गुड्डी के ब्याह का न्यौता भी आ पहुँचा था, घर से किसी को तो न्यौता निभाने जाना ही था तो मैं चला गया पहाड़। जयपुर से रानीखेत एक्सप्रेस में दिन के 3 बजे बैठा ओर दूसरे दिन सुबह 4 बजे हल्द्वानी रेलवे स्टेशन पर उतरा, बाहर नवीन गाडी लेकर खड़ा मिल गया, उसे मैनें पहले ही फोन पर आने की सूचना दें दी थी, जो शादी का सामान खरीदने हल्द्वानी आया ठहरा। नवीन के साथ गाँव की ओर को निकल पड़े, पाँच घन्टे के थकान भरे सफर के बाद पहुँच ही गए आखिर गाँव,गाडी से सामान उतार कर मैं चल दिया थकान मिटाने मेरे उसी कमरे में, जहाँ मैं गाँव आने पर ठहरा करता था। कल गुड्डी की बारात आनी थी, हमारी गुड्डी अब शादी लायक हो गई थी, कल तक जो हमें छोटी नटखट गुड्डी लगती थी, आज अपने नये जीवन में प्रवेश करने जा रही थी, मैनें गुड्डी को बुलवाया ओर उसे अपनी ओर से लाये लहंगा चुनरी का सैट दिया, गुड्डी का फोन आया था ,की दद्दा वहाँ से लहंगा चुनरी जरूर लाना, कलर भी गुड्डी के पसंद का ही था। रात को खा पी कर जल्दी सो गए थे सब,क्योकिं कल सबको जो जागना था। सुबह होते ही चाय लेकर आई बोजी ने जगा दिया ओर चाय पी कर नहा धो कर तैयार हो जाने को कह...
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