरा घिर चुका था पहाड़ों में ,ओर धन्ना बोजी लौट आई थी ,बड़े सारे घास के घुटव के साथ ,घुटव को बिसाते ही भग्गू को आवाज दी ,भग्गू एक गिलास ठंड पाणी ला दे ओर थोडा चहा ले राख दे चुल में ,थकान है गे आज , चहा पी बेर थोड तात जै आल।
धन्ना बोजी चाय पी चुकी थी ,अब बारी थी भैंस का दूध निकलने की ,धन्ना बोजी ने भैंस को घास डाली ओर दूध निकालने लग गई थी, दूध निकाल कर उसे गरम करने को चूल्हे में चढ़ा दिया ,जब तक दूध उबलता ,घर के छोटे मोटे काम निपटा लिये ,इधर दूध गरम हो चुका था ,ओर उबलते दूध को देख बोजी को ध्यान आया की ,आज दिनभर तो उसने काली चाय ही पी थी ,अब एक गिलास दूध वाली चाय हड़का ली जाये ,ओर इस तरह धन्ना बोजी एक गिलास चाय ओर पी चुकी थी।
स्वरचित लघु कथा
सर्वाधिकार सुरक्षित
हिंदी अनुवाद
धन्ना बोजी की चाय
धन्ना भाभी आज बेहद थकी थकी सी लग रही थी ,उनके पैर मानो उनका साथ ही नही दे रहे थे ,पसीने में तरबतर होकर वो थोड़ी देर पहले ही खेत से गेहूँ काट कर लौटी ही थी।
वो आते ही घर के आँगन में पैर पसार कर बैठ गई ,ओर अपनी बेटी को आवाज लगाते हुये बोली भग्गू एक लोटा ठंड पानी दे दे जरा ,प्यास से हाल खराब हो गये हैं।
भग्गू अपनी माँ की आवाज सुनते ही तुरंत एक लोटा ठंडा पानी ले आई ,धन्ना भाभी ने पानी पिया ,थोड़ी राहत सी महसूस हुई ,फिर भग्गू को आवाज लगाई की एक गिलास चाय बना ला तो जरा।
जवाब में भग्गू बोली माँ दूध बिल्ली पी गई आज न जाने कैसे ,काली चाय बना कर ले आती हूँ।
धन्ना बोजी को तो चाय चाहिये थी ,अब दूध वाली हो या बिना दूध की ,तो वो बोली काली ही बना ला ,गुड जरा बड़ा सा लाना।
भग्गू चाय बना लाई ,धन्ना भाभी सिड़कते हुये चाय पीने लग गई ,उनके सिड़क मारने की आवाज आसपास तक सुनाई दे रही थी।
चाय पीने के बाद धन्ना बोजी कुछ देर तक तो पसरी बैठी रही ,फिर उठी शायद उनकी चाय ने उन्हें कुछ एनेर्जी प्रदान कर दी थी ,उन्होंने भग्गू को आवाज दी ,तू जल्दी पानी भर ला ,तब तक मैं दाल चावल पका लेती हूँ ,तेरे पापा भी आ जायेंगे काम से ,ओर धन्ना भाभी खाना बनाने में जुट गई।
अब धन्ना बोजी का खाना बन चुका था ,खाना खाने के बाद जूठे बर्तन पर राख मलने लगी थी ,चाय ओर खाने ने बोजी को थोडा़ स्फूर्तीवान सा कर दिया था ,फटाफट बर्तन धोये ओर भग्गू को बर्तन धूप में सूखाने के लिये आवाज दे दी ,हाथ धोकर अपनी साड़ी से पोंछते हुये ,बोजी थोड़ी कमर सीधी करने भीतर जाकर चटाई में सो गई ,थकान का असर अभी था शायद ,क्योंकि अब उनके खर्राटों की आवाज आने लगी थी।
शाम के 4 बज चुके थे , धन्ना भाभी शायद उठ गई थी ,क्योंकि उनकी आवाज सुनाई दी की ,भग्गू जरा चाय रख दे चूल्हे में ,चाय पीकर थोडा घा काट लाती हूँ भैंस के लिये।
धन्ना भाभी की चाय शायद कमाल कर चुकी थी ,क्योंकि वो कमर में दरांती खोंस के चल पड़ी थी घास लाने।
अंधेरा घिर चुका था पहाड़ों में ,ओर धन्ना भाभी लौट आई थी ,बड़े सारे घास के गट्ठर के साथ ,गट्ठर को नीचे उतारते ही भग्गू को आवाज दी ,भग्गू एक गिलास ठंडा पानी ला दे ओर थोडा चाय रख दे चूल्हे में ,थकान हो गई आज , चाय पीकर थोडी ताकत मिलेगी।
धन्ना भाभी चाय पी चुकी थी ,अब बारी थी भैंस का दूध निकलने की ,धन्ना बोजी ने भैंस को घास डाली ओर दूध निकालने लग गई थी, दूध निकाल कर उसे गरम करने को चूल्हे में चढ़ा दिया ,जब तक दूध उबलता ,घर के छोटे मोटे काम निपटा लिये ,इधर दूध गरम हो चुका था ,ओर उबलते दूध को देख धन्ना भाभी को ध्यान आया की ,आज दिनभर तो उसने काली चाय ही पी थी ,अब एक गिलास दूध वाली चाय पी ली जाये ,ओर इस तरह धन्ना भाभी एक गिलास चाय ओर पी चुकी थी।
स्वरचित लघु कथा
सर्वाधिकार सुरक्षित
English version
Dhanna sister-in-law Tea
Dhanna sister-in-law was looking very tired today, her legs were not supporting her, she had just returned from the field after cutting wheat a little while ago.
As soon as she came, she sat down in the courtyard of the house, and while raising her voice to her daughter, said, give Bhaggu a lot of cold water, the condition has worsened due to thirst.
Bhaggu immediately brought a cold water on hearing her mother's voice, Dhanna sister-in-law drank the water, felt a little relief, then called Bhaggu to make a cup of tea.
In response, Bhaggu said that the cat drank milk and today I do not know how, I bring it after making black tea.
Dhanna sister-in-law wanted tea, now whether it is milk or without milk, then that quote should be made black, bring a little bit of jaggery.
Bhaggu brought tea, Dhanna sister-in-law started drinking tea while trembling, the sound of her whirring was heard all around.
After drinking tea, Dhanna sister in law sat down for a while, then got up, maybe her tea had given some energy, she gave a voice to Bhaggu, you fill the water quickly, till then I cook lentils and rice, your father will also come from work, and Dhanna sister-in-law started preparing food.
Now Dhanna sister in law cooked had food, after eating the food, ashes started to rub on the dirty utensils, the tea and food made sister in law a little energetic, washed the dishes immediately and gave a voice to Bhaggu to dry the utensils in the sun, After washing her hands and wiping her sari, Boji went inside to straighten her waist and slept on the mat, probably the effect of fatigue was still there, because now the sound of her snoring was starting to come.
It was 4 o'clock in the evening, Dhanna sister-in-law had probably got up, because her voice was heard that, Bhaggu, put some tea in the stove, after drinking tea, I bring a little bite for the buffalo.
Dhanna sister-in-law's tea had probably done wonders, because she was walking with a sickle in her waist to fetch grass.
Darkness had fallen in the mountains, and Dhanna sister-in-law had returned, with a bunch of hay, called Bhaggu as soon as she took the bundle down, Bhaggu should bring a glass of cold water and put some tea in the stove, got tired Today, drinking tea will give you some strength.
Dhanna sister-in-law had drank tea, now it was the turn of the buffalo to milk, Dhanna Boji put grass to the buffalo and started extracting milk, took out the milk and put it on the stove to heat, till the milk boiled, the small households of the house Finished the rough work, here the milk was hot, and seeing the boiling milk, Dhanna sister-in-law came to mind that she had only drank black tea today, now a glass of milk tea should be drunk, and in this way Dhanna sister-in-law is a Had a glass of tea and drank it.
composed short story
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